अम्ल, क्षारक और लवण
अम्ल– अम्ल वह पदार्थ है जिसका जलीय विलयन स्वाद में खट्टा होता है तथा धातु से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस मुक्त करता है।
भस्म– भस्म वह पदार्थ है जिसका जलीय विलयन स्वाद में कड़वा होता है तथा अम्ल को उदासीन कर लवण बनाता है।
आर्हेनियस द्वारा अम्ल की परिभाषा– अम्ल वह पदार्थ है जो जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन देता है।
आर्हेनियस द्वारा भस्म की परिभाषा– भस्म वह पदार्थ है जो जल में घुलकर हाइड्रॉक्साइड आयन देता है।
क्षार– जल में विलेय भस्म को क्षार कहते हैं।
अम्ल के गुण–
1. अम्ल स्वाद में खट्टा होता है।
2. प्रबल अम्ल विद्युत के सुचालक होते हैं।
3. अम्ल धातु से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
4. भस्म क्षार से क्रिया करके लवण और जल बनाता है।
5. अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देता है।
भस्म के गुण–
1. क्षार स्वाद में तीखा या कड़वा होता है।
2. क्षार छूने में साबुन जैसा चिकना होता है।
3. प्रबल क्षार विद्युत का सुचालक होता है।
4. अम्ल से प्रतिक्रिया करके लवण तथा जल देता है।
5. क्षार लाल लिटमस को नीला को पीला कर देता है।
pH मान– pH मान एक संख्या होती है जो पदार्थों की अम्लीयता और क्षारीयता को प्रदर्शित करती है। यह किसी विलयन के हाइड्रोजन आयनों की सान्द्रता के लघुगणक का ऋणात्मक मान है।
अम्लीय विलयन का pH मान 7 से कम, क्षारीय विलयन का pH मान 7 से अधिक और उदासीन विलयन का pH मान 7 के बराबर होता है।
दैनिक जीवन में pH का महत्व
1. पेट की अम्लीयता (एसिडिटी) व गैस की समस्या को दूर करने के लिए क्षारीय प्रकृति वाले मिल्क ऑफ मैग्नीशिया का प्रयोग किया जाता है।
2. अम्लीय वर्षा में जल का pH मान 6 से कम होता है। इस जल के फलस्वरुप नदियों का pH मान भी कम हो जाता है जो कि जलीय जीवों पर हानिकारक प्रभाव डालता है।
3. दांत का इनामेल कैल्शियम सल्फेट का बना होता है। दांतों की सफाई नहीं करने पर बैक्टीरिया के सड़ने से अम्लों की उत्पत्ति होती है जिनसे मुंह की लार का पीएच 5 से कम चला जाता है और इनामेल को नुकसान पहुंचाता है। इसके उपाय हेतु टूथपेस्ट में क्षारीय पदार्थ प्रयुक्त किए जाते हैं।
4. मधुमक्खी के डंक में मेथेनॉइक अम्ल होता है। इसके डंक से होने वाली जलन को शांत करने के लिए क्षारीय प्रकृति के बेकिंग सोडा का प्रयोग किया जाता है।
5. उपजाऊ मिट्टी का पीएच मान भी एक निश्चित परास में होता है।
6. अम्ल एवं क्षारक की अभिक्रिया वेफ परिणामस्वरूप लवण तथा जल प्राप्त होते हैं तथा इसे उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं। सामान्यतः उदासीनीकरण अभिक्रिया को इस प्रकार लिख सकते हैं।
क्षारक + अम्ल → लवण + जल
लवण– अम्लों तथा भस्मों की अभिक्रिया से लवण तथा जल बनते हैं। इस उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं।
HCl + NaOH → NaCl + H2O
सोडियम हाइड्रॉक्साइड के उपयोग-
1. साबुन तथा अपमार्जक बनाने में
2. कागज बनाने में
3. प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में
हाइड्रोजन गैस का उपयोग–
1. वनस्पति तेल का हाइड्रोजनीकरण कर उन्हें वनस्पती घी में परिणत करने में
2. हैबर विधि द्वारा अमोनिया बनाने में
क्लोरीन गैस का उपयोग–
1. कपड़ों एवं कागज को विरंजित करने में
2. कीटाणुनाशक होने के कारण पेयजल को शुद्ध करने में
3. विरंजक चूर्ण बनाने में
सोडियम बाइकार्बोनेट या सोडियम होइड्रोजन कार्बोनेट (खाने का सोडा, (NaHCO3)
सोडियम बाइकार्बोनेट को अमोनिया-सोडा विधि या साल्वे विधि द्वारा तैयार किया जाता है।
सोडा विधि या साल्वे विधि
सिद्धांत– अमोनिया गैस से संतृप्त सोडियम क्लोराइड के संतृप्त जलीय विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित करने के फलस्वरूप सोडियम बाइकार्बोनेट प्राप्त होता है।
NaCl + H2O + CO2 + NH3 → NH4 Cl + NaHCO3
गुण–
1. सोडियम बाइकार्बोनेट का जलीय विलयन क्षारीय होता है तथा इस विलयन का pH मान 7 से अधिक होता है।
2. NaHCO3अम्लों को उदासीन करता है तथा अभिक्रिया के फलस्वरूप CO2गैस निकलती है।
NaHCO3 + HCl → NaCl + CO2↑+ H2O
सोडियम बाइकार्बोनेट का उपयोग–
1. इसका उपयोग बेकिंग पाउडर बनाने में किया जाता है।
2. पेट की अम्लीयता कम करने के लिए औषधि (ऐंटासिड) के रूप में प्रयोग किया जाता है।
3. इसका उपयोग अग्निशामक यंत्रों में भी किया जाता है।
4. रसोईघर में, खाने के सोडा का उपयोग खस्ता व्यंजन बनाने के लिए किया जाता है। कभी-कभी इसका इस्तेमाल खाना जल्द पकाने के लिए भी किया जाता है।
सोडियम कार्बोनेट या धोने का सोडा (Na2CO3 . 10H2O)
सोडियम कार्बोनेट या धोने का सोडा प्रायः अमोनिया-सोडा विधिया साल्वे विधि से तैयार किया जाता है।
अमोनिया सोडा विधि या साल्वे विधि
सिद्धांत- अमोनिया गैस से संतृप्त सोडियम क्लोराइड के संतृप्त जलीय विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित करने पर सोडियम बाइकार्बोनेट प्राप्त होता है।
NaCl + H2O + CO2 + NH3→ NH4Cl + NaHCO3
सोडियम बाइकार्बोनेट को गर्म करके सोडियम कार्बोनेट प्राप्त किया जाता है।
2NaHCO3 → Na2CO3 + CO2 + H2O
सोडियम कार्बोनेट के रवाकरण से धोने का सोडा (Na2CO3 . 10H2O) प्राप्त होता है।
गुण-
1. Na2CO3 का जलीय विलयन क्षारीय होता है।
2. Na2CO3 अम्लों को उदासीन बनाता है।
3. सोडियम कार्बोनेट के विलयन में CO2गैस प्रवाहित करने पर सोडियम बाइकार्बोनेट बनता है।
Na2CO3 + CO2 + H2O →2NaHCO3
धोने के सोडा का उपयोग–
1. कपड़ा आदि धोने में इसका उपयोग होता है।
2. यह प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में व्यवहार किया जाता है।
3. काँच, कागज एवं साबुन उद्योगों में इसका उपयोग किया जाता है।
4. जल का स्थायी खारापन दूर करने में इसका उपयोग होता है।
5. इसका उपयोग घरों में साफ-सफाई के लिए होता है।
विरंजक चूर्ण [Ca(OCl)Cl]
शुष्क बुझे हुए चूने [Ca(OH)2] को 40℃ तक तप्त कर उसके ऊपर क्लोरिन गैस प्रवाहित करने पर विरंजक चूर्ण प्राप्त होता है।
Ca(OH)2 + Cl2 → Ca(OCl)Cl + H2O
गुण– यह सफेद चूर्ण है जिससे क्लोरिन की गंध निकलती है।
उपयोग-
1.कीटाणुनाशक के रूप में
2. वस्त्र उद्योग में सूती एवं लिनेन के विरंजन के लिए कागज की फैक्ट्री में लकड़ी के मज्जा एवं लााउंड्री में साफ कपड़ों के विरंजन के लिए।
3. क्लोरिन, क्लोरोफॉर्म आदि बनाने में
4. पीने वाले जल को जीवाणुओं से मुक्त करने के लिए रोगाणुनाशक के रूप में।
प्लास्टर ऑफ पेरिस (CaSo4)2 . H2O या कैल्सियम सल्फेट हेमिहाइड्रेट (CaSo4 . 1/2 H2O)
जिप्सम (CaSo4 . 2H2O) को तीव्रता से गर्म करने पर यह पूर्ण रूप से निर्जलीय होकर कैल्सियम सल्फेट बनाता है।
CaSo4 . 2H2O → CaSo4+ 2H2O
जिप्सम को 120℃ तक सावधानीपूर्वक गर्म करने के फलस्वरूप प्लास्टर ऑफ पेरिस बनता है।
2 (CaSo4 . 2H2O) → (CaSo4)2 . H2O + 3H2O
उपयोग-
1. प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग मूर्ति बनाने में किया जाता है।
2. इसका उपयोग शल्य चिकित्सा में टूटी हुई हड्डियों को बैठाने और जोड़ने में पट्टियों के रूप में किया जाता है।
3. इसका उपयोग खिलौना बनाने, सजावट का सामान एवं सतह को चिकना बनाने के लिए किया जाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य—
- अम्ल नीला लिटमस को लाल कर देता है तथा क्षार लाल लिटमस को नीला कर देता है।
- अम्ल जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन (H+) देता है जबकि भस्म जल में घुलकर हाइड्रॉक्साइड आयन (OH–) देता है।
- खाद्य पदार्थों के डिब्बों पर जिंक के बजाए टिन का लेप होता है क्योंकि टिन की अपेक्षा जिंक अधिक अभिक्रियाशील होता है।
- CO2 गैस चूने के पानी को दूधिया कर देता है।
- मधुमक्खी के डंक में मेथेनॉइक अम्ल पाया जाता है। यह काफी दर्द युक्त है। इसलिए इसके डंक मारने से दर्द का एहसास होता है।
- शुद्ध जल का pH मान 7 होता है।
- दाँतों को साफ करने के लिए प्राय: दंत मंजन क्षारीय होता है।
- टार्टरिक अम्ल केवल इमली में पाया जाता है।
- Ca(OH)2 बुझा हुआ चूना है।
- बेकिंग सोडा का रासायनिक सूत्र NaHCO3 होता है।
- संगमरमर का रासायनिक सूत्र CaCO3 होता है।
- चीनी का रासायनिक सूत्र C12H22O11 होता है।
- टूथ पेस्ट क्षारीय होने के कारण उसका स्वाद कसैला लगता है।
अम्ल, क्षारक और लवण प्रश्नोत्तर—
प्रश्न 1. पीपल एवं ताँबे के बरतनों में दही एवं खट्टे पदार्थ क्यों नहीं रखने चाहिए ?
उत्तर – यदि पीतल एवं तांबे के बर्तनों में दही एवं खट्टे पदार्थ रखे जाएंगे तो वे अम्लों की उपस्थिति के कारण धातु की सतह से क्रिया कर विषैले यौगिकों का निर्माण करेंगे जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक होंगे। इसलिए पीतल एवं तांबे के बर्तनों में इन पदार्थों को नहीं रखना चाहिए।
प्रश्न 2. धातु के साथ अम्ल की अभिक्रिया होने पर सामान्यत: कौन-सी गैस निकलती है?
उत्तर—धातु के साथ जब अम्ल अभिक्रिया करता है तो हाइड्रोजन गैस निकलती है।
प्रश्न 3. अम्ल का जलीय विलयन क्यों विद्युत का चालन करता है ?
उत्तर—चूँकि अम्ल का जल में विघटित होकर आयनों का निर्माण करता है। इस कारण यह विद्युत का चालन करता है।
HCl + H2O → H3O+ + Cl–
प्रश्न 4. शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को क्यों नहीं बदलती है ?
उत्तर—शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को नहीं बदलती है क्योंकि शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस विघटित होकर H+ आयन नहीं देती है। इसलिए यह अम्लीय गुण को नहीं दर्शाती है।
प्रश्न 5. अम्ल को तनुकृत करते समय यह क्यों अनुशासित करते हैं कि अम्ल को जल में मिलाना चाहिए, न कि जल को अम्ल में?
उत्तर—हम जानते हैं कि अम्ल बहुत ही खतरनाक पदार्थ होता है। जब जल में अम्ल को मिलाते हैं तो काफी ऊष्मा उत्पन्न होती है। इसलिए अम्ल को हमेशा धीरे- धीरे तथा जल को लगातार हिलाते हुए जल में मिलाना चाहिए। सान्द्र अम्ल में जल को मिलाने पर उत्पन्न हुई ऊष्मा के कारण मिश्रण छलक कर गिर सकता है, जिससे व्यक्ति जल सकता है। अतः जल में सान्द्र नाइट्रिक अम्ल अथवा सल्फ्यूरिक अम्ल को मिलाते समय अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए।
प्रश्न 6. H+ (aq) आयन की सांद्रता का विलयन को प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर—जैसे-जैसे H+ आयन की सान्द्रता बढ़ती जाती है। वैसे-वैसे विलयन का अम्लीय गुण अधिक होता जाता है।
प्रश्न 7. क्या क्षारकीय विलयन में H+ (aq) आयन होते हैं ? अगर हाँ, तो ये क्षारकीय क्यों होते हैं ?
उत्तर—क्षारकीय विलयन में H+ (aq) आयन होते हैं पर साथ ही उसमें OH– आयन भी होते हैं। वे क्षारकीय इसलिए होते हैं क्योंकि उनमें OH– आयन की सांद्रता अधिक H+ आयन की अपेक्षा अधिक होती है।
प्रश्न 8. कोई किसान खेत की मृदा की किस परिस्थिति में बिना बुझा हुआ चूना (कैल्सियम ऑक्साइड), बुझा हुआ चूना (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड) या चॉक (कैल्सियम कार्बोनिट) का उपयोग करेगा ?
उत्तर—खेत की मिट्टी जब अम्लीय हो जाती है तब किसान उस मिट्टी को उदासीन बनाने के लिए बिना बुझा हुआ चूना (CaO), बुझा हुआ चूना [Ca (OH)2] और चॉक (CaCO3) का उपयोग करता है।
प्रश्न 9. उस पदार्थ का नाम बताइए, जो क्लोरीन से क्रिया करके विरंजक चूर्ण बनाता है।
उत्तर—उस पदार्थ का नाम बुझा हुआ चूना [Ca(OH)2] है, जो क्लोरीन से क्रिया कर विरंजक चूर्ण बनाता है।
प्रश्न 10. कठोर जल को मृदु करने के लिए किस सोडियम यौगिक का उपयोग करते हैं ?
उत्तर—कठोर जल को मृदु बनाने के लिए सोडियम कार्बोनिट (Na2CO3) का उपयोग करते हैं।
प्रश्न 11. सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनिट के विलयन को गर्म करने पर क्या होगा ? इस अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर—सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट गर्म करने पर सोडियम कार्बोनेट कार्बन डाइऑक्साइड और जल में विघटित हो जाएगा।
2NaHCO3 → Na2CO3 + CO2 + H2O
(सोडियम कार्बोनेट) (कार्बन डाइऑक्साइड) (जल)
प्रश्न 12. आसवित जल विद्युत का चालक क्यों नहीं होता जबकि वर्षा का जल होता है ?
उत्तर—चूँकि आसवित जल आयनों में नहीं टूटता है, इसलिए ऐसा जल विद्युत का कुचालक है। वर्षा जल में CO2 गैस तथा अन्य अशुद्धियाँ जैसे SO2 तथा NO2 अम्ल मिली हुई रहती हैं। ये जल में घूलकर आयनों में विभाजित हो जाती हैं। इसलिए वर्षा जल विद्युत का चालन करते हैं।
प्रश्न 13. जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय क्यों नहीं होता है ?
उत्तर—जल की अनुपस्थिति में अम्ल विघटित नहीं होता है। इस कारण यह अम्लीय गुण नहीं दर्शाता है।
प्रश्न 14. ताजे दूध के pH का मान 6 होता है। दही बन जाने पर इसके pH के मान में क्या परिवर्तन होगा ? अपना उत्तर समझाइए।
उत्तर – ताजे दूध के pH का मान 6 होता है, क्योंकि इसमें खट्टापन नहीं होता। जब यह दही बन जाता है तो इसमें खट्टापन आ जाता है, जिसके कारण इसका pH मान 6 से कम हो जाता है।
प्रश्न 15. एक ग्वाला ताजे दूध में थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाता है।
(a) ताजा दूध के pH के मान को 6 से बदलकर थोड़ा क्षारीय क्यों बना देता है ?
(b) इस दूध को दही बनने में अधिक समय क्यों लगता है ?
उत्तर—(a) ताज़ा दूध अम्लीय है और खट्टा हो कर अधिक अम्लीय हो जाता है। बेकिंग सोडा की उपस्थिति में दूध क्षारीय हो जाएगा और जल्दी से खट्टा नहीं होगा क्योंकि क्षार दूध को शीघ्रता से अम्लीय बनने से रोक देगा।
(b) जब दूध दही में बदलता है तो लैक्टिक अम्ल बनने के कारण उसका pH कम हो जाता है। क्षार की उपस्थिति इसे जल्दी से अधिक अम्लीय होने से रोकती है इसलिए दूध को दही बनने में अधिक समय लगता है।
प्रश्न 16. प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्र-रोधी बरतन में क्यों रखा जाना चाहिए ? इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर – हम जानते हैं कि प्लास्टर ऑफ पेरिस जल को अवशोषित कर कठोर जिप्सम का निर्माण करता है। इस कारण प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्र-रोधी बरतन में रखा जाता है, ताकि वह कठोर न हो तथा बर्बाद होने से बच जाए।
प्रश्न 17. उदासीनीकरण अभिक्रिया क्या है ? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर—जब अम्ल किसी क्षार से क्रिया करता है तब लवण और जल बनता है। इसे उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं।
NaOH + HC1 → NaC1 + H2O
(क्षार) (अम्ल) (लवण) (जल)
KOH + HNO3 → KNO3 + H20
(क्षार) (अम्ल) (लवण) (जल)
प्रश्न 18. धोने का सोडा एवं बेकिंग सोडा के दो-दो प्रमुख उपयोग बताइए।
उत्तर—धोने के सोडा का उपयोग निम्नलिखित है :
(i) इसका उपयोग घरों में सूती कपड़ों की साफ-सफाई के लिए होता है।
(ii) इसका उपयोग काँच, साबुन तथा कागज उद्योगों में किया जाता है।
बेकिंग सोडा का उपयोग :
(i) इसका उपयोग सोडा-अम्ल बनाने तथा अग्निशामक में किया जाता
(ii) इसका उपयोग पावरोटी तथा केक बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 19. उदासीनीकरण अभिक्रिया क्या है ? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर— यह अम्ल व क्षारक के बीच होनेवाली अभिक्रिया है जिसमें लवण व जल बनते हैं।
अम्ल + क्षारक → लवण + जल
उदाहरण- (i) HCI + NaOH → NaCI + H2O
सोडियम क्लोराइड (लवण)
(ii) H2SO4 + 2NaOH → Na2SO4 + 2H2O
सोडियम सल्फेट (लवण)
प्रश्न 20. धोबिया सोडा या अणुसूत्र लिखें। इसके दो उपयोग बताएँ।
उत्तर—धोबिया सोडा का अणुसूत्र हैं—Na2CO3
इसके दो उपयोग हैं—
(i) धोबिया सोडा का उपयोग काँच, साबुन एवं कागज उद्योग में होता है।
(ii) जल की स्थायी कठोरता दूर करने में भी इसका उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 21. प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्रता से दूर रखना क्यों आवश्यक है? इसकी व्याख्या करें।
उत्तर—प्लास्टर ऑफ पेरिस (CaSO4 · 1/2 H2O) को आर्द्र-रोधी बरतन में रखा जाता है। अगर इसे खुले वायु में रखा जाता है। अगर इसे खुलेवायु में रखा जाता है तो यह वायुमंडलीय जलवाष्प की शोषित कर जिप्सम (CaSO4· 2H2O) में बदल जाता है।
प्रश्न 22. बेकिंग पाउडर क्या है?
उत्तर—इसका रासायनिक नाम सोडियम बाइकार्बोनेट या सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट है जिसका सूत्र NaHCO3 होता है। यह सोडियम, हाइड्रोजन का कार्बोनेट है। बैंकिग सोडा को मीठा सोडा, खानेवाला सोडा भी कहते हैं। इसे अमोनिया सोडा विधि (साल्वे-प्रक्रम) द्वारा तैयार किया जाता है। कच्चे पदार्थों (NH3, H2O, CO2) में साडियम क्लोराइड का उपयोग कर बेंकिंग सोडा का निर्माण किया जाता है।
NaCI + H2O + CO2 + NH3 → NH4CI + NaHCO3
प्रश्न 23. कठोर जल को मृदु करने के लिये जिस सोडियम यौगिक का उपयोग किया जाता है, उसका नाम लिखें।
उत्तर—धोने का सोडा (सोडियम कार्बोनेट)—Na2CO3·10H2O
प्रश्न 24. सोडियम कार्बोनेट का जलीय विलयन क्षारीय होता है। क्यों?
उत्तर—सोडियम कार्बोनेट के जलीय विलयन में OH— आयन की सांद्रता H+ की अपेक्षा अधिक होती हैं। अत: इसका जलीय विलयन क्षारीय होता है।
प्रश्न 25. आसवित जल, विद्युत का चालक क्यों नहीं होता जबकि वर्षा जल होता है ?
उत्तर—आसवित जल में H+ आयन पृथक् नहीं होते हैं। वर्षा जल में अम्ल तथा अन्य अशुद्धियों की उपस्थिति होती है। अत: वर्षा जल में H+ आयन तथा अन्य आयनों की उपस्थिति होती है। आयनों की उपस्थिति के कारण, वर्षा जल विद्युत का चालन करते हैं।
प्रश्न 26. धोबिया सोडा एवं बेकिंग सोडा में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर—धोबिा सोडा एवं बेकिंग सोडा में निम्नलिखित अंतर है-
बेकिंग सोडा | धोबिया सोडा |
(i) सोडियम बाइकार्बोनेट पेट की अम्लीयता को कम करने की औपधि (ऐंटासिड) के रूप में प्रयोग किया जाता है। (ii) रसोईघर में खाने के सोडा का उपयोग खास्ता व्यंजन बनाने के लिए किया जाता है। | (i) यह प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में व्यवहार किया जाता है। (ii) काँच, कागज, साबुन आदि के उत्पादन में इसका उपयोग होता है। |
प्रश्न 27. पीतल एवं तांबे के बर्तनों में दही एवं खट्टे पदार्थ क्यों नहीं रखने चाहिए ?
उत्तर—यदि पीतल एवं तांबे के बर्तनों में दही एवं खट्टे पदार्थ रखे जाएँगे तो वे अम्लों की उपस्थिति के कारण धातु की सतह से क्रिया कर विषैले यौगिकों का निर्माण करेगें जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक होंगे। इसलिए, पीतल एवं ताँबे के बर्तन में इन पदार्थो को नहीं रखना चाहिए।
प्रश्न 28. प्लास्टर ऑफ पेरिस का सूत्र लिखें। यह जिप्सम से कैसे बनाया जाता है?
उत्तर—जिप्सम एक यौगिक है जिसका सूत्र CaSO4·2H2O है। जब इसे 373k तक गर्म किया जाता है तो प्लास्टर ऑफ पेरिस बन जाता है।
CaSO4·2H2O → CaSO4 · ½ H2O + 3/2 H2O
(जिप्सम) (प्लास्टर ऑफ पेरिस)
इस प्रक्रिया में तापमान पर निश्चित रूप से नियंत्रण रखा जाना चाहिए। अधिक तापमान हो जाने पर अजलीय कैल्सियम बन जाता है जिसमें प्लास्टर ऑफ पेरिस का कोई गुण नहीं होता।
प्रश्न 29. क्षार और क्षारक (भस्म) में अंतर लिखिए।
उत्तर—वे क्षारक जो जल में घुलनशील होते हैं उन्हें क्षार कहते हैं। इसका अर्थ है कि सभी क्षार क्षारक होते हैं पर सभी क्षारक क्षार नहीं होते। उदाहरण के लिए फेरिक हाइड्रॉक्साइड [Fe(OH)3] और क्यूपरिक हाइड्रॉक्साइड [Cu(OH)2] क्षारक हैं पर उन्हें क्षार नहीं कह सकते क्योंकि ये जल में घुलनशील नहीं हैं।
प्रश्न 30. धोने का सोडा एवं बेकिंग सोडा के एक-एक प्रमुख उपयोग लिखें।
उत्तर—धोने का सोडा—जल की स्थायी कठोरता दूर करने में1
बेकिंग सोडा—एन्टैसिड का एक संघटक क्षारीय होने के कारण पेट की अम्लीयता को दूर करने में।
प्रश्न 31. हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है ?
उत्तर—हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका-
(i) हमारे आमाशय में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल जठर ग्रन्थियों से स्रावित होता है और भोजन में अम्लीय माध्यम प्रस्तुत करता है जिससे जठर रस का पेप्सिन नामक इंजाइम अम्लीय माध्यम में कार्य कर सके।
(ii) यह भोजन में उपस्थित रोगाणुओं को अक्रियाशील एवं नष्ट करता है।
(iii) यह भोजन को शीघ्रता से नहीं पचने देता।
प्रश्न 32. अम्लों के सामान्य गुण बताएँ।
उत्तर—अम्लों के सामान्य गुण-
(i) इनका स्वाद खट्टा होता है।
(ii) ये नीले लिटमस के लाल कर देते हैं।
(iii) इनका घोल साबुन के घोल की तरह चिकना नहीं होता।
(iv) ये धातुओं के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन गैस बनाते हैं।
(v) ये कार्बोनेट के साथ क्रिया करके कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करते हैं।
(vi) अम्ल, क्षारकों से क्रिया करके लवण और पानी बनाते हैं।
प्रश्न 33. क्षारकों के सामान्य गुण लिखें।
उत्तर—क्षारकों के सामान्य गुण निम्न हैं—
(i) इनका स्वाद कड़वा होता है।
(ii) ये साबुन जैसे चिकने होते हैं तथा त्वचा को क्षति पहुँचाते हैं।
(iii) ये लाल लिटमस को नीला कर देते हैं।
(iv) ये हल्दी के रंग को भूरा लाल कर देते हैं।
(v) ये अम्लों के साथ क्रिया करके लवण तथा पानी बनाते हैं।
(vi) ये फिनालफ्थेलिन के घोल को गुलाबी कर देते हैं।
प्रश्न 34. स्तम्भ (i) तथा स्तम्भ (ii) का सही मिलान करें:
स्तम्भ (i) | स्तम्भ (ii) |
(i) बेकिंग सोडा (ii) धोने का सोडा (iii) ग्लौबर लवण (iv) नीला थोथा (v) जिप्सम | (a)CaSO4,2H2O (b) CuSO4,5H2O (c) NaHCO3 (d) Na2CO3, 10H2O (e) Na2SO$,10H2O |
उत्तर—(i)-(c), (ii)-(d), (iii)-(e), (iv)-(b), (v)-(a)
प्रश्न 35. स्तम्भ (i) तथा स्तम्भ (ii) का मिलान करें।
स्तम्भ (i) | स्तम्भ (ii) |
(i) निले लिटमस का लाल रंग में परिवर्तन (ii) दूध का खट्टापन (iii) अम्लीय विलयन में फीनॉलफथेलिन बदलता है। (iv) क्षारीय विलयन में मिथाईल ऑरेन्ज बदलता है (v) विलयन का pH7 है। | (a) उदासीन (b) अम्लीय (c) लैक्टिक अम्ल (d) रंगहीन (e) पीला |
उत्तर—(i)–(b), (ii)–(c), (iii)–(d), (iv)–(e), (v)–(a)
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Bihar Board Class 10 Science Chemistry Solution
- Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण
- Chapter 3 धातु एवं अधातु
- Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक
- Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण
Bihar Board Class 10 Science Biology Solution
- Chapter 1 जैव प्रक्रम
- Chapter 2 नियंत्रण एवं समन्वय
- Chapter 3 जीव जनन कैसे करते है
- Chapter 4 अनुवांशिकता एवं जैव विकास
- Chapter 5 उर्जा के स्रोत
- Chapter 6 हमारा पर्यावरण
- Chapter 7 प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन