Binayak Bhaiya

Chapter 1 रस्सी का टुकड़ा

रस्सी का टुकड़ा

प्रतिपूर्ति रस्सी का टुकड़ा कहानी का सारांश गाइ-डि मोपासाँ (1850-1893)

प्रश्न-‘रस्सी का टुकड़ा’ शीर्षक कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखें

उत्तर-प्रस्तुत पद लघु कहानी “रस्सी का टुकड़ा” गाइ-डि मोपासाँ द्वारा लिखित एक कहानी गोदरविल जाने वाली सड़क से प्रारंभ होती है। गोदरविल एक उपनगर है जहाँ साप्ताहिक हाट के दिन सुदूर ग्रामीण-अंचलों से किसानों तथा उनकी पत्नियों का अपार जनसमूह एकत्रित होकर अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं के समान की खरीद-फरोख्त करते हैं।।

आज साप्ताहिक हाट का दिन है, पुरुषों तथा महिलाओं की लम्बी कतारें गोदरविल में लगनेवाली हाट की ओर जानेवाले सड़क-मार्ग पर आगे बढ़ रही है। किसानों के नीले रंग की साफ-सुथरी कफ की हुई कमीजें पहने किसानों पर कठिन-परिश्रम की थकावट स्पष्ट दिख पड़ती है। औरतें छोटे-से शाल में लिपटी हुई है। गाय-बछड़े, मुर्ग-मुर्गियाँ तथा अन्य सामान लेकर अनेकों पुरुष महिलाएँ हाट में बिक्री के लिए ले जा रहे हैं। गोदरविल के चौराहे पर खरीद बिक्री करने वालों की भीड़ है। अस्तबल में मवेशियों, गोबर, भूसे पसीने की गंध आ रही है।

ब्रोत निवासी होशेकम गोदविल पहुँचता है। उसकी नजर जमीन पर पड़े एक रस्सी के टुकड़े पर पड़ती है। होशेकम की मान्यता है कि हर उपयोगी वस्तु को उठा लेना चाहिए। अतः वह रस्सी के टुकडे को उठा लेता है। रस्सी के टुकड़े को लपेटते समय उसकी नजर मैत्र मलादे नामक व्यक्ति पर पड़ती है, जो अपने घर की देहरी पर खड़ा था। मलादे से किसी बात को लेकर होशेकम की अनबन थी। इसलिए होशेकम उसकी नजर बचाकर उस रस्सी के टुकड़े को जेब में रख लेना चाहता है। वह कुछ ऐसी मुद्रा बनाता है मानों किसी वस्तु को वह खोज रहा है।

वह नहीं चाहता है कि मलादे वास्तविकता को जान जाए वह फौरन वहाँ से आगे बढ़ जाता है तथा हाट की भीड़ में पहुँच जाता है जो खरीद-फरोख्त तथा मोल-तोल में व्यस्त है। धीरे-धीरे भीड़ छंटने लग जाती है। काफी संख्या में लोग मैत्र-जुर्दे के भोजनालय में खाना खाने आते हैं। स्वादिष्ट भोजन के लिए वह होटल प्रसिद्ध है। होशेकम भी वहाँ खाना खाने के लिए जाता है। अचानक बाहर अहाते में नगाड़ा पीटने की आवाज के बीच एक मुनादी (सूचना) की जाती है।

उस घोषणा द्वारा कहा जाता है कि मैत्र फोरच्यून हुलब्रेक का एक बटुआ (पर्स) सुबह नौ से दस बजे के बीच बेंजेविल जाने वाली सड़क पर खो गया है जिसमें पाँच सौ फ्रैंक और व्यापार से संबंधित जरूरी कागजात है। पाने वाला व्यक्ति इसे मेयर के कार्यालय अथवा मैल हुलब्रैक को लौटा दें। बतौर इनाम बीस फ्रैंक उसे दिए जाएँगे। थोड़ी देर के बाद वर्दी में एक पुलिस अधिकारी उस होटल में पहुँचता है। वह वहाँ उपस्थित लोगों से पूछता है कि ब्रोत निवासी मैच हेशेकम वहाँ पर है अथवा नहीं। होशेकम सामने आकर कहना है कि उसी का नाम होशेकम है।

पुलिस अधि कारी उसे मेयर के कार्यालय ले जाता है। मेयर द्वारा उस पर पर्स को उठा लेने का आरोप लगाने पर वह इससे इंकार करता है तथा रस्सी का टुकड़ा पाने का पूरा विवरण देता है। किन्तु मेयर उसकी बातों से आश्वस्त नहीं होता है। यद्यपि होशेकम कसम भी खाता है। अंत में मेयर उसे चेतावनी देकर छोड़ देता है।

चारों ओर यह अफवाह उड़ जाती है कि होशेकम ने ही उस पर्स को पाया। कोई व्यक्ति होशेकम की बातों पर विश्वास नहीं करता है। भीड़ उसे घेर लेती है तथा ताने। पशब्द कहती है। हताश निराश वह घर लौट आता है। अगले दिन दोपहर करीब एक बजे भी मानदिल के पशु-व्यापारी मैत्र ब्रैतो का एक कर्मचारी मारियस पोमेल ने भरा हुआ बटुआ मानबिल के मैत्र हुब्रेक को लौटा देता है। मैत्र होशेकम को भी इसकी सूचना दी जाती है।

वह प्रसन्नता से गद्-गद् हो जाता है। वह फौरन गाँव में घूम-घूमकर इसकी सूचना देता है। साथ ही अपनी कहानी सबको सुनाने लगता है। किन्तु लोगों को उसकी बातों पर विश्वास नहीं होता है। लोगों का कहना है कि वह उसकी चाल है तथा उसने ही पर्स को पाया था तथा बात फैल जाने पर अपने आदमी द्वारा उसे लौटा दिया। उसके द्वारा बार-बार सफाई देने का भी कोई असर लोगों पर नहीं पड़ता है।

अगले सप्ताह वह गोदरविल के बाजार जाता है। केवल इसलिए कि वहाँ पर वह लोगों को सच्चाई से अवगत करा सके। अपने दरवाजे पर खड़ा मलादे के मुख पर एक क्रूर हँसी नाच रही है। वहाँ केकेतो के एक किसान ने होशेकम द्वारा अपनी सफाई में कही गई बातों पर आक्रोश में उसके पेट में एक मुक्का मारा और कहा, “बदमाश कहीं का।” होशेकम उसके इस व्यवहार से हतप्रभ हो गया। जूदे के भोजनालय में भी लोगों ने उसे झूठा, धूर्त आदि कहा। यह भी कि उसने बात खुल जाने के डर से अपने किसी आदमी द्वारा पर्स लौटा दिया है। निराश वह घर लौट आया।

अपने को निर्दोष बताने का उसका यह क्रम चलता रहता है, किन्तु अब लोग मजाक उड़ाते हैं अथवा बुरा-भला कहते हैं। दिसंबर का अन्त आते-आते वह बिस्तर पकड़ लेता है। जनवरी के शुरू होते ही उसकी मृत्यु हो जाती है। मरने से पहले वह अक्सर बेहोशी अथवा अर्द्धचेतनावस्था में अपनी बेगुनाही का दावा करता रहा और दोहराता रहा, “रस्सी का एक टुकड़ा, रस्सी का एक टुकड़ा …… देखिए ………. यह रहा, मास्यू मेयर।”

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