Biology

Chapter 7 – प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन

प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन हमारे चारों ओर की भूमि, जल और वायु से मिलकर बना यह पर्यावरण, हमें प्रकृति से विरासत में मिला है जिसे सहेज कर रखना हम सबों का दायित्व है। अनेक राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय नियम व कानून पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए बने हैं। अनेक राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ भी […]

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Chapter 6 – हमारा पर्यावरण

हमारा पर्यावरण किसी जीव के चारों ओर फैली हुई भौतिक या अजैव और जैव कारकों से निर्मित दुनिया जिसमें वह निवास करता है एवं जिससे वह प्रभावित होता है, उसे उसका पर्यावरण या वातावरण कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर पौधे, जानवर और अन्य मानव किसी मनुष्य के पर्यावरण का जैविक हिस्सा है। पारिस्थितिक तंत्र- जीवमंडल के

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Chapter 5 – ऊर्जा के स्त्रोत

ऊर्जा के स्त्रोत ऊर्जा– कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। जब किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता होती है तो हम कहते हैं कि वस्तु में ऊर्जा है। ऊर्जा के अनेक रूप हैं। जैसे यांत्रिक ऊर्जा ( जिसमें गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा दोनों शामिल है।) रासायनिक ऊर्जा, ऊष्मा ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा, विद्युत

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Chapter 4 – आनुवंशिकता तथा जैव विकास

आनुवंशिकता तथा जैव विकास प्रत्येक जीव अपने जैसे संतानों की उत्पत्ति करते हैं, जो  मूल संरचना और आकार में अपने जनकों के समान होते हैं। जीवों के मूल लक्षण पीढ़ी-दर-पीढ़ी संतानों में संचरित होते रहते हैं, जिससे विभिन्न जातियों का अस्तित्व कायम रहता है। जैसे- मटर के बीज से मटर का पौधा उत्पन्न होता है।

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Chapter 3 – जीव जनन कैसे करते हैं

जीव जनन कैसे करते हैं जीव जिस प्रक्रम द्वारा अपनी संख्या में वृद्धि करते है, उसे जनन कहते हैं। जनन के प्रकार- जीवों में जनन मुख्यातः दो तरीके से संपन्न होता है– लैंगिक जनन तथा अलैंगिक जनन अलैंगिक जनन अलैंगिक जनन की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित है-1. इसमें जीवों का सिर्फ एक व्यष्टि भाग लेता है।2. इसमें युग्मक अर्थात

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Chapter 2 – नियंत्रण और समन्वय

नियंत्रण और समन्वय जीवों में किसी कार्य को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए अंगतंत्रों (जैसे, पाचन तंत्र, श्‍वसन तंत्र, उत्सर्जन तंत्र, परिसंचरण तंत्र आदि।) के विभिन्न अंगों के बीच समन्वय (ताल-मेल) स्थापित करने के लिए नियंत्रण की आवश्यकता होती है। बिना नियंत्रण के अंग व्यवस्थित ढंग से कार्य नहीं कर सकेंगे। इसलिए जीवों

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Chapter 1 – जैव प्रक्रम

जैव प्रक्रम जैव प्रक्रम- वे सभी प्रक्रम (Processes) जो सम्मिलित रूप से अनुरक्षण (maintenance) का कार्य करते हैं जैव प्रक्रम (Life Processes) कहलाते हैं। ये प्रक्रम हैं- पोषण, श्‍वसन, वहन, उत्सर्जन आदि। अर्थात जीवित शरीर में होने वाले वे सभी प्रक्रम जो जीवन के लिए अनिवार्य होते हैं, जैव प्रक्रम कहलाते हैं। पोषण, श्‍वसन, उत्सर्जन तथा वहन जैव

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