साम्यावस्था
अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 7.1
एक द्रव्य को सीलबन्द पात्र में निश्चित ताप पर इसके वाष्प के साथ साम्य में रखा जाता है। पात्र का आयतन अचानक बढ़ा दिया जाता है।
(क) वाष्य-दाब परिवर्तन का प्रारम्भिक परिणाम क्या होगा?
(ख) प्रारम्भ में वाष्पन एवं संघनन की दर कैसे बदलती
(ग) क्या होगा, जबकि साम्य पुनः अन्तिम रूप से स्थापित हो जाएगा, तब अन्तिम वाष्प दाब क्या होगा?
उत्तर:
(क) चूँकि इस स्थिति में वाष्पों की समान मात्रा अधिक स्थान पर वितरित होती है, अत: पात्र का आयतन बढ़ाने पर वाष्प दाब प्रारम्भिक रूप से घटेगा।
(ख) पात्र के आयतन की वृद्धि से प्रारम्भ में वाष्पन की दर घटेगी क्योंकि अधिक स्थान मिलेगा।
(ग) जब अग्रगामी तथा पश्चगामी प्रक्रमों की दर समान होती है तो अन्त में साम्य पुनः स्थापित हो जाता है। चूंकि यह ताप पर निर्भर करता है, अत: वाष्पदाब अपरिवर्तित रहेगा।
प्रश्न 7.2
निम्न साम्य के लिए K2 क्या होगा, यदि साम्य पर प्रत्येक पदार्थ की सांद्रताएँ हैं –
[SO2] = 0.60M, [O2] = 0.82 M एवं [SO3] = 1.90M
2SO2(g) + O2(g) ⇄ 2SO3
उत्तर:
दी हुई अभिक्रिया,
2SO2(g) + O2(g) ⇄ 2SO3
प्रश्न 7.3
एक निश्चित ताप एवं कुल दाब 105 Pa पर आयोडीन वाष्प में आयतनानुसार 40% आयोडीन परमाणु होते हैं।
साम्य के लिए Kp की गणना कीजिए।
उत्तर:
एक निश्चित ताप एवं कुल दाब = 105 Pa
आयोडीन परिमाणों (I2) आंशिक दाब = 40×105/100
= 0.4 × 105
आयोडीन परिमाणों (I) आंशिक दाब = 60/100 × 105
= 0.6 × 105 Pa
प्रश्न 7.4
निम्मलिखित में से प्रत्येक अभिक्रिया के लिए Kc समान्य स्थिरांक का व्यंकजक लिखिए –
उत्तर:
प्रश्न 7.5
Kp के मान की गणना निम्नलिखित प्रकार में से प्रत्येक साम्य के लिए Kc का मान ज्ञात कीजिए।
- 2NOCl (g) ⇄ 2NO(g) + Cl2(g); Kp = 1.8 × 10-1 at 500k
- CaCO3(s) ⇄ CaO(s) + CO2(g); Kp = 167 at 1073 K
उत्तर:
Kp तथा Kc परस्पर संबंदित होते है –
Kp = Kc(RT)∆n
Kc के मान की गणना निम्मनलिखित प्रकार की जी सकती है –
प्रश्न 7.6
साम्य NO(g) + O3 (g) ⇄ NO2 (g) + O2(g) के लिए 1000 K पर Kc = 6.3 × 1014 है। साम्य में अग्र एवं प्रतीप दोनों अभिक्रियाएँ प्राथमिक रूप से द्विअणुक हैं। प्रतीप अभिक्रिया के लिए Kc क्या है?
उत्तर:
प्रतीप अभिक्रिया के लिए,
Kc = 1Kc
= 1/ (6.34×1014) = 1.59 × 10-15
प्रश्न 7.7
साम्य स्थिारांक का व्यंजक लिखते समय समझाइए कि शुद्ध द्रवों एवं ठोसों को उपेक्षित क्यों किया जा सकता है?
उत्तर:
साम्य स्थिरांक का व्यंजक लिखते समय, अभिक्रिया में प्रयुक्त स्पीशीज की मोलर सान्द्रताएँ ली जाती हैं। हम जानते हैं कि किसी पदार्थ की मोलर सान्द्रता उसके प्रति इकाई आयतन में मोलों की संख्या को व्यक्त करती है। अर्थात्
चूँकि द्रव्यमान/आयतन, पदार्थ का घनत्व व्यक्त करता है; अतः पदार्थ की मोलर सान्द्रता उसके घनत्व के समानुपाती होती हैं।
हम जानते हैं कि घनत्व एक गहन गुण (Intensive property) है तथा पदार्थ के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता। इसके अतिरिक्त एक शुद्ध पदार्थ (ठोस या द्रव) की मोलर सान्द्रता के मान सदैव समान रहते हैं तथा इन्हें साम्य स्थिरांक का मान लिखते समय उपेक्षित किया जा सकता है। यद्यपि गैसीय अवस्था या जलीय विलयन में, पदार्थों के लिए, दिए गए आयतन में उनकी मात्रा परिवर्तनीय हो सकती है तथा उनकी मोलर सान्द्रता स्थिर नहीं रहती जिससे साम्य स्थिरांक के लिए व्यंजक लिखते समय इसे उपेक्षित नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 7.8
N2 एवं O2- के मध्य निम्नलिखित अभिक्रिया होती है –
2N2 (g) + O2(g) ⇄ 2N2O(g)
यदि एक 10L के पात्र में 0.482 mol N2 एवं 0.933 mol O2 रखे जाएँ तथा एकताप, जिस पर N2O बनने दिया जाए तो साम्य मिश्रण का संघटन ज्ञात कीजिए Kc = 2.0 × 10-37
उत्तर:
माना N2(g) के xmol अभिक्रिया में भाग लेते हैं। अभिक्रिया के अनुसार, O2 के x2 mol अभिक्रिया करके N2O(g) के x2 mol बनाएँगे। इन स्पीशीज की अभिक्रिया से पहले तथा समय बिन्दु पर प्रति लीटर मोलर सान्द्रता है –
साम्य स्थिरांक का मान (2.0 × 10 -37) अत्यन्त कम है।
इसका अर्थ है कि अभिकारकों की केवल कुछ मात्रा ही अभिकृत हुई है। इसलिए x अत्यन्त कम होगा तथा अभिकारकों के सम्बन्ध में इसे उपेक्षणीय माना जा सकता है।
रासायनिक साम्य का नियम लागू करने पर,
अतः साम्य मिश्रण में
N2 की मोलर सान्द्रता = 0.0482 mol L-1
O2 की मोलर सान्द्रता = 0.0933 mol L-1
N2O की मोलर सान्द्रता = 6.58 × 10-21 mol L-1
प्रश्न 7.9
निम्नलिखित अभिक्रिया के अनुसार नाइट्रिक ऑक्साइड Br2 से अभिक्रिया का नाइट्रोसिल ब्रोमाइड बनाती है –
2NO (g) + Br2(g) ⇄ 2NOBr (g)
जब स्थिर ताप पर एक बन्द पात्र में 0.087 mol NO एवं 0.0437 mol Br2 मिश्रित किए जाते हैं, तब 0.0518 mol NOBr प्राप्त होती है। NO एवं Br2 की साम्य मात्रा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
अभिक्रिया के लिए सन्तुलित रासायनिक समीकरण निम्नवत् है –
2NO(g) + Br2(g) ⇄ 2NOBr (g)
समीकरण के अनुसार, NO(g) के 2mol, Br2(g) के 1mol से अभिक्रिया करके, 2mol NOBr (g) बनाते हैं। साम्य-मिश्रण के संघटन की गणना निम्नवत् की जा सकती है –
साम्य पर निर्मित NOBr (g) के मोलों की संख्या = 0.0518mol (दिया है)
अभिक्रिया में भाग लेने वाले NO(g) के मोलों की संख्या = 0.0518mol साम्यावस्था पर NO(g) के शेष मोलों की संख्या
= 0.087 – 0.0518
= 0.0352 mol
अभिक्रिया में भाग लेने वाले Br2(g) के मोलों की संख्या
= 1/2 × 0.0518
= 0.0259
साम्यावस्था पर Br2(g) के शेष मोलों की संख्या
= 0.437 – 0.0259
= 0.0178 mol
विभिन्न स्पीशीज की प्रारम्भिक मोलर सान्द्रताएँ तथा साम्य मोलर सान्द्रताएँ निम्नवत् व्यक्त की जा सकती है –
प्रश्न 7.10
साम्य 2SO2 (g) + O2 (g) = 2SO3 (g) के लिए 450K पर Kp = 2.0 × 1010 bar है। इस ताप पर Kc का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
Kp तथा Kc में सम्बन्ध निम्नवत् है –
प्रश्न 7.11
HI(g) का एक नमूना 0.2 atm दाब पर एक फ्लास्क में रखा जाता है। साम्य पर HI(g) का आंशिक दाब 0.04 atm है। यहाँ दिये गये साम्य के लिए Kp का मान क्या होगा?
2HI(g) ⇄ H2g + I2(g)
उत्तर:
प्रश्नानुसार,
PHI = 0.04 atm, PH2 = 0.08atm, PI2 = 0.08atm
प्रश्न 7.12
500K ताप पर एक 20 L पात्र में N2 के 1.57 mol, H2 के 1.92 mol एवं NH3 के 8.13 mol का मिश्रण लिया जाता है। अभिक्रिया N2 (g) + 3H2(g) ⇄ 2NH3 (g) के लिए Kc × 102 का मान 1.7 × 102 है। क्या अभिक्रिया-मिश्रण साम्य में है? यदि नहीं तो नेट अभिक्रिया की दिशा क्या होगी?
उत्तर:
दी हुई अभिक्रिया
N2 (g) + 3H2(g) ⇄ 2NH3 (g)
प्रश्नानुसार,
चूँकि Q > Kc अत: अभिक्रिया विपरीत दिशा में होगी।
प्रश्न 7.13
एक गैस अभिक्रिया के लिए –
इस व्यंजक के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
उपर्युक्त व्यंजक के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण निम्नवत् है –
4NO(g) + 6H2O(g) → 4NH3(g) + 5O2(g)
प्रश्न 7.14
H2O का एक मोल एवं CO का एक मोल 725K ताप पर 10L के पात्र में लिए जाते हैं। साम्य पर 40% जल (भारात्मक) CO के साथ निम्नलिखित समीकरण के अनुसार अभिक्रिया करता है –
H2O(g) + CO(g) ⇄ H2 (g) + CO2(g)
अभिक्रिया के लिए साम्य स्थिारांक की गणना कीजिए।
उत्तर:
वास्तविक रूप से उपस्थित जल के मोलों की संख्या = 1 mol
तथा अभिकृत जल से प्रतिशत = 40%
अभिकृत जल के मोलों की संख्या = 1×40/100 = 0.4mol
शेष जल के मोलों की संख्या = (1.0 – 0.4) = 0.6mol
अतः अभिक्रिया के आरम्भ में तथा साम्यावस्था पर अभिकारकों तथा उत्पादों की मोलर सान्द्रता प्रति लीटर निम्नवत् है –
H2O(g) + CO(g) = H2(g) + CO2(g)
= 0.44
प्रश्न 7.15
700 K ताप पर अभिक्रिया H2(g) + I2(g) ⇄ 2HI(g) के लिये साम्य स्थिरांक 54.8 है। यदि हमने शुरू में HI(g) लिया हो, 700K ताप साम्य स्थापित हो तथा साम्य पर 0.5 mol L-1 HI(g) उपस्थित हो, तो साम्य पर H2(g) एवं I2(g) की सान्द्रताएँ क्या होंगी?
उत्तर:
माना H2(g) तथा I2(g) की साम्यावस्था पर सान्द्रता xmol L-1 है; तब
अभिक्रिया,
अतः साम्यावस्था पर [H2(g)] = 0.068mol L-1
तथा [I2 (g)] = 0.068 mol L-1
प्रश्न 7.16
ICI, जिसकी सान्द्रता प्रारम्भ में 0.78 M है, को यदि साम्य पर आने दिया जाए तो प्रत्येक की साम्य पर सान्द्रताएँ क्या होंगी?
2ICI(g) ⇄ I2(g) + Cl2(g); Kc = 0.14
उत्तर:
दी हुई हुई अभिक्रिया
प्रश्न 7.17
नीचे दर्शाए गए साम्य में 899K पर Kp का मान 0.04atm है। C2H6 की साम्य पर सान्द्रता क्या होगी यदि 4.0 atm दाब पर C2H6 को एक फ्लास्क में रखा गया है एवं साम्यावस्था पर आने दिया जाता है?
उत्तर:
अत: C2H6 की साम्य पर सान्द्रता = 4 – a
= 4 – 0.78
= 3.22
प्रश्न 7.18
एथेनॉल एवं ऐसीटिक अम्ल की अभिक्रिया से एथिल ऐसीटेट बनाया जाता है एवं साम्य को इस प्रकार दर्शाया जा सकता है –
CH3COOH (l) + C2H5OH (l) = CH3COOC2H5 (l) + H2O (l)
- इस अभिक्रिया के लिए सान्द्रता अनुपात (अभिक्रिया-भागफल) Qc लिखिए (टिप्पणी; यहाँ पर जल आधिक्य में नहीं है एवं विलायक भी नहीं है)
- यदि 293 K पर 1.00 mol ऐसीटिक अम्ल एवं 0.18 mol एथेनॉल प्रारम्भ में लिए जाएँ तो अन्तिम साम्य मिश्रण में 0.171 mol एथिल ऐसीटेट है। साम्य स्थिरांक की गाना पीना।
- 0.5 mol एथेनॉल एवं 1.0 mol ऐसीटिक अम्ल से प्रारम्भ करते हुए 293K ताप पर कुछ समय पश्चात् एथिल ऐसीटेट के 0.214 mol पाए गए तो क्या साम्य स्थापित हो गया?
उत्तर:
1. अभिक्रिया के लिए सान्द्रता अनुपात ‘Qc‘ है –
रासायनिक साम्यावस्था नियम लागू करने पर,
चूँकि Qc का मान Kc से कम है (Qc < Kc); अत: साम्यावस्था प्राप्त नहीं होगी। परन्तु अभिकारक अभिक्रिया में भाग लेने तथा उत्पाद बनाएँगे।
प्रश्न 7.19
437K ताप पर निर्वात में PCl5, का एक नमूना एक फ्लास्क में लिया गया। साम्य स्थापित होने पर PCl5, की सान्द्रता 0.5 × 10-1 mol L-1
पाई गई, यदि Kc का मान 8.3 × 10-3 है तो साम्य पर PCl3 एवं Cl2 की सान्द्रताएँ क्या होंगी?
PCl5(g) ⇄ PCl3 (g) + Cl2 (g)
उत्तर:
माना PCl5 की मोलर सान्द्रता प्रति लीटर = x mol
साम्यावस्था पर, PCl5 की मोलर सान्द्रता = 0.05 molL-1
∴ PCl5 के वियोजित मोल = (x – 0.05)mol L-1
PCl3 के प्राप्त मोल = (x – 0.05)mol L-1
Cl2 के प्राप्त मोल = (x – 0.05)mol L-1
अभिक्रिया से पहले तथा साम्य बिन्दु पर अभिकारकों तथा उत्पादों की मोलर सान्द्रता प्रति लीटर निम्नवत् है –
साम्य स्थिरांक (Kc) = 8.3 × 10-2 = 0.0083
रासायनिक साम्य का नियम लागू करने पर,
साम्य बिन्दु पर PCl3 की मोलर सान्द्रता = (0.07 – 0.05) = 0.02 mol L-1
साम्य बिन्दु पर Cl2 की मोलर सान्द्रता = (0.07 – 0.05) = 0.02 mol L-1
प्रश्न 7.20
लौह अयस्क से स्टील बनाते समय जो अभिक्रिया होती है, वह आयरन (II) ऑक्साइड का कार्बन मोनोक्साइड के द्वारा अपचयन है एवं इससे धात्विक लौह एवं CO2, मिलते हैं।
Feo(s) + CO(g) ⇄ Fe(s) + CO2 (g); Kp = 0.265 atm (1050 K एवं CO2 के साम्य पर आंशिक दाब क्या होंगे, यदि उनके प्रारम्भिक आंशिक दाब हैं –
PCO = 1.4atm एवं PCO2 = 0.80 atm
उत्तर:
चूंकि Qp, Kp से अधिक है; अत: अभिक्रिया पश्चगामी दिशा में अग्रसरित होगी अर्थात् CO2, का दाब घटेगा तथा CO का दाब बढ़ेगा। जिससे साम्यावस्था प्राप्त हो सके। अत: यदि CO2, के दाब में होने वाली कमी p है तो CO के दाब में वृद्धि p होगी।
साम्यावस्था पर,
PCO2 = (0.80 – p)atm
PCO = (1.4 + p)atm
KP = PCO2/PCO
⇒ 0.265 = (0.80−p)/(1.4+p)
या 0.265 (1.4 + p) = 0.80 – p
0.371 + 0.265 p = 0.80 – p
1.265 p = 0.429
p = 0.429/1.265 = 30.339atm
अतः साम्यावस्था पर,
PCO = 1.4 + 0.339 = 1.739 atm
PCO2 = 0.80 – 0.3393
= 0.461 atm
प्रश्न 7.21
अभिक्रिया N2 (g) + 3H2 (g) ⇄ 2NH3 (g) के लिए (500 K पर)साम्य स्थिरांक Kc = 0.061 है। एक विशेष समय पर मिश्रण का संघटन इस प्रकार है – 3.0 mol L-1 N2, 2.0 mol L-1H2 एवं 0.5 mol L-1NH3 क्या अभिक्रिया साम्य में है? यदि नहीं, तो साम्य स्थापित करने के लिए अभिक्रिया किस दिशा में अग्रसर होगी?
उत्तर:
दी गई अभिक्रिया है –
N2 (g) + 3H2 (g) ⇄ 2NH3 (g)
प्रश्नानुसार,
[N2] = 3.0mol L-1
[H2] = 2.0mol L-1
[NH3] = 0.5mol L-1
चूँकि Qc का मान Kc के मान (0.061) से कम है; अतः अभिक्रिया साम्यावस्था में नहीं है। यह तब अग्रगामी दिशा में होगी जब तक कि Qc का मान Kc के समान न हो जाए।
प्रश्न 7.22
ब्रोमीन मोनोक्लोराइड BrCl विघटित होकर ब्रोमीन एवं क्लोरीन देता है तथा साम्य स्थापित होता है –
2BrCl (g) ⇄ Br2 (g) + Cl2 (g)
इसके लिए 500K पर Kc = 32 है। यदि प्रारम्भ में BrCl की सान्द्रता 3.3 × 10-3 mol L-1 हो साम्य पर मिश्रण में इसकी सान्द्रता क्या होगी?
उत्तर:
माना साम्यावस्था प्राप्त करने के लिए BrCl के xmol वियोजित होते हैं। विभिन्न स्पीशीज की अंक तथा साम्य बिन्दु पर मोलर सान्द्रताएँ निम्नवत् प्रदर्शित की जा सकती है –
रासायनिक साम्यावस्था नियम से,
साम्य बिन्दु पर BrCl की मोलर सान्द्रता
= 3.3 × 10-3 – 3.0 × 10-3
= 3.0 × 10-4 mol L-1
प्रश्न 7.23
1127K एवं 1atm दाब पर CO तथा CO2, के गैसीय मिश्रण में साम्यावस्था पर ठोस कार्बन में 90.55% (भारात्मक) CO है।
C(s) + CO2 (g) ⇄ 2CO(g)
उपरोक्त ताप पर अभिक्रिया के लिए Kc के मान की गणना कीजिए।
उत्तर:
अभिक्रिया के लिए Kp की गणना –
माना गैसीय मिश्रण का कुल द्रव्यमान = 100 g
मिश्रण में CO का द्रव्यमान = 90.55g
मिश्रण में CO2, का द्रव्यमान = (100 – 90.55) = 9.45g
CO के मोलों की संख्या = 90.55g/28gmol−1 = 3.234 mol
CO2 मोलों की संख्या = 90.55g/44gmol−1 = 2.058 mol
मिश्रण में CO का आंशिक दाब,
मिश्रण में CO2, का आंशिक दाब,
अभिक्रिया के लिए Kc की गणना –
प्रश्न 7.24
298K पर NO एवं O2 से NO2 बनती है –
NO (g) + O2 (g) ⇄ NO2 (g)
अभिक्रिया के लिए (क) ∆GΘ एवं (ख) साम्य स्थिरांक की गणना कीजिए –
∆fGΘ (NO2) = 52.0 kJ/mol
∆fGΘ (NO) = 87.0 KJ/mol
∆fGΘ (O2) = oKJ/mol
उत्तर:
1. ∆GΘ = ∆fGΘ (NO2)
-[∆fGΘ (NO) + ∆fGΘ (1/2 O2)]
= 52.0 – (87.0 + 0)
∴ ∆GΘ = -35KJ mol-1
2. हम जानते हैं कि
∆GΘ = -2.303RT log Kc
∴ Kc = Antilog 6.314 = 1.36 × 106
प्रश्न 7.25
निम्नलिखित में से प्रत्येक साम्य में जब आयतन बढ़ाकर दाब कम किया जाता है, तब बताइए कि अभिक्रिया के उत्पादों के मोलों की संख्या बढ़ती है या घटती है यह समान रहती है?
(क) PCl5 (g) ⇄ PCl3 (g) + Cl2 (g)
(ख) CaO(s) + CO2 (g) ⇄ CaCO3 (s)
(ग) 3Fe(s) + 4H2O (g) ⇄ Fe3O4(s) + 4H2 (g)
उत्तर:
(क) दाब में कमी अग्रगामी अभिक्रिया को बढ़ायेगी और उत्पादों के मोलों की संख्या में वृद्धि होगी।
(ख) दाब की कमी से पश्चगामी अभिक्रिया बढ़ेगी और उत्पादों के मोलों की संख्या घटेगी।
(ग) चूँकि साम्य स्थिरांक पर दाब का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, अतः उत्पादों के मोलों की संख्या में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
प्रश्न 7.26
निम्नलिखित में से दाब बढ़ाने पर कौन-कौन सी अभिक्रियाएँ प्रभावित होंगी? यह भी बताएं कि दाब परिवर्तन करने पर अभिक्रिया अग्र या प्रतीप दिशा में गतिमान होगी?
उत्तर:
- मोलों की संख्या में अन्तर, ∆n = 1 + 1 – 1 – 1 दाब में वृद्धि पश्चगामी अभिक्रिया का समर्थन करेगी, चूंकि पश्चगामी दिशा में गैसीय घटकों के मोलों की संख्या प्रति इकाई आयतन (अर्थात् दाब) में कमी हो रही है।
- मोलों की संख्या में अन्तर, ∆n = (1 + 2) – (1 + 2) = 0 दाब में वृद्धि साम्यावस्था को प्रभावित नहीं करती, चूँकि अभिक्रिया के परिणामस्वरूप मोलों की संख्या में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा है।
- मोलों की संख्या में अन्तर, ∆n = 2 – 1 = 1, दाब में वृद्धि पश्चगामी अभिक्रिया का समर्थन करेगी, चूंकि पश्चगामी दिशा में गैसीय घटकों के मोलों की संख्य प्रति इकाई आयतन (अर्थात् दाब) में कमी हो रही है।
- मोलों की संख्या में अन्तर, ∆n = 1 – (2 + 1) = -2, दाब में वृद्धि अग्रगामी अभिक्रिया का समर्थन करेगी, चूंकि अग्रगामी दिशा में गैसीय घटकों के मोलों की संख्या प्रति इकाई आयतन (अर्थात् दाब) में कमी हो रही है।
- मोलों की संख्या में अन्तर, ∆n = 1; दाब में वृद्धि पश् चगामी अभिक्रिया का समर्थन करेगी, कि पश्चगामी दिशा में गैसीय घटकों के मोलों की संख्या प्रति इकाई आयतन (अर्थात् दाब) में कमी हो रही है।
- मोलों की संख्या में अन्तर,
∆n = (4 + 6) – (4 + 5) = 1
दाब में वृद्धि पश्चगामी अभिक्रिया का समर्थन करेगी, चूँकि पश्चगामी दिशा में गैसीय घटकों के मोलों की संख्या प्रति इकाई आयतन (अर्थात् दाब) में कमी हो रही है।
प्रश्न 7.27
निम्नलिखित अभिक्रिया के लिए 1024K पर साम्य स्थिरांक 1.6 × 105 है।
H2 (g) + Br2 (g) ⇄ 2HBr (8)
यदि HBr के 10.0 bar सीलयुक्त पात्र में डाले जाएँ तो सभी गैसों के 1024K पर साम्य दाब ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
kp की गणना –
गैसों के आंशिक दाब की गणना –
प्रश्न 7.28
निम्नलिखित ऊष्माशोषी अभिक्रिया के अनुसार ऑक्सीकरण द्वारा डाइहाड्रोजन गैस प्राकृतिक गैस से प्राप्त की जाती है –
CH4 (g) + H2O (g) ⇄ CO(g) + 3H2(g)
(क) उपरोक्त अभिक्रिया के लिए Kp का व्यंजक लिखिए।
(ख) Kp एवं अभिक्रिया मिश्रण का साम्य पर संघटन किस प्रकार प्रभावित होगा, यदि?
- दाब बढ़ा दिया जाए।
- ताप बढ़ा दिया जाए।
- उत्प्रेरक प्रयुक्त किया जाए।
उत्तर:
(क) दी हुई अभिक्रिया के लिए Kp का व्यंजक,
(ख)
- चूँकि दाब बढ़ाने से मोलों की संख्या प्रति इकाई आयतन बढ़ेगी, अतः दाब बढ़ाने से साम्यावस्था पश्चगामी अर्थात् बाईं ओर स्थानान्तरित होगी जिससे अभिकारकों का सान्द्रण बढ़ेगा और Kp का मान घटेगा।
- चूंकि वह ऊष्माशोपी अभिक्रिया है, अत: ला-शातेलिए नियम ताप बढ़ाने से अग्रगामी अभिक्रिया बढ़ेगी। अत: साम्यावस्था अग्रगामी अर्थात् दाईं ओर की स्थानान्तरित होगी, जिससे Kp का मान घट जायेगा।
- चूंकि उत्प्रेरक अग्रगामी तथा पश्चगामी दोनों अभिक्रियाओं को समान रूप से प्रभावित करता है, अतः इसकी उपस्थिति से साम्यावस्था अपरिवर्तित रहेगी।
प्रश्न 7.29
साम्य 2H2 (g) + Co(g) ⇄ CH3OH (g) पर प्रभाव बताइए –
(क) H2 मिलाने पर
(ख) CH3OH मिलाने पर
(ग) CO हटाने पर
(घ) CH3OH हटाने पर।
उत्तर:
(क) साम्यावस्था अग्रगामी दिशा में स्थानान्तरित हो जाएगी।
(ख) साम्यावस्था पश्चगामी दिशा में स्थानान्तरित हो जाएगी।
(ग) साम्यावस्था पश्चगामी दिशा में स्थानान्तरित हो जाएगी।
(घ) साम्यावस्था अग्रगामी दिशा में स्थानान्तरित हो जाएगी।
प्रश्न 7.30
473K पर फॉस्फोरस पेटाक्लोराइड PCl5 के विघटन के लिए Kc का मान 8.3 × 10-3 है। यदि विघटन इस प्रकार दर्शाया जाए तो
PCl5 (g) ⇄ PCl3 (g) + C2 (g) ∆rHΘ = 124.0kJ mol-1
(क) अभिक्रिया के लिए Kc का व्यंजक लिखिए।
(ख) प्रतीप अभिक्रिया के लिए समान ताप पर K. का मान क्या होगा?
(ग) यदि
- और अधिक PCl5 मिलाया जाए,
- दाब बढ़ाया जाए तथा
- ताप बढ़ाया जाए तो Kc पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
(क) Kc के लिए व्यंजक
= [PCl3(g)][Cl2(g)]/[PCl5(g)]
(ख) प्रतीप अभिक्रिया के लिए समान ताप पर Kc का मान
Kc = [PCl5(g)]/[PCl3(g)][Cl2(g)]
(ग)
- चूँकि ताप में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है, अतः PCl5, और मिलाने पर Kc का मान वहीं रहेगा।
- दाब बढ़ाने से अभिक्रिया कम आयतन की दिशा में अग्रसर होगी अर्थात् अभिक्रिया पश्चगामी दिशा में विस्थापित हो जायेगी जिससे Kc का मान घटेगा।
- चूँकि अभिक्रिया ऊष्माशोषी है, अत: ताप बढ़ाने पर अग्रगामी अभिक्रिया की ओर होगी। अतः Kc बढ़ जायेगा।
प्रश्न 7.31
हाबर विधि में प्रयुक्त हाइड्रोजन को प्राकृतिक गैस से प्राप्त मेथेन को उच्च ताप की भाप से क्रिया कर बनाया जाता है। दो पदों वाली अभिक्रिया में प्रथम पद में CO एवं H2, बनती हैं। दूसरे पद में प्रथम पद में बनने वाली CO और अधिक भाप से अभिक्रिया करती है।
CO (g) + H2O (g) ⇄ CO2 (g) + H2 (g) यदि 400°C पर अभिक्रिया पात्र में CO एवं भाप का सममोलर मिश्रण इस प्रकार लिया जाए कि PCO = PH2 = 4.0 bar, H2 का साम्यावस्था पर आंशिक दाब क्या होगा? 400°C पर Kp = 10.1
उत्तर:
अतः साम्यावस्था पर H2 का आंशिक दाब = 3.04 bar
प्रश्न 7.32
बताइए कि निम्नलिखित में से किस अभिक्रिया में अभिकारकों एवं उत्पादों की सान्द्रता सुप्रेक्ष्य होगी –
उत्तर:
(क) चूँकि Kc का मान बहुत कम है, अतः साम्यावस्था पर अभिकारकों की मात्रा बहुत अधिक है।
(ख) चूँकि Kc का मान अत्यधिक है, अतः साम्यावस्था . पर उत्पादों की मात्रा बहुत अधिक निकट है अर्थात् अभिक्रिया पूर्णता के निकट है।
(ग) चूँकि Kc का मान एक से अधिक है, अतः अभिकारकों की मात्रा उत्पादों की मात्रा से कम होगी जिससे अभिक्रिया में अभिकारकों तथा उत्पादों की सान्द्रता सुप्रेक्ष्य होगी।
प्रश्न 7.33
25°C पर अभिक्रिया 3O2 (g) = 2O3 (g) के लिए Kc का मान 2.0 × 10-50 है। यदि वायु में 25°C ताप पर O2 की साम्यावस्था सान्द्रता 1.6 × 10-2 है तो O3 की सान्द्रता क्या होगी?
उत्तर:
अभिक्रिया
प्रश्न 7.34
CO(g) + 3H2 (g) ⇄ CH4 (g) + H2O (g) अभिक्रिया एक लीटर फ्लास्क में 1300 K पर साम्यावस्था में है। इसमें CO के 0.3 mol, H2 के 0.01 mol, H2O के 0.02 mol एवं CH4 की अज्ञात मात्रा है। दिये गये ताप पर अभिक्रिया के लिए Kc का मान 3.90 है। मिश्रण में CH4 की मात्रा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
अभिक्रिया
प्रश्न 7.35
संयुग्मी अम्ल-क्षार युग्म का क्या अर्थ है? निम्नलिखित स्पीशीज के लिए संयुग्मी अम्ल/क्षार बताइए –
HNO2, CN–, HCIO4, F–, OH–, CO2−3 एवं S2- क्षार है।
उत्तर:
ऐसे अम्ल तथा क्षार के युग्मों को जो क्रमशः एक प्रोटॉन की उपस्थिति या अनुपस्थिति में परस्पर भिन्न होते हैं, संयुग्मी अम्ल-क्षारक युग्म कहते हैं। दिये हुए स्पीशीज में HNO2, CN–, HCIO4, F–, OH–, CO2−3 एवं S2- क्षार है।
इनके क्रमशः संगत संयुग्मी अम्ल/क्षार निम्नवत् है –
संयुग्मी क्षार – NH2– ClO4–
संयुग्मी अम्ल – HCN, HF, H2O, HCO−3, HS–
प्रश्न 7.36
निम्नलिखित में से कौन-से लूईस अम्ल हैं?
H2O, BF3, H+ एवं NH4+
उत्तर:
उपर्युक्त में से BF3, H+ लूईस अम्ल हैं।
प्रश्न 7.37
निम्नलिखित ब्रान्स्टेड अम्लों के लिए संयुग्मी क्षारकों के सूत्र लिखिए –
HF, H2SO4 एवं HCO3–
उत्तर:
प्रश्न 7.38
ब्रान्स्टेड क्षारकों NH2–, NH3 तथा HCOO– के संयुग्मी अम्ल लिखिए –
उत्तर:
प्रश्न 7.39
स्पीशीज. H2O, HCO3–, HSO4– तथा NH3 ब्रान्स्टेड अम्ल तथा क्षारक दोनों की भांति व्यवहार करते हैं। प्रत्येक के संयुग्मी अम्ल तथा क्षारक बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 7.40
निम्नलिखित स्पीशीज को लूईस अम्ल तथा क्षारक में वर्गीकृत कीजिए तथा बताइए कि ये किस प्रकार लूईस अम्ल-क्षारक के समान कार्य करते हैं –
(क) OH–
(ख) F–
(ग) H+
(घ) BCl3
उत्तर:
(क) चूँकि यह एक इलेक्ट्रॉन-युग्मदाता है, अतः यह लूईस क्षारक है।
(ख) चूँकि यह एक असहभागित इलेक्ट्रॉन-युग्म-दान कर सकता है, अतः यह लूईस क्षारक है।
(ग) चूंकि यह एक इलेक्ट्रॉन-युग्म ग्रहण करने की क्षमता रखता है, अतः यह लूईस अम्ल है।
(घ) चूंकि यह एक इलेक्ट्रॉन-युग्म ग्रहण करने की क्षमता रखता है, अत: यह लूईस अम्ल है।
प्रश्न 7.41
एक मृदु पेय के नमूने में हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता 3.8 × 10-3M है। उसकी pH परिकलित कीजिए।
उत्तर:
हम जानते हैं कि
pH = -log[H+]
= – log 3.8 × 10-3
= 2.4202
प्रश्न 7.42
सिरके के एक नमूने की pH 3.76 है। इसमें हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
[H+] = [H’ ] = 1.74 × 10-4 M
प्रश्न 7.43
HF, HCOOH तथा HCN का 298K पर आयनन स्थिरांक क्रमशः 6.8 × 10-4 1.8 × 10-4 तथा 4.8 × 10-9 है। इनके संगत संयुग्मी क्षारकों के आयनन स्थिरांक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हम जानते हैं कि –
प्रश्न 7.44
फीनोल का आयनन स्थिरांक 1.0 × 10-10 है। 0.05 M फीनोल के विलयन में फीनोलेट आयन की सान्द्रता तथा 0.01M सोडियम फीनेट विलयन में उसके आयनन की मात्रा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रथम स्थिति:
माना फीनोल के Cmol जल में घुलकर विलयन बनाते हैं तथा फीनोल के वियोजन की मात्रा a है। साम्य बिन्दु पर विभिन्न स्पीशीज की सान्द्रता इस प्रकार होगी –
द्वितीय स्थिति:
जब फीनोल (PhOH) को 0.01M सोडियम फीनेट विलयन में मिलाया जाता है, तब आयनन निम्नांकित प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है –
सोडियम फीनेट के आयनन के कारण PhO– की सान्द्रता (पूर्ण आयनन) = 0.01M
माना PhOH से PhO– आयनों की सान्द्रता = xM
∴ PhO– आयनों की कुल सान्द्रता अर्थात् [PhO–] = 0.01 + x ~ 0.01M (x अत्यन्त कम होने के कारण नगण्य है)
अनायनित PhOH की सान्द्रता = 0.05 – x = 0.05M
PhOH के लिए आयनन स्थिरांक –
प्रश्न 7.45
H2S का प्रथम आयनन स्थिरांक 9.1 × 10-8 है। इसके 0.1M विलयन में HS– आयनों की सान्द्रता की गणना कीजिए तथा बताइए कि यदि इसमें 0.1M HCl भी उपस्थित हो तो सान्द्रता किस प्रकार प्रभावित होगी? यदि H2S का द्वितीय वियोजन स्थिरांक 1.2 × 10-13 हो तो सल्फाइड S2- आयनों की दोनों स्थितियों में सान्द्रता की गणना कीजिए।
उत्तर:
प्रथम स्थिति:
0.1M H2S विलयन में [HS–] की गणना:
माना H2S के वियोजन की मात्रा = a
ओस्टवाल्ड तनुता नियम के अनुसार,
द्वितीया स्थिति – 0.1M HCl विलयन में [HS–] की सान्द्रता:
जब 0.1M HCI विलयन में H,S विलयन मिलाया जाता है, तब वियोजन निम्नवत् प्रदर्शित किया जा सकता है –
H2S ⇄ H+ + HS–; HCl → H+ + Cl–
HCl (प्रबल अम्ल) के वियोजन के कारण [H+] = 0.1M
माना H2S (दुर्बल अम्ल) के वियोजन के कारण [H+] = xM
H+ आयनों की कुल सान्द्रता अर्थात्
[H+] = 0.1 + x ~ 0.1M (x आत्यन्त कम होने के कारण उपेक्षणीय है)
विलयन में [HS–] = xM
अवियोजित H2S की सान्द्रता
= [H2S] = 0.1 – x ~ 0.1M
तृतीय स्थिति – 0.1M HCl की अनुपस्थिति में [S2-] की गणना:
सम्पूर्ण अभिक्रिया के लिए Ka की गणना हेतु दोनों समीकरणों से,
चतुर्थ स्थिति:
0.1M HCI की उपस्थिति में [S2-] की गणना:
माना H2S के वियोजन के कारण [S2] = zM
H2S का वियोजन निम्नवत् दर्शाया जा सकता है –
H+ आयनों की कुल सान्द्रता [H+] = 0.1 + 2z = 0.1M
विलयन में [S2-] = z
प्रश्न 7.46
ऐसीटिक अम्ल का आयनन स्थिरांक 1.74 × 10-5 है। इसके 0.05 M विलयन में वियोजन की मात्रा, ऐसीटेट आयन सान्द्रता तथा pH का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार,
Ka = 1.74 × 10-5
a = ?
c = 0.05M
[CH3COO–] = ? pH = ?
प्रश्न 7.47
0.01M कार्बनिक अम्ल [HA] के विलयम की PH, 4.15 है। इसके ऋणायन की सान्द्रता, अम्ल का आयनन स्थिरांक तथा PKa मान परिकलित कीजिए।
उत्तर:
ऋणायन की सान्द्रता ज्ञात करना –
pH = 4.15
c = 0.01
pH = -log[H3O+] = 4.15
log [H,3O+] = -4.15 + 1-1 = 5¯.85
[H3O+] = Antilog (5¯.85)
= 7.08 × 10-5
[ऋणायन] = [ H3O+] = 7.08 × 10-5 M
अम्ल का आयनन स्थिरांक ज्ञात करना
चूँकि a अत्यन्त कम है; अतः 0.01 – 0.01a = 0.01
प्रश्न 7.48
पूर्ण वियोजन मानते हुए निम्नलिखित विलयनों के pH ज्ञात कीजिए –
(क) 0.003 M HCI
(ख) 0.005 M NaOH
(ग) 0.002 M HBr
(घ) 0.002 M KOH
उत्तर:
प्रश्न 7.49
निम्नलिखित विलयनों के pH ज्ञात कीजिए –
(क) 2g TIOH को जल में घोलकर 2L विलपन बनाया जाए।
(ख) 0.3g Ca(OH)2 को जल में घोलकर 500 mL विलयन बनाया जाए।
(ग) 0.3g NaOH को जल में घोलकर 200 mL -विलयन बनाया जाए।
(घ)13.6M HCl के 1mL को जल से तनुकरण करके कुल आयतन 1L किया जाए।
उत्तर:
(क) 2L विलयन में 2g TIOH का pH का मान –
(ख) 500 mLविलयन में 0.3gCa(OH)2 का pH मान –
(ग) 200 mL विलयन में 0.3g NaOH का pH मान –
NaOH विलयन की मोलरता
(घ) 13.6M HCI विलयन के 1mL को 12 तक तनु करने पर PH मान –
तनु विलयन की मोलरता निम्नवत् ज्ञात की जा सकती है –
प्रश्न 7.50
ब्रोमोऐसीटिक अम्ल की आयनन की मात्रा 0.132 है। 0.1M अम्ल की pH तथा pKa का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार,
ब्रोमोऐसीटिक अम्ल की आयनन की मात्रा (α) = 0.132
तथा अम्ल की सान्द्रता = 0.1M
∴ [H+] = c × a
= 0.1 × 0.132
= 0.0132M
तथा PH = – log[H+]
= – log 0.0132
= – log (1.32 × 10-2) = 1.88
अब
pKa = -log Ka
= -log(2.01 × 10-3) = 2.70
प्रश्न 7.51
0.005 M कोडीन (C18H21NO3) विलयन का pH 9.95 है। इसका आयनन स्थिरांक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार,
प्रश्न 7.52
0.001M ऐनिलीन विलयन का pH क्या है? ऐनिलीन का आयनन स्थिरांक सारणी 7.7 से ले सकते हैं। है। इसके संयुग्मी अम्ल का आयनन स्थिरांक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 7.53
यदि 0.05 M ऐसीटिक अम्ल के PKa का मान 4.74 है तो आयनन की मात्रा कीजिए। यदि इसे (अ) 0.01M (ब) 0.1M HCI विलयन में डाला जाए तो वियोजन की मात्रा किस प्रकार प्रभावित होती है?
उत्तर:
हम जानते हैं कि
pKa = -log ka
4.74 = -log Ka
log Ka = -4.74 + 1-1
log Ka = 5.26
Ka = Antilog (5.26)
= 1.8 × 10-5
अब, Ka = ca2
या a = (√Ka/c) = √{(1.8×10−5)0.05}
= √(3.6×10−4)
= 1.92 × 10-2
= 0.019
= 1.9%
(अ) 0.01M HCl विलयन में डालने पर,
(ब) 0.1M HCI विलयन में डालने पर, उपर्युक्त की भाँति,
x = 0.05×1.8×10−50.1
= 9.0 × 10-6M
a = xc = 9×10−60.05
= 1.8 × 10-4
स्पष्ट है कि इस स्थिति में वियोजन की मात्रा 0.01M HCl से 10 गुना कम हो जाती है।
प्रश्न 7.54
डाइमेथिल ऐमीन का आयनन स्थिरांक 5.4 × 10-4 है। इसके 0.02 M विलयन की आयनन की मात्रा की गणना कीजिए। यदि यह विलयन NaOH प्रति 0.1M हो तो डाइमेथिल ऐमीन का प्रतिशत आयनन क्या होगा?
उत्तर:
प्रश्नानुसार,
यह NaOH की अनुपस्थिति में वियोजन की मात्रा 0.164 से अत्यन्त कम है।
प्रश्न 7.55
निम्नलिखित जैविक द्रवों, जिनमें PH दी गई है, की हाइड्रोजन आयन सान्द्रता परिकलित कीजिए –
(क) मानव पेशीय द्रव, 6.83
(ख) मानव उदर द्रव, 1.2
(ग) मानव रुधिर, 7.38
(घ) मानव लार, 6.4
उत्तर:
(क) प्रश्नानुसार, PH = 6.83
∵log1/[H+]
या log1[H+] = 6.83
1/[H+] = Antilog 6.83
या [H+] = Antilog (-6.83)
= 1.48 × 10-7
(ख) मानव उदर द्रव [H+] सांद्रता
∵ PH = 1.2
∴ log1/[H+] = Antilog (1.2)
या [H+] = Antilog (-1.2)
= 6.309 × 10-2 M
(ग) मानव रुधिर [H+] सांद्रता
∵ PH = 3.8
∴log1/[H+] = 7.38
या [1/H+] = Antilog (7.38)
या [H+] = Antilog (-7.38)
= 4.168 × 10-8
(घ) मानव लार का [H+]
∵ PH = 6.4
∴ log1/[H+] = 6.4
या log1/[H+] = Antilog (6.4)
या [H+] = Antilog (-6.4)
= 3.981 × 10– 7
प्रश्न 7.56
दूध, कॉफी, टमाटर रस, नींबू रस तथा अण्डे की सफेदी के pH का मान क्रमशः 6.8, 5.0, 4.2, 2.2 तथा 7.8 है। प्रत्येक के संगत H+ आयन की सान्द्रता ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
(क) दूध की [H+]
pH = 6.8 या log [1/H+] = 6.8
[1/H+] = Antilog (6.8)
या [H+] = Antilog (-6.8)
= 1.585 × 10– 7
(ख) मानव उदर द्रव [H+]
pH = 1.2 या log [1/H+] = 5.0
[1/H+] = Antilog (5.0)
या [H+] = Antilog (-5.0)
= 1.0 × 10– 5 M
(ग) मानव रुधिर की [H+]
pH = 7.38 या log [1/H+] = 4.2
[1/H+] = Antilog (4.2)
या [H+] = Antilog (-4.2)
= 6.309 × 10– 5 M
(घ) मानव लार का [H+]
pH = 2.2 या log [1/H+] = 2.2
[1/H+] = Antilog (2.2)
या [1/H+] = Antilog (-2.2)
= 6.309 × 10– 3 M
(डं) अण्डे की सफेदी की [H+]
PH = 7.8 या log [1/H+] = 7.8
[1/H+] = Antilog (7.8)
या [H+] = Antilog (-7.8)
= 1.585 × 10– 8 M
प्रश्न 7.57
298K पर 0.561g, KOH जल में घोलने पर प्राप्त 200 mL विलयन की PH, पौटेशियम, हाइड्रोजन तथा हाइड्रॉक्सिल आयनों की सान्द्रताएँ ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
विलयन की मोलर सान्द्रता
क्योंकि KOH एक प्रबल विद्युत-अपघट्य है, यह जलीय विलयन में पूर्णतया वियोजित हो जाता है –
[K+] = 0.05M = 5.0 × 10– 2M
[OH–] = 0.05M = 5 × 10– 2M
विलयन के pH की गणना निम्नलिखित प्रकार की जा सकती है –
= 12.70
प्रश्न 7.58
298K पर Sr (OH)2 विलयन की विलेयता 19.23 g/L है। स्ट्रांशियम तथा हाइड्रॉक्सिल आयन की सान्द्रता तथा विलयन की pH ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
विलयन की मोलरता
प्रश्न 7.59
प्रोपेनोइक अम्ल का आयनन स्थिरांक 1.32 है। 0.05 × 10– 5M अम्ल विलयन के आयनन की मात्रा तथा pH ज्ञात कीजिए। यदि विलयन में 0.01M HCl मिलाया जाए तो आयनन की मात्रा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रोपेनोइक अम्ल की आयनन की मात्रा (a) ज्ञात करना –
ओस्टवाल्ड तनुता नियम के अनुसार,
विलयन के pH की गणना –
0.01M HCl विलयन में प्रोपेनोइक अम्ल के आयनन की मात्रा का परिकलन –
CH3CH2COOH ⇄ CH3CH2COO– + H+
HCl की उपस्थिति में CH3CH2COOH का आयतन कम होगा। यदि c, अम्ल की प्रारम्भिक होती है तथा साम्यावस्था पर वियोजित मात्रा x है, तब
प्रश्न 7.60
यदि साइनिक अम्ल (HCNO) के 0.1M विलयन की PH, 2. 34 हो तो अम्ल के आयनन स्थिरांक तथा आयनन की मात्रा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
विलयन में आयनन की मात्रा का परिकलन –
अम्ल के आयनन स्थिरांक का परिकलन –
प्रश्न 7.61
यदि नाइट्रस अम्ल का आयनन स्थिरांक 4.5 × 10– 4 है तो 0.04M सोडियम नाइट्राइट वियलन की pH तथा जलयोजन की मात्रा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
सोडियम नाइट्राइट (NaNO2), प्रबल क्षार (NaOH) तथा दुर्बल अम्ल (HNO2) का एक लवण है।
प्रश्नानुसार,
जलीय विलयन में NaNO2 का जलयोजन निम्न प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं –
प्रश्न 7.62
यदि पिरीडिनीयम हाइड्रोजन क्लोराइड के 0.02M विलयन का pH3.44 है तो पिरीडीन का आयनन स्थिरांक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
पिरीडिनीयम हाइड्रोजन क्लोराइड (C6H5N+HCl–) प्रबल अम्ल तथा दुर्बल क्षारक का लवण है। विलयन का pH निम्नवत् है –
प्रश्न 7.63
निम्नलिखित लवणों के जलीय विलयनों के उदासीन, अम्लीय तथा क्षारीय होने की प्रागुक्ति कीजिए –
NaCl, KBr, NaCN, NH4 NO3, NaNO2, तथा KF
उत्तर:
उदासीन:
NaCl, KBr
क्षारीय:
NaCN, NaNO2, KF
अम्लीय:
NH4NO3
प्रश्न 7.64
क्लोरोऐसीटिक अम्ल का आयनन स्थिरांक 1.35 × 10– 3 है। 0.1M अम्ल तथा इसके 0.1M सोडियम लवण की pH ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
0.1M क्लोरोऐसीटिक अम्ल विलयन के pH की गणना
0.01M अम्ल के सोडियम लवण के pH की गणना –
प्रश्न 7.65
310 K पर जल का आयनिक गुणनफल 2.7 × 10– 14 है। इसी तापक्रम पर उदासीन जल की pH ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार, चूँकि जल उदासीन है;
[H3O+] = [OH]
हम जानते हैं कि
प्रश्न 7.66
निम्नलिखित मिश्रणों की pH परिकलित कीजिए –
(क) 0.2 M Ca(OH)2 का 10 mL + 0.1M HCI का 25 mL
(ख) 0.01M H2SO4 का 10 mL + 0.01M Ca(OH)2 at 10 mL
(ग) 0.1M H2SO4 का 10 mL + 0.1M KOH का 10 mL
उत्तर:
(क) 0.2M Ca(OH)2 के 10 mL तथा 0.1M HCI के 25 mL के विलयन का pH –
मिश्रित करने पर, Ca(OH)2 विलयन की मोलरता –
= {(0.2M)×(10mL)}/(35mL) = 0.057M
विलयन में [OH–] = 2 × 0.057M = 0.114M
मिश्रित करने पर, HCl विलयन की मोलरता
= {(0.2M)×(10mL)}/(35mL) = 0.071M
विलयन में [H+] = 0.071M
उदासीनीकरण के पश्चात् विलयन में
[OH–] = (0.114 – 0.071)
= 0.043M
POH = – log [OH–]
= -log (4.3 × 10-2)
= 1.367 ~ 1.37
pH = 14 – pOH
= 14 – 1.37
= 12.63
(ख) 0.01M H2SO4 के 10 mL तथा 0.01M Ca(OH)2 10 mL as factera at pH –
मिश्रित करने पर, H2SO4 विलयन की मोलरता
= {(0.01M×10mL)}/(20mL)
= 0.005M
विलयन में [H+] = 0.005 × 2 = 0.01M
मिश्रित करने पर, Ca(OH)2 विलयन की मोलरता
= {(0.01M×10mL)}/(20mL)
= 0.005M
विलयन में [OH–] = 0.005 × 2 = 0.01M
चूँकि विलयन में [H+] तथा [OH–] समान है; अत: यह उदासीन प्रवृत्ति का है।
∴ विलयन का pH = 7
(ग) 0.1M H2SO4 के 10 mL तथा 0.1M KOH के 10 mL के विलयन का pH –
मिश्रित करने पर, H2SO4 विलयन की मोलरता
= {(0.01M×10mL)}/(20mL) = 0.05 M
विलयन में [H+] = 0.05 M × 2 = 0.05 M
मिश्रित करने पर, KOH विलयन की मोलरता
= {(0.01M×10mL)}/(20mL) = 0.05M
विलयन में [OH–] = 0.05 M
उदासीनीकरण के पश्चात् विलयन में
[H+] = 0.1 – 0.05 = 0.05M
pH = -log [H+] = -log (5 × 10-2)
= 1.301
प्रश्न 7.67
सिल्वर क्रोमेट, बेरियम क्रोमेट, फेरिक हाइड्रॉक्साइड, लेड क्लोराइड तथा मयूरस आयोडाइड विलयन की सारणी 7.9 में दिए गए विलेयता गुणनफल स्थिरांक की सहायता से विलेयता ज्ञात कीजिए तथा प्रत्येक आयन की मोलरता भी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
1. सिल्वर क्रोमेट (Ag2CrO4) के लिए –
2. बेरियम क्रोमेट (BaCrO4) के लिए – बेरियम क्रोमेट जल में निम्नानुसार वियोजित होता है –
3. फेरिक हाइड्रॉक्साइड [Fe(OH)3] विलयन के लिए – फेरिक हाइड्रॉक्साइड जल में निम्नानुसार वियोजित होता है –
4. लेड क्लोराइड (PbCl2) विलयन के लिएलेड क्लारोइड जल में निम्नानुसार वियोजित होता है –
माना लवण की जल में विलेयता = s
5. मयूरस आयोडाइड (Hg2I2) विलयन के लिए मयूंरस आयोडाइड जल में निम्नानुसार वियोजित होता है –
प्रश्न 7.68
Ag2CrO4 तथा AgBr का विलेयता गुणनफल स्थिरांक क्रमशः 1.1 × 10-12 तथा 5.0 × 10-13 है। उनके संतृप्त विलयन की मोलरता का अनुपात ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
Ag2CrO4 विलयन की मोलर विलेयता (मोलरता) ज्ञात करना:
AgBr विलयन की मोलर विलेयता (मोलरता) ज्ञात करना: AgBr के वियोजित होने की अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण निम्नवत् है –
अतः संतृप्त विलयनों की मोलरताओं के अनुपात
प्रश्न 7.69
यदि 0.002 M सान्द्रता वाले सोडियम आयोडेट तथा क्यूप्रिक क्लोरेट विलयन के समान आयतन को मिलाया जाए तो क्या कॉपर आयोडेट का अवक्षेपण होगा? (कॉपर आयोडेट के लिए Ksp = 7.4 × 10-8)
उत्तर:
कॉपर आयोडेट का विलेयता साम्य निम्नवत् प्रदर्शित किया जा सकता है –
Cu(IO3)2 ⇄ Cu2+ (aq) + 2IO3– (aq)
Cu2+ (aq), कॉपर क्लोरेट विलयन से तथा IO3–(aq) आयन सोडियम आयोडेट विलयन से प्राप्त होंगे।
बँकि विलयनों के समान आयतनों को मिलाया जाता है, – इसलिए Cu2+(aq) तथा IO3–(aq) आयनों की विलयन में मिलाने के पश्चात् सान्द्रता कम होकर आधी रह जाएगी अर्थात् (0.02M2 = 0.001M)
आयनिक गुणनफल = [Cu2+][IO3–]2
= (0.001) × (0.001)2
= 1.0 × 10-9
Cu(IO3)2 का Ksp का मान = 7.4 × 10-8 (दिया है)
चूँकि आयनिक गुणनफल, Ksp से कम है; अतः (Cu(IO3)2, अवक्षेपित नहीं होगा।
प्रश्न 7.70
बेन्जोइक अम्ल का आयनन स्थिरांक 6.46 × 10-5 तथा सिल्वर बेन्जोएट का Ksp 2.5 × 10-13 है। 3.19 pH वाले बफर विलयन में सिल्वर बेन्जोएट जल की तुलना में कितना गुना विलेय होगा?
उत्तर:
जल में सिल्वर बेन्जोएट की विलयेता की गणना
3.19 वाले बफर में सिल्वर बेन्जोएट की विलेयता की गणना:
बेन्जोइक अम्ल के लिए,
पुनः माना बफर में सिल्वर बेन्जोएट की विलेयता y molL-1 है। तब
अत: बफर तथा जल में सिल्वर बेन्जोएट की विलेयताओं का गुणनफल
प्रश्न 7.71
फेरस सल्फेट तथा सोडियम सल्फाइड के सममोलर विलयनों की अधिकतम सान्द्रता बताइए जब उनके समान आयतन मिलाने पर आयरन सल्फाइड अवक्षेपित न हो। (आयरन सल्फाइड के लिए Ksp = 6.3 × 10-18)।
उत्तर:
माना FeSO4 तथा Na2S दोनों विलयनों की सान्द्रताएँ (मिलाने से पहले) xmol L-1 या XM हैं। चूंकि विलयनों के समान आयतन मिलाए जाते हैं; अतः मिलाने पर विलयन तथा आयनों की सान्द्रताएँ घटकर आधी अर्थात् x2 रह जाती हैं। Fes के लिए, विलेयता गुणनफल (Ksp) = 6.3 × 10-18 (दिया है)
दोनों विलयनों की अधिकतम साद्रताएँ 5.02 × 10-9M हैं।
प्रश्न 7.72
1 ग्राम कैल्सियम सल्फेट को घोलने के लिए कम से कम कितने आयतन जल की आवश्यकता होगी? (कैल्सियम सल्फेट के लिए Ksp) = 9.1 × 10-6)।
उत्तर:
कैल्सियम सल्फेट का वियोजन निम्नवत् होता है –
प्रश्न 7.73
0.1M HCI में हाइड्रोजन सल्फाइड से संतृप्त विलयन की सान्द्रता 1.0 × 10-19 M है। यदि इस विलयन का 10 mL निम्नलिखित 0.04M विलयन के 5 mL में डाला जाए तो किन विलयनों से अवक्षेप प्राप्त होगा?
FeSO4, MnCl2, ZnCl2, CdCl2.
उत्तर:
प्रश्नानुसार,
धातु आयनों [M2+] की सान्द्रता
= 5 × 0.04 × 10-3 mol L-1
= 2 × 10-4 mol L-1
M1V1 = M2V2
चूँकि Zns का Ksp 2.0 × 10-23 है तो आयनिक गुणनफल से अधिक है; अत: यह अवक्षेपित नहीं होगा। F का Kp, 6.3 × 10-18 है, Cds का Ksp, 2.5 × 10-13 तथा CdS का Ksp 8.0 × 10-27 है। चूंकि CdS का Ksp आयनिक गुणनफल से कम है, इसलिए CaCl2 में अवक्षेपण हो जाएगा।