हमारा पर्यावरण
किसी जीव के चारों ओर फैली हुई भौतिक या अजैव और जैव कारकों से निर्मित दुनिया जिसमें वह निवास करता है एवं जिससे वह प्रभावित होता है, उसे उसका पर्यावरण या वातावरण कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर पौधे, जानवर और अन्य मानव किसी मनुष्य के पर्यावरण का जैविक हिस्सा है।
पारिस्थितिक तंत्र- जीवमंडल के विभिन्न घटक तथा उसके बीच ऊर्जा और पदार्थ का आदान-प्रदान सभी एक साथ मिलकर पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते हैं।
एक पारिस्थितिक तंत्र के निम्नांकित दो मुख्य अवयव होते हैं—
1. अजैव अवयव- जिसमें जीवन नहीं है यानी निर्जीव है।
2. जैव अवयव- जो जीवित है यानी सजीव है।
अजैव अवयव को तीन वर्गों में बाँटा गया है-
1. भौतिक वातावरण- इसमें मृदा, जल तथा वायु सम्मिलित हैं।
2. पोषण- इसके अंतर्गत विभिन्न अकार्बनिक एवं कार्बनिक पदार्थ आते हैं।
3. जलवायु- सूर्य की रोशनी, तापक्रम, आर्द्रता, दाब इत्यादि मिलकर जलवायु का निर्माण करते हैं।
जैव अवयव को तीन वर्गों में बाँटा गया है-
1. उत्पादक- जैसे हरे पौधे, जो भोजन का संश्लेषण करते हैं।
2. उपभोक्ता– जो पौधों और उनके विभिन्न उत्पादों कोखाते हैं।
3. अपघटनकर्ता- ये मृत उत्पादक तथा उपभोक्ताओं का अपघटन करते हैं तथा इससे उत्पन्न पोषणों और गैसों को फिर वातावरण में छोड़ देते हैं।
उत्पादक- जिनमें प्रकाशसंश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाने की क्षमता होती है, उसे उत्पादक कहते हैं। जैसे- हरे पौधे।
एक पारिस्थितिक तंत्र में हरे पौधे की उपस्थिति क्यों अनिवार्य है?
एक पारिस्थितिक तंत्र में हरे पौधे की उपस्थिति इसलिए अनिवार्य है क्योंकि ये निम्नलिखित कार्यों का संपादन करते हैं-
1. ये पारिस्थितिक तंत्र में रहनेवाले जीवों के प्रकार का निर्धारण करते हैं।
2. ये सौर-ऊर्जा, जो समस्त जीवों के लिए ऊर्जा का मूल स्त्रोत है, को ग्रहण करने में समर्थ है।
3. ये मिट्टी से प्रमुख तत्त्वों को अवशोषित करने में समर्थ है।
4. ये वायुमंडल में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के बीच संतुलन बनाए रखते हैं।
उपभोक्ता- ऐसे जीव जो अपने पोषण के लिए पूर्णरूप से उत्पादकों पर निर्भर रहते हैं, उपभोक्ता कहलाते हैं। सभी जंतु उपभोक्ता की श्रेणी में आते हैं।
1. प्राथमिक उपभोक्ता- ऐसे उपभोक्ता जो पोषण के लिए प्रत्यक्ष रूप से उत्पादक, अर्थात हरे पौधे को खाते हैं, प्राथमिक उपभोक्ता कहलाते हैं। जैसे- गाय, भैंस, बकरी, हिरण, खरगोश आदि।
2. द्वितीयक उपभोक्ता- कुछ जंतु; जैसे शेर, बाघ, कुछ पक्षी, सर्प, मेढ़क, मांसाहारी होते हैं तथा वे शाकाहारी प्राथमिक उपभोक्ता को खाते हैं, द्वितीयक उपभोक्ता कहलाते हैं।
3. तृतीयक उपभोक्ता- सर्प जब मेढ़क (द्वितीयक उपभोक्ता) को खाता है तब वह तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता(तृतीयक उभोक्ता) कहलाता है। जैसे- बाघ, शेर, चीता, गिद्ध आदि।
अपघटनकर्ता या अपमार्जक- पौधों और जंतुओं (उत्पादक और उपभोक्ता) के मृत शरीर तथा जंतुओं के वर्ज्य पदार्थों का जीवाणुओं और कवकों के द्वारा अपघटन किया जाता है। अतः जीवाणु और कवक अपघटनकर्ता या अपमार्जक कहलाते हैं।
आहार शृंखला- एक पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का एकपथीय प्रवाह उसमें स्थित शृंखलाबद्ध तरीके से जुड़े जीवों के द्वारा होता है। जीवों की इस शृंखला को आहार शृंखला कहते हैं।
कुछ सामान्य आहार शृंखला निम्नलिखित हैं-
घास → ग्रासहॉपर → मेढ़क → सर्प → गिद्ध
शैवाल → छोटे जंतु → छोटी मछली → बड़ी मछली → मांसाहारी पक्षी
घास → हिरण → बाघ
अपशिष्ट- प्रतिदिन अपने कार्यकलापों से उत्पन्न अनावश्यक पदार्थों को हम जहाँ-तहाँ फेंक देते हैं। इन्हीं अनावश्यक पदार्थों को अपशिष्ट कहते हैं।
इन अपशिष्ट पदार्थों को दो समूहों में बाँटा जा सकता है- 1. जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट और 2. अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट
1. जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट- ऐसे अवांछित पदार्थ, जिन्हें जैविक अपघटन के द्वारा पुनः उपयोग में आनेवाले पदार्थों में बदल दिया जाता है, जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट कहलाते हैं। जैसे- जंतुओं के मल-मूत्र, कृषि द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट, कागज, कपास से निर्मित कपड़े, जंतुओं और पेड़-पौधों के मृत शरीर आदि।
2. अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट- प्रदूषण के ऐसे कारक जिनका जैविक अपघटन नहीं हो पाता है तथा जो अपने स्वरूप को हमेशा बनाए रखते हैं, अर्थात प्राकृतिक विधियों द्वारा नष्ट नहीं होते हैं, अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट कहलाते हैं। जैसे- कीटनाशक एवं पीड़कनाशक, शीशा, ऐलुमिनियम, प्लैस्टिक आदि।
आजोन परत एवं ओजोन अवक्षय
ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बना ओजोन का एक स्तर वायुमंडल से 15 km से लेकर लगभग 50 km ऊँचाईवाले क्षेत्र के बीच पाया जाता है। यह सूर्य के प्रकाश में उपस्थित हानिकारक पराबैंगनी किरणों का अवशोषण कर लेता है जो मनुष्य में त्वचा-कैंसर, मोतियाबिंद तथा अनेक प्रकार के उत्परिवर्तन को जन्म देती है।
1980 के बाद ओजोन स्तर में तीव्रता से गिरावट आई है। अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन के स्तर में इतनी कमी आई है कि इसे ओजोन छिद्र की संज्ञा दी गई है। ओजोन छिद्र का मुख्य कारण क्लारोफ्लोरोकार्बन का व्यापक उपयोग का होना है।
क्लारोफ्लोरोकार्बन का व्यापक उपयोग एयरकंडीशनों, रेफ्रिजरेटरों, शीतलकों, जेट इंजनों, अग्निशामक उपकरणों आदि में होता है।
महत्वपूर्ण तथ्य—
- हरे पौधे उत्पादक कहलाते हैं।
- पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह एकदिशीय होता है।
- ओजोन परत वायुमंडल के ऊपरी सतह में पाया जाता है।
- ओजोन परत हानिकारक पराबैंगनी विकिरण से पृथ्वी को सुरक्षा प्रदान करती है।
- प्रकृति में पृथ्वी पर ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत सूर्य है।
- डी० डी० टी० जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थ है।
- ओजोन के एक अणु में तीन परमाणु होते हैं।
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर—
प्रश्न 1. क्या कारण है कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं और कुछ अजैव निम्नीकरणीय ?
उत्तर – पृथ्वी पर बहुत सारे पदार्थ हैं, जिनमें कुछ पदार्थों के ऊपर सूक्ष्म जीव प्रभावित होकर सरल पदार्थों में बदल देते हैं, जिन्हें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ कहते हैं। कुछ पदार्थों के ऊपर सूक्ष्म जीव का प्रभाव नहीं पड़ता है। वे अपघटित नहीं होते हैं। उन्हें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ कहते हैं।
प्रश्न 2. ऐसे दो तरीके सुझाइए जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर—जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को दो तरीकों से प्रभावित करते हैं :
(i) ये पदार्थ अपघटित होकर विषैले पदार्थ का निर्माण करते हैं, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है।
(ii) ये पदार्थ अपघटित होकर कुछ ऐसी हानिकारक गैसों का निर्माण करते हैं। इससे बहुत दुर्गन्ध फैलता है।
प्रश्न 3. ऐसे दो तरीके बताइए जिनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर — पहला तरीका यह है कि अजैव पदार्थ अपघटित नहीं होते हैं। ये लंबे समय तक पर्यावरण को प्रदूषित करते रहते हैं। दूसरा तरीका है कि अजैव पदार्थ से भूमि तथा जल प्रदूषित होता है। इस प्रकार अजैव अनिम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 4. पोषी स्तर क्या है ? एक आहार श्रृंखला का उदाहरण दीजिए तथा इसमें विभिन्न पोषी स्तर बताइए।
उत्तर—किसी खाद्य शृंखला के विभिन्न चरणों को पोषी स्तर कहते हैं। जैसे :
घास → हिरण → शेर (बाघ)
इस आहार श्रृंखला में विभिन्न पोषी स्तर हैं :
(i) पहला पोषी स्तर घास है जो उत्पादक कहलाता है।
(ii) दूसरा पोषी स्तर हिरण है। यह शाकाहारी है।
(iii) तीसरा पोषी स्तर शेर है। यह मांसाहारी है।
प्रश्न 5. पारितंत्र में अपमार्जकों की क्या भूमिका है ?
उत्तर—अपमार्जक का प्रयोग कपड़ों की सफाई के लिए किया जाता है। जब इसका प्रयोग जैव निम्नीकरणीय पदार्थों पर करते हैं तो उन पदार्थों को यह सरल पदार्थों में तोड़ देता है। इस प्रकार यह वातावरण को संतुलित रखने का काम करता है।
प्रश्न 6. ओजोन क्या है तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है ?
उत्तर – ओजोन गैस का एक आवरण है जो पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेता है और उन्हें पृथ्वी पर नहीं पहुँचने देता। यह ऑक्सीजन के एक अणु ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बना होता है। इसका निर्माण ऑक्सीजन के तीन अणुओं की सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में अभिक्रिया द्वारा बनती है।
इस प्रकार यह पारितंत्र को नष्ट होने से बचाती है। कारण कि पराबैंगनी विकिरण हमारे लिए काफी हानिकारक है। यह विकिरण मानव में त्वचा का कैंसर उत्पन्न करती है।
प्रश्न 7. आप कचरा निपटान की समस्या कम करने में क्या योगदान कर सकते हैं ? किन्हीं दो तरीकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर—(i) हमें अधिक-से-अधिक जैव निम्नीकरणीय पदार्थों का उपयोग करना चाहिए क्योंकि सरल तरीकों द्वारा इसे खाद में बदला जा सकता है।
(ii) अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों के अपशिष्टों को पुनःचक्रण के लिए फैक्ट्री में भेजवा देना चाहिए।
प्रश्न 8. जैविक आवर्धन (Biological magnification) क्या है ? क्या पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न होगा ?
उत्तर— विभिन्न साधनों द्वारा हानिप्रद रसायनों का हमारी आहार श्रृंखला में प्रवेश करना तथा उनके हमारे शरीर में सांद्रित होने की प्रक्रिया को जैव आवर्धन कहते हैं। इन रसायनों का हमारे शरीर में प्रवेश विभिन्न विधियों द्वारा हो सकता है।
हम फसलों को रोगों से बचाने के लिए कीटनाशक, पीडकनाशक आदि रसायनों का छिडकाव करते हैं। इनका कुछ भाग मिट्टी द्वारा भूमि में रिस जाता है जिसे पौधे जड़ों द्वारा खनिजों के साथ ग्रहण कर लेते हैं। इन्हीं पौधों के उपयोग से वे रसायन हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं तथा पौधों के लगातार सेवन से उनकी सांद्रता बढ़ती जाती है जिसके परिणामस्वरूप जैव आवर्धन का विस्तार होता है।
मनुष्य सर्वभक्षी है। वह पौधों तथा जंतुओं दोनों का उपयोग करता है तथा अनेक आहार श्रृंखलाओं में स्थान ग्रहण कर सकता है। इस कारण मानव में रसायन पदार्थों का प्रवेश तथा सांद्र शीघ्रता से होता है और जैव आवर्धन का विस्तार होता है।
डी.डी.टी. → जल → शैवाल → मछली
प्रश्न 9. हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से कौन-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं ?
उत्तर—अजैव निम्नीकरणीय कचरे नष्ट नहीं होते हैं, जिस कारण बहुत-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। जैसे :
(i) ये जल को प्रदूपित करते हैं जो पीने लायक नहीं रह जाता।
(ii) ये नालियों में पानी के प्रवाह को रोकते हैं
(iii) ये वायुमंडल को विषैला बनाते हैं।
(iv) ये भूमि को प्रदूषित करते हैं जिससे भूमि किसी काम लायक नहीं रह जाती।
प्रश्न 10. यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो तो क्या इनका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ?
उत्तर – जैविक निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ ज्यादा समय तक नहीं रहते हैं। कुछ तो वातावरण से प्रभावित होते हैं, लेकिन कम समय में ही इनका अपघटन हो जाता है। अपघटित पदार्थ को खाद में बदला जा सकता है, जो पौधों के लिए लाभदायक होगा।
प्रश्न 11. ओज़ोन परत की क्षति हमारे लिए चिंता का विषय क्यों है। इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं ?
उत्तर – सूर्य से आनेवाली पराबैंगनी किरणें जब पृथ्वी पर आयेंगी तो निम्नलिखित हानिकारक प्रभाव पड़ेगा :
शरीर के त्वचा पर पड़ने से कैंसर रोग होगा। सूक्ष्म जीव तथा अपघटक मर जाएँगे। इससे पारितंत्र में असंतुलन उत्पन्न हो जाएगा। पौधों में वृद्धि दर कम हो जाएगी एवं पौधों के पिगमेंट नष्ट हो जाएँगे। इसलिए ओजोन परत की क्षति हमारे लिये चिंता का विपय है।
ओजोन परत की क्षति कम करने का उपाय निम्नलिखित हो सकता है:
(i) नाभिकीय विस्फोटों पर नियंत्रण रखना।
(ii) सुपरसोनिक विमानों का कम-से-कम उपयोग करना।
(iii) एरोसॉल तथा क्लोरोफ्लोरोकार्बन यौगिक का कम-से-कम उपयोग करना।
प्रश्न 12. आहार-श्रृखला क्या है ? एक स्थलीय आहार-श्रंखला का उदाहरण दें।
उत्तर—पारिस्थितिक तंत्र के सभी जैव घटक श्रृखलाबद्ध तरीके से एक-दूसरे से जुड़े होते है तथा एक-दूसरे पर आश्रित होते हैं। यह श्रृखला आहार-श्रृंखला कहलाती है।
एक स्थलीय आहार-श्रृंखला—
प्रश्न 13. पारितंत्र में अपघटकों की क्या भूमिका है ?
अथवा, अपघटक क्या हैं ? जीवमंडल में अपघटकों का क्या महत्व है ?
उत्तर—अपघटक वे सूक्ष्मयजीव हैं जो मृत पौधों एवं जंतुओं के मृत शरीर में उपस्थित कार्बनिक यौगिकों का अपघटन करते है तथा उन्हें सरल यौगिकों और तत्वों में बदल देते हैं। ये सरल यौगिक तथा तत्व पृथ्वी के पोषण भंडार में वापस चले जाते हैं।
जीवमंडल में अपघटकों का महत्व- अपघटक जीव मृत पौधों और जंतुओं के मृत शरीरों के अपघटन में सहायता करते हैं तथा इस प्रकार वातावरण को स्वच्छ रखने का कार्य करते हैं। अपघटक जीव मृत पौधों एवं जंतुओं के मृत शरीरों में उपस्थित विभिन्न तत्वों को फिर से पृथ्वी के पोषण भंडार में वापस पहुँचाने का कार्य भी करते हैं। पोषक तत्व पुन: प्राप्त हो जाने से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है और यह मिट्टी बार-बार फसलों का पोषण करती रहती है।
प्रश्न 15. ओजोन की क्षति को सीमित करने के लिए क्याब कदम उठाये गये हैं ?
अथवा, ओजोन परत की क्षति हमारे लिए चिन्ताी का विषय क्यों है ? इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाये गये हैं ?
उत्तर—हम क्लोरोफ्लोरो कार्बन्स का प्रयोग प्रशीतकों में तथा अग्निशामक में करते हैं जबकि ये रसायन वायुमंडल में मिश्रित होकर उसमें उपस्थित ओजोन का विश्लेाषण करते हैं। सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणें पृथ्वी के वायुमंडल की बाह्य परिसीमा में उपस्थित ओजोन की पर्त का विश्लेाषण करके उसे सामान्य ऑक्सीजन में परिवर्तित कर देती हैं। इस प्रकार से ओजोन की संकरी पेटी में छिद्र होने तथा उस पर्त्त के पतला पडने की संभावना बन जाती है। पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर पहुँचकर तथा जीवधारियों के शरीर सम्पर्क में आने पर उन्हें कैंसर प्रिय बना देती है। अत:, CFCs का प्रयोग हमें अपने जीवन में बहुत कम (सीमित) कर देना चाहिए जिससे ओजोन स्तर को किसी प्रकार की हानि न हो।
प्रश्न 4. अपने विद्यालय को पर्यानुकूलित बनाने के लिए दो सुझाव दें1
उत्तर—हम अपने विद्यालय में निम्नललिखित परिवर्तन सुझा सकते हैं जिनसे इसे पर्यावरणानुकूलित बनाया जा सके—
(i) हमें विद्यालय के आसपास का क्षेत्र हरा-भरा रखना चाहिए अर्थात् ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
(ii) बच्चों को शिक्षा देनी चाहिए कि वे फूल-पत्तियों का नुकसान न करें।
प्रश्न 5. पर्यावरण मित्र बनाने के लिए आप अपनी आदतों में कौन-से परिवर्तन ला सकते हैं?
उत्तर—पर्यावरण को और अधिक मित्र बनाने के लिए हमें अपनी आदतों में निम्न प्रकार से परिवर्तन करने की आवश्यकता है—
(i) ऊर्जा का न्यूनतम उपयोग करें, जब आवश्यकता न हो, बल्ब तथा पंखें ऑफ कर दें।
(ii) आवश्यफकता न होने पर नलों को बंद कर दें
(iii) अजैव निम्नीकरणीय पदार्थो के प्रयोग में तीन ‘R’ का ध्यान रखें।
प्रश्न 6. पोषी स्तपर क्या है ? एक आहार-श्रृखला का उदाहरण देते हुए उसमें विभिन्न पोषी स्तरों के नाम लिखें।
उत्तर—पोषी स्तर : पारितंत्र के सजीव घटकों की श्रेणियाँ जिनके आधार पोषण हैं, पोषी स्तर कहलाती हैं।
एक आहार-श्रृंखला का प्रवाह आरेख—
वन → हिरण → शेर
वन → उत्पालदक
हिरण → प्राथमिक उपभोक्ता (शाहाकारी)
शेर → सर्वोच्च उपभोक्ता (मांसाहारी)
प्रश्न 7. उत्पादक से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर—उत्पादक वे जीव होते हैं जो खा़द्य पदार्थ का उत्पादन करते हैं। इस वर्ग के अंतर्गत वे समस्त पौधे आते हैं जिनमें क्लोरोफिल नामक हरित वर्णक होता है। ये पौधे सूर्य के प्रकाश की सहायता से प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा खाद्य पदार्थ उत्पन्नत करते हैं।
प्रश्न 8. ओजोन क्या है तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है ?
उत्तर—ओजोन ‘O3‘ के अणु ऑक्सीाजन के तीन परमाणुओं से बनते हैं। ओजोन की परत सूर्य से आने वाले पराबैंगनी विकिरण से पृथ्वी को सूरक्षा प्रदान करती है। यह पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर पहुँचती है तो व्यलक्ति में त्वचा के रोग, कैंसर, मोतियाबिन्द तथा अन्य रोग उत्पन्न होते हैं।
(i) सूक्ष्मजीव मर जाते हैं जो मानव के लिए लाभदायक हैं।
(ii) ओजोन परत के अवक्षय से वर्षा में अंतर आता है, पर्यावरण प्रभावित होता है तथा पूरे विश्वे में आहार की कमी होती है।
प्रश्न 9. पर्यावरण क्या है ? इसके संरक्षण के लिए विभिन्न उपायों का वर्णन करें।
उत्तर—किसी जीव के चारों ओर फैली हुई भौतिक या अजैव और जैव कारकों से निर्मित दुनिया, जिसमें वह निवास करता है एवं जिससे वह प्रभावित होता है, उसे उसका पर्यावरण कहा जाता है।
इसके संरक्षण के निम्न उपाय हैं—
(i) ऊर्जा के वैकल्पिक साधनो का उपयोग, जैसे- वायु, सोलर और थर्मल ऊर्जा।
(ii) प्राकृतिक संसाधनों का न्यागयपूर्ण एवं सीमित दोहन।
(iii) जंगलों की कटाई पर रोक लगाकर और वनरोपण को बढ़ावा देकर।
(iv) हानिकारक रसायनों एवं उर्वरकों का सीमित उपयोग।
प्रश्न 10. पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादकों के क्या कार्य हैं?
उत्तर—उत्पादक वे जीव होते हैं जो खाद्य पदार्थ का उत्पादन करते हैं। इस वर्ग के अंतर्गत वे समस्तं पौधे आते हैं जिनमें क्लोरोफिल नामक हरित वर्णक होता है। ये पौधे सूर्य के प्रकाश की सहायता से प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा खाद्य पदार्थ उत्पन्न करते हैं।
प्रश्न 11. ऐसे दो तरीके सुझाइए जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर—पर्यावरण को प्रभावित करने वाले जैव निम्नीइकरणीय पदार्थ हैं-
(i) जैव निम्नीोकरणीय पदार्थ बड़ी मात्रा में पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। इनसे दुर्गंध और गंदगी फैलती है।
(ii) जैव निम्नीरकरणीय पदार्थ तरह-तरह की बीमारियों को फैलाने के कारक बनते हैं। उनसे पर्यावरण में हानिकारक जीवाणु बढ़ते हैं।
प्रश्न 12. क्या कारण है कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं और कुछ अजैव निम्नीकरणीय ?
उत्तर—जैव निम्नीकरणीय पदार्थ जैविक प्रक्रमों से अपघटिक हो जाते हैं। वे जीवाणुओं तथा अन्य प्राणियों के द्वारा उत्पैन्न एंजाइमों की सहायता से समय के साथ अपने आप अपघटित होकर पर्यावरण का हिस्सा बन जाते हैं। लेकिन अजैव निम्नीरकरण पदार्थ जैविक प्रक्रमों से अपघटित नहीं होते। अपनी संश्लिष्ट रचना के कारण उनके बंध दृढतापूर्वक आपस में जुडें रहते हैं और एंजाइम उनपर अपना प्रभाव नहीं डाल पाते।
प्रश्न 13. ऐसे दो तरीके बताइए जिनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर—पर्यावरण को प्रभावित करने वाले अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ हैं-
(i) अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों का अपघटन नहीं हो पाता। वे उद्योगों में तरह-तरह के रासायनिक पदार्थों से तैयार होकर बाद में मिट्टी में अति सूक्ष्म कणों के रूप में मिलकर पर्यावरण को क्षति पहुँचाते हैं।
(ii) वे खा़द्य श्रृंखला में मिलकर जैव आवर्धन करते हैं और मानवों को तरह-तरह की हानि पहुँचाते हैं।
प्रश्न 14. आप कचस निपटान की समस्या कम करने में क्या योगदान कर सकते हैं? किन्हीं दो तरीकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर—कचरा निपटान की समस्या कम करने के लिए,
(i) जैव निम्नीकरणीय तथा अजैव निम्नीकरणीय कचरे का निपटान अलग-अलग करना चाहिए।
(ii) जैव निम्नीकरणीय वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए।
(iii) खरीददारी करते समय कपड़ें के बैग का उपयोग करना चाहिए।
(iv) प्लास्टिक, धातु तथा कागज जैसे कचरे का पुन: चक्रण किया जाना चाहिए।
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Bihar Board Class 10 Science Chemistry Solution
- Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण
- Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण
- Chapter 3 धातु एवं अधातु
- Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक
- Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण
Bihar Board Class 10 Science Biology Solution
- Chapter 1 जैव प्रक्रम
- Chapter 2 नियंत्रण एवं समन्वय
- Chapter 3 जीव जनन कैसे करते है
- Chapter 4 अनुवांशिकता एवं जैव विकास
- Chapter 5 उर्जा के स्रोत
- Chapter 7 प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन