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Binayak Bhaiya

Chapter 2 क्लर्क की मौत

क्लर्क की मौत

क्लर्क की मौत कहानी का सारांश अंतोन चेखव (1860-1904)

प्रश्न 1.
‘क्लर्क की मौत’ शीर्षक कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर-
“क्लर्क की मौत” शीर्षक रूसी कथाकार अंतोन चेखब द्वारा लिखित एक रोचक कहानी है। लेखक के कहानी की विशेषता-समाज एवं मनुष्य की भावनाओं का सही चित्रण है। लेखक एक अद्वितीय कलाकार भी हैं। मानव जीवन का चित्रण करना उनके कला की विशेष विशेषता है। उनकी रचनायें बोधगम्य एवं भावनाओं के निकट है। उनकी रचना संपूर्ण मानव मात्र हेतु एक आदर्श है।

‘क्लर्क की मौत’ शीर्षक कहानी में लेखक ने एक क्लर्क के जीवन का सजीव, चित्र उपस्थिति किया है।

इवान दमीत्रिव चेरव्यकोव जो पेशे से क्लर्क या एक रात अव्वल दर्जे के दूसरी पंक्ति में बैठा दूरबीन से ‘लेक्लीचेस दे कर्नविल’ खेल देख रहा था। अचानक उसे छींक आ जाती है, वह रूमाल से नाक पोंछता है और शिष्ट आचरण से आसपास देखता है कि उसने छौंकने से किसी को असुविधा तो नहीं हुई? इतने से पहली पंक्ति के ठीक सामने बैठे एक गंजे व्यक्ति को अपनी गंजी खोपड़ी और गरदन दस्ताने से पोंछते और बड़बड़ाते देखकर वह झेंप जाता है।

क्योंकि वह जो व्यक्ति है, पहचान का है, कोई सामान्य नहीं बल्कि यातायात मंत्रालय के सिविल जनरल मि. ब्रिजालोव है। अत: इवान दमीत्रिच चेरव्यकोव मन में पश्चाताप और संकोच के साथ सामने झुककर उनकी काम में धीरे से क्षमा याचना करने लगता है। इस पर जनरल ने कहा-“अजी कोई बात नहीं……” किन्तु दुबारा पुनः क्षमा माँगने पर मि. ब्रिजालोव कहता है-“क्या तुम चुप नहीं रह सकते?”

क्लर्क इवान इमीत्रिच विले देखने की कोशिश करने लगा किन्तु उसे बेचैनी मन में हो रही थी कि उसने इतने बड़े अफसर के शरीर पर छींक मार दिया है। अत: खेल के मध्यांतर में फिर साहस जुटा कर फिर क्षमा माँगने चला जाता है किन्तु जनरल फिर बात को यूँ ही टाल जाता है।

घर पहुँचकर चेरव्यकोव ने अपनी पत्नी को पूरी घटना सुनायी उसकी कहानी को बड़े बेपरवाही से सुनी। पहले सहम गयी फिर यह जानकर कि मि. ब्रिजालोव ‘पराया’ विभाग का अफसर है निश्चित हो गयी। लेकिन फिर अपने पति से कहती है “लेकिन मेरा ख्याल है तुम्हें जाकर माफी माँग लेनी चाहिये नहीं तो वे समझेंगे तुम्हें भले आदमियों में बैठने का शहुर नहीं है।” यह सुनकर पति कहता है-‘यही तो मैंने माफी मांगने की कोशिश की थी पर इसका ढंग न ऐसी अजीब था……कोई कायदे की बात ही नहीं की। फिर बात करने का मौका भी नहीं था।”

अगले दिन चेरव्यकोव बाल कटवाये, नहाये-धोये, नई वर्दी पहनकर जनरल ब्रिजलोव से पुनः ठीक से काफी माँगने उनके मुलाकाती कमरे में जा पहुँचता है, जो प्रार्थियों से पूरा भरा पड़ा था। जनरल खुद अपनी अर्जियाँ सुन रहा था। कुछ लोगों से बातें करते-करते जनरल को निगाह अचानक इसके चेहरे पर टिक जाती है।

“हुजूर, कल रात, आर्केडिया में, क्लर्क चेरिव्यकोव कहना शुरू करता है कि उसने जानबूझ कर नहीं छींका था बल्कि अचानक छीक……….. “किन्तु जनरल उसकी कुछ न सुनते हुए सिर्फ इतना कहता है “उफ, क्या बकवास है।”

जब अन्तिम मुलाकाती से बातें कर जनरल अपने कक्ष की ओर बढ़ता है, तो क्लर्क फिर रूआँसा सा चेहरा बनाकर भिनभिनाने लगता है-“हुजूर मुझे माफ करें। हार्दिक पश्चाताप होने के कारण ही मैं आपको कष्ट देने का दुस्साहस कर पा रहा हूँ।”…. जनरल रूआँसा चेहरा बना कर कहता है” तुम तो मेरा मजाक उड़ा रहे हो जनाब।” और दरवाजे के अन्दर चला जाता है।

मजाक ! इसमें तो कोई मजाक की बात नहीं…….आदि सोचता चेरव्यकोव घर पहुँचा, फिर सोचता-विचारता रहा कि क्या इन बातों को पत्र में लिखकर क्षमा माँगा जाये न या यूँ ही। इन्हीं उधेड़बुन में क्लर्क महोदय दूसरे दिन भी जनरल के पास पहुँचकर कहना शुरू कर देता है-” श्रीमान् कल आपको कष्ट……, मजाक तो नहीं………बड़ो…….किन्तु इतना सुनते-सुनते जनरल आग बबूला होकर चीखते हुए कहता है-“निकल जाओ”।

भय से स्तंभित चेरव्यकोव फुसफुसाया, “क………क……..क्या? गुस्से से लाल-पीले होते और पैर पटकते हुए जनरल ने दुहराया-“निकल जाओ”।

चेरव्यकोव हताश लड़खड़ाते हुए दरवाजा से बाहर निकल कर सड़क पर स्तंभित, भयभीत मन:स्थिति में संज्ञाशून्य यंत्रचालित सड़क पर बढ़ता हुआ घर पहुँचकर वर्दी पहने ही जैसा का तैसा, सोफे पर लेट जाता है। लगता है उसके भीतर कुछ टूट-सा गया है और इसी उहापोह में मृतप्राण सा पड़ा रह जाता है।।

इस प्रकार इस कहानी में क्लर्क एवं यातायात मंत्रालय के सिविल जनरल मि. ब्रिजालोव के चारित्रिक विशेषताओं का बड़ा ही कुशलतापूर्वक वर्णन किया गया है। क्लर्क ‘इवान् दमित्रिच चेरव्यकोव एक मजाकिया और साथ ही अपनी जवाबदेही का पूरा ध्यान रखने वाला व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया गया है। जनरल ब्रिजालोव को इस कहानी में एक गंभीर स्वभाव का व्यक्ति साथ ही अनुशासनप्रिय एवं हठी एवं जिद्दी स्वभाव का सभ्य व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया गया है। कहानी के दोनों पात्र अपनी-अपनी जगह पर दृढ़ एवं कर्त्तव्यपरायण हैं। कहानी रोचक एवं शिक्षाप्रद है।

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