Chapter 1 – मङ्गलम्

मङ्गलम्

प्रश्न 1.
उपनिषदस्य रचनाकारः कः अस्ति ?
(A) महात्मा विदुरः
(B) महर्षिः वेदव्यासः
(C) भर्तृहरिः
(D) चाणक्यः
उत्तर :
(B) महर्षिः वेदव्यासः

प्रश्न 2.
उपनिषदः कान् प्रकटयन्ति ?
(A) बौद्धसिद्धान्तान्
(B) जैनसिद्धान्तान्
(C) दर्शनशास्त्र सिद्धान्तान्
(D) सांख्य सिद्धांतः
उत्तर :
(C) दर्शनशास्त्र सिद्धान्तान्

प्रश्न 3.
‘मङ्गलम्’ पाठस्य रचनाकारः कः अस्ति ?
(A) चाणक्यः
(B) भवभूति
(C) महर्षि वेदव्यासः
(D) महर्षि वाल्मीकिः
उत्तर :
(C) महर्षि वेदव्यासः

प्रश्न 4.
उपनिषदः कस्य अंतिम भागे अस्ति ?
(A) रामायणस्य
(B) लौकिक साहित्यस्य ।
(C) वैदिक वाङ्मस्य ।
(D) आधुनिक साहित्यस्य
उत्तर :
(C) वैदिक वाङ्मस्य ।

प्रश्न 5.
उपनिषदे कस्य महिमा प्रधानतया गीयते ?
(A) स्वविषयस्य
(B) परपुरुषस्य
(C) देवपुरुषस्य
(D) परमपुरुषस्य
उत्तर :
(C) देवपुरुषस्य

प्रश्न 6.
‘मङ्गलम्’ पाठे कति मन्त्राः संकलिताः सन्ति ?
(A) दश
(B) अष्ट
(C) पञ्च
(D) त्रयोदश
उत्तर :
(C) पञ्च

प्रश्न 7.
ब्रह्मणः मुखं केन आच्छादितमस्ति ?
(A) पात्रेण
(B) सरोवरे
(C) समुद्रे
(D) तडागे
उत्तर :
(A) पात्रेण

प्रश्न 8.
महतो महीयात् कः ?
(A) तत्त्वम्
(B) ब्रह्मः
(C) देवः
(D) राक्षसम्
उत्तर :
(A) तत्त्वम्

प्रश्न 9.
अणोः अणीयान् कः ?
(A) तत्त्वम्
(B) राक्षसम्
(C) देवः
(D) ब्रह्मः
उत्तर :
(A) तत्त्वम्

प्रश्न 10.
किं जयं न प्राप्नोति ?
(A) सत्यम्
(B) असत्यम्
(C) क्रोधम्
(D) मोहः
उत्तर :
(B) असत्यम्

प्रश्न 11.
कः महतो महीयान् अस्ति ?
(A) ब्रह्मः
(B) आत्मा
(C) परमात्मा
(D) संसार:
उत्तर :
(A) ब्रह्मः

प्रश्न 12.
किं जयते ?
(A) सत्यम्
(B) असत्यम्
(C) क्रोधम्
(D) मोहः
उत्तर :
(A) सत्यम्

प्रश्न 13.
अणोः अणीयान् कः ?
(A) गगनः
(B) आत्मा
(C) परमात्मा
(D) संसार:
उत्तर :
(B) आत्मा

प्रश्न 14.
किं जयं प्राप्नोति ?
(A) सत्यम्
(B) असत्यम्
(C) क्रोधम्
(D) मोहः |
उत्तर :
(A) सत्यम्

प्रश्न 15.
स्यन्दमाना: नद्यः कुत्र मिलन्ति ?
(A) नद्याम्
(B) सरोवरे
(C) समुद्रे
(D) तडागे
उत्तर :
(D) तडागे

प्रश्न 16.
जन्तोः गुहायां कः निहितः ? .
(A) तत्त्वम्
(B) शरीरम्
(C) देवः
(D) राक्षसम्
उत्तर :
(A) तत्त्वम्

प्रश्न 17.
………….सत्यस्यापिहितं मुखम् । रिक्त स्थानानि पूरयत ।
(A) हिरण्मयेन पात्रेण
(B) पात्रेण
(C) हरण्य
(D) हिरण्यमेण
उत्तर :
(A) हिरण्मयेन पात्रेण

प्रश्न 18.
……….नानृतम् । रिक्त स्थानानि पूरयत ।
(A) असत्यमेव
(B) असत्यमेव जयते
(C) सत्यमेव जयते
(D) जयते
उत्तर :
(C) सत्यमेव जयते

प्रश्न 19.
यथा………स्यन्दमानाः समुद्रे । रिक्त स्थानानि पूरयत ।
(A) विहाय
(B) समुद्रे
(C) नद्यः
(D) नद्य
उत्तर :
(C) नद्यः

प्रश्न 20.
तमेव………..मृत्युमेति । रिक्त स्थानानि पूरयत ।
(A) विदित्वा
(B) आत्मा
(C) मृत्यु
(D) विदित
उत्तर :
(A) विदित्वा

हिन्दी में वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘मङ्गलम्’ कहाँ से संकलित है?
(A) वेद से
(B) पुराण से
(C) उपनिषद् से
(D) वेदाङ्ग से
उत्तर :
(C) उपनिषद् से

प्रश्न 2.
‘मङ्गलम्’ पाठ में कितने मंत्र हैं?
(A) चत्वारः
(B) पञ्च
(C) सप्त
(D) अष्ट
उत्तर :
(B) पञ्च

प्रश्न 3.
उपनिषद के रचनाकार कौन हैं?
(A) महात्मा विदुर
(B) महर्षि वाल्मीकि
(C) महर्षि वेदव्यास
(D) कालिदास
उत्तर :
(C) महर्षि वेदव्यास

प्रश्न 4.
मंगलम पाठ के रचनाकार कौन हैं?
(A) महात्मा विदुर
(B) महर्षि वाल्मीकि
(C) महर्षि वेदव्यास
(D) कालिदास
उत्तर :
(C) महर्षि वेदव्यास

प्रश्न 5.
अणु से छोटा कौन है?
(A) आकाश
(B) आत्मा
(C) परमात्मा
(D) संसार
उत्तर :
(B) आत्मा

प्रश्न 6.
किसकी जय होती है?
(A) सत्य
(B) असत्य
(C) क्रोध
(D) मोह
उत्तर :
(A) सत्य

प्रश्न 7.
बहती नदी कहाँ मिलती है?
(A) सरोवर
(B) नदी
(C) समद्र
(D) तालाब
उत्तर :
(C) समद्र

प्रश्न 8.
जंतु के हृदय रूपी गुफा में क्या स्थित है?
(A) तत्व
(B) शरीर
(C) देवता
(D) राक्षस
उत्तर :
(A) तत्व

प्रश्न 9.
ब्रह्मा को प्राप्त करने के विषय में बताया गया है
(A) कठोपनिषद
(B) ईशावास्योपनिषद्
(C) श्वेताश्वतर
(D) मुण्डकोपनिषद्
उत्तर :
(D) मुण्डकोपनिषद्

प्रश्न 10.
देव लोक का मार्ग किससे प्राप्त होता है?
(A) सत्य
(B) असत्य
(C) क्रोध
(D) मोह
उत्तर :
(A) सत्य

प्रश्न 11.
सत्य से क्या प्राप्त होता है?
(A) पृथ्वी लोक
(B) नरकलोक
(C) देवलोक
(D) कोई नहीं
उत्तर :
(C) देवलोक

प्रश्न 12.
मृत्यु को वश में कौन कर लेते हैं?
(A) मूर्ख
(B) अज्ञानी
(C) विद्वान
(D) कोई नहीं
उत्तर :
(C) विद्वान

प्रश्न 13.
उपनिषद् एक कैसा ग्रंथ है?
(A) आध्यात्मिक
(B) आदर्शरूपी
(C) आत्मकथा
(D) साधारण
उत्तर :
(A) आध्यात्मिक

प्रश्न 14.
उपनिषद् में किस महिमा का वर्णन किया गया है?
(A) स्वविषय
(B) परपुरुष
(C) देवपुरुष
(D) परमपुरुष
उत्तर :
(D) परमपुरुष

प्रश्न 15.
उपनिषदों की संख्या कितनी है? ।
(A) 109
(B) 108
(C) 105
(D) 111
उत्तर :
(B) 108

प्रश्न 16.
आत्मा के गूढ़ रहस्य की किसमें व्याख्या की गई है? .
(A) कठोपनिषद
(B) ईशावास्योपनिषद्
(C) श्वेताश्वतर
(D) मुण्डकोपनिषद्
उत्तर :
(A) कठोपनिषद

प्रश्न 17.
परमात्मा की महिमा का वर्णन किसमें किया गया है?
(A) कठोपनिषद
(B) ईशावास्योपनिषद्
(C) श्वेताश्वतर
(D) मुण्डकोपनिषद्
उत्तर :
(B) ईशावास्योपनिषद्

प्रश्न 18.
ज्ञानी लोक और अज्ञानी लोग में अंतर किसमें बताया गया है?
(A) कठोपनिषद
(B) ईशावास्योपनिषद्
(C) श्वेताश्वतर
(D) मुण्डकोपनिषद्
उत्तर :
(C) श्वेताश्वतर

प्रश्न 19.
सत्य का मुँह किस पात्र से ढंका हुआ है? ।
(A) हिरण्मय पात्र से
(B) मृण्मय पात्र से
(C) रजतमय पात्र से
(D) ताम्रपात्र से
उत्तर :
(A) हिरण्मय पात्र से

प्रश्न 20.
सत्य का खजाना कहाँ है? ।
(A) पृथ्वी लोक
(B) नरकलोक
(C) देवलोक
(D) कोई नहीं
उत्तर :
(C) देवलोक

संस्कृत में वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जन्तोः गुहायां कः निहितः?
(A) तत्वम्
(B) शरीरम्
(C) देवः
(D) दानवम्
उत्तर :
(A) तत्वम्

प्रश्न 2.
अणोः अणीयान् कः?
(A) ज्ञानः
(B) आत्मा
(C) संसारः
(D) गगनः
उत्तर :
(B) आत्मा

प्रश्न 3.
हिरण्मयेन पात्रेण किम् अपिहितम्?
(A) सत्यम्
(B) असत्यम्
(C) सत्यस्यमुखम्
(D) असत्यस्य मुखम्
उत्तर :
(C) सत्यस्यमुखम्

प्रश्न 4.
सत्यस्य मुखम् केन अपिहितम?
(A) हिरण्मयेन
(B) पात्रेण
(C) छत्रेण
(D) हिरण्मयेन पात्रेण
उत्तर :
(D) हिरण्मयेन पात्रेण

प्रश्न 5.
अणोरणीयान् महतोमहीयान् कः?
(A) गगनः
(B) संसारः
(C) आत्मा
(D) जनः
उत्तर :
(C) आत्मा

प्रश्न 6.
‘मङ्गलम्’ पाठे कति उपनिषदस्य श्लोकान् सन्ति?
(A) पञ्च
(B) चतुर
(C) सप्त
(D) षट
उत्तर :
(A) पञ्च

प्रश्न 7.
परात्परं पुरुष कः उपैति?
(A) विद्वान्
(B) महान्
(C) दयावान्
(D) प्राणवान्
उत्तर :
(A) विद्वान्

प्रश्न 8.
सत्यधर्माय प्राप्तये किम् अपावृणु?
(A) मुखम्
(B) असत्यम्
(C) सत्यम्
(D) हिरण्मयपात्तम्
उत्तर :
(D) हिरण्मयपात्तम्

प्रश्न 9.
देवयानः पन्थाः केन विततः अस्ति?
(A) सत्येन
(B) असत्येन
(C) हिरण्मयेन पात्रेण
(D) आलस्येन
उत्तर :
(A) सत्येन

प्रश्न 10.
……. महतो महीयान। रिक्त स्थानम् पूरयतः।
(A) तमक्रतुः
(B) वीतशोको
(C) अणोरणीयान्
(D) पूषन्
उत्तर :
(C) अणोरणीयान्

प्रश्न 11.
उपनिषदस्य रचनाकारः कः अस्ति?
(A) महात्मा विदुरः
(B) महर्षिः वेदव्यासः
(C) भर्तृहरिः
(D) चाणक्यः
उत्तर :
(B) महर्षिः वेदव्यासः

प्रश्न 12.
उपनिषदः कान् प्रकटयन्ति? ।
(A) बौद्धसिद्धान्तान्
(B) जैनसिद्धान्तान्
(C) दर्शनशास्त्र सिद्धान्तान्
(D) सांख्य सिद्धांतः
उत्तर :
(C) दर्शनशास्त्र सिद्धान्तान्

प्रश्न 13.
‘मङ्गलम्’ पाठस्य रचनाकारः कः अस्ति?
(A) चाणक्यः
(B) भवभूति
(C) महर्षि वेदव्यासः
(D) महर्षि वाल्मीकिः
उत्तर :
(C) महर्षि वेदव्यासः

प्रश्न 14.
किं जयं प्राप्नोति?
(A) सत्यम्
(B) असत्यम्
(C) क्रोधम्
(D) मोहः
उत्तर :
(A) सत्यम्

प्रश्न 15.
‘मङ्गलम्’ पाठे कति मन्त्राः संकलिताः सन्ति?
(A) दश
(B) अष्ट
(C) पञ्च
(D) त्रयोदश
उत्तर :
(C) पञ्च

प्रश्न 16.
उपनिषदे कस्य महिमा प्रधानतया गीयते?
(A) स्वविषयस्य
(B) परपुरुषस्य
(C) देवपुरुषस्य
(D) परमपुरुषस्य
उत्तर :
(D) परमपुरुषस्य

(उपनिषदः वैदिकवाङ्मयस्य अन्तिमे भागे दर्शनशास्त्रस्य परमात्मनः महिमा प्रधानतया गीयते। तेन परमात्मना जगत् व्याप्तमनुशासितं चास्ति। स एव सर्वेषां तपसां परमं लक्ष्यम्। अस्मिन् पाठे परमात्मपरा उपनिषदां पद्यात्मकाः पंच मंत्राः संकलिताः सन्ति।)
अर्थ- उपनिषद वैदिक साहित्य के अंतिम भाग में दार्शनिक सिद्धांत को प्रकट करते हैं। सब जगह श्रेष्ठ पुरूष परमात्मा की महिमा का प्रधान रूप से गायन हुआ है। उसी परमात्मा से सारा संसार परिपूर्ण और अनुशासित है। सबों की तपस्या का लक्ष्य उसी को प्राप्त करना है। इस पाठ में उस परमात्मा की प्राप्ति हेतु उपनिषद के पाँच मंत्र श्लोक के रूप में संकलित हैं।

हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम् ।
तत्वम् पूषन्नपावृणु सत्यधर्माय दृष्टये ।।

अर्थ- हे प्रभु ! सत्य का मुख सोने जैसा आवरण से ढ़का हुआ है, सत्य धर्म की प्राप्ति के लिए उस आवरण को हटा दें ।।

व्याख्या- प्रस्तुत श्लोक ‘ईशावास्य उपनिषद्‘ से संकलित तथा मङ्गलम पाठ से उद्धृत है। इसमें सत्य के विषय में कहा गया है कि सांसारिक मोह-माया के कारण विद्वान भी उस सत्य की प्राप्ति नहीं कर पाते हैं, क्योंकि सांसारिक चकाचैंध में वह सत्य इस प्रकार ढ़क जाता है कि मनुष्य जीवन भर अनावश्यक भटकता रहता है। इसलिए ईश्वर से प्रार्थना की गई है कि हे प्रभु ! उस माया से मन को हटा दो ताकि परमपिता परमेश्वर को प्राप्त कर सके।

अणोरणीयान् महतो महीयान्
आत्मास्य जन्तोर्निहितो गुहायाम् ।
तमक्रतुरू पश्यति वीतशोको
धातुप्रसादान्महिमानमात्मानः ।।

अर्थ- मनुष्य के हृदयरूपी गुफा में अणु से भी छोटा और महान से महान आत्मा विद्यमान है। विद्वान शोक रहित होकर उस श्रेष्ठ परमात्मा को देखता है ।

व्याख्या- प्रस्तुत श्लोक ‘कठ‘ उपनिषद् से संकलित तथा ‘मङ्गलम‘ पाठ से उद्धृत है। इसमें आत्मा के स्वरूप तथा निवास के विषय में बताया गया है।
विद्वानों का कहना है कि आत्मा मनुष्य के हृदय में सूक्ष्म से भी सूक्ष्म तथा महान से भी महान रूप में विद्यमान है। जब जीव सांसारिक मोह-माया का त्यागकर हृदय में स्थित आत्मा से साक्षात्कार करता है तब उसकी आत्मा महान परमात्मा में मिल जाती है और जीव सारे सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाता है। इसलिए भक्त प्रार्थना करता है कि हे प्रभु ! हमें उस अलौकिक (पवित्र) प्रकाश से आलोकित करो कि हम शोकरहित होकर अपने-आप को उस महान परमात्मा में एकाकार कर सकें।

सत्यमेव जयते नानृतं
सत्येन पन्था विततो देवयानः ।
येनाक्रमन्त्यृषयो ह्याप्तकामा
यत्र तत् सत्यस्य परं निधानम् ।।

अर्थ- सत्य की ही जीत होती है, झुठ की नहीं। सत्य से ही देवलोक का रास्ता प्राप्त होता है। ऋषिलोग देवलोक को प्राप्त करने के लिए उस सत्य को प्राप्त करते हैं । जहाँ सत्य का भण्डार है ।

व्याख्या- प्रस्तुत श्लोक ‘मुण्डक‘ उपनिषद् से संकलित तथा ‘मङ्गलम्‘ पाठ से उद्धृत है। इसमें सत्य के महत्व पर प्रकाश डाला गया है।
ऋषियों का संदेश है कि संसार में सत्य की ही जीत होती है, असत्य या झूठ की नहीं। तात्पर्य यह कि ईश्वर की प्राप्ति सत्य की आराधना से होती है, न कि सांसारिक विषय-वासनाओं में डूबे रहने से होती है। संसार माया है तथा ईश्वर सत्य है। अतः जीव जब तक उस सत्य मार्ग का अनुसरण नहीं करता है तब तक वह सांसारिक मोह-माया में जकड़ा रहता है। इसलिए उस सत्य की प्राप्ति के लिए जीव को सांसारिक मोह-माया से दूर रहनेवाला भाव से कर्म करना चाहिए, क्योंकि सिर्फ ईश्वर ही सत्य है, इसके अतिरिक्त सबकुछ असत्य है।

यथा नद्यः स्यन्दमानाः समुद्रे-
ऽस्तं गच्छन्ति नामरूपे विहाय।
तथा विद्वान नामरूपाद् विमुक्तः
परात्परं पुरुषमुपैति दिव्यम्।।

अर्थ- जिस प्रकार नदियाँ बहती हुई अपने नाम और रूप को त्यागकर समुद्र में मिल जाती है, उसी प्रकार विद्वान अपने नाम और रूप को त्यागकर परमपिता परमेश्वर की प्राप्ति करते हैं।

व्याख्या- प्रस्तुत श्लोक ‘मुण्डक‘ उपनिषद् से संकलित तथा ‘मङ्गलम‘ पाठ से उद्धृत है। इसमें जीव और आत्मा के बीच संबंध का विवेचन किया गया है।
ऋषियों का कहना है कि जिस प्रकार बहती हुई नदियाँ समुद्र में मिल जाती है, उसी प्रकार विद्वान ईश्वर के अलौकिक (पवित्र) प्रकाश में मिलकर जीव योनि से मुक्त हो जाता है। जीव तभी तक माया जाल में लिपटा रहता है जब तक उसे आत्म-ज्ञान नहीं होता है। आत्म-ज्ञान होते ही जीव मुक्ति पा जाता है।

वेदाहमेतं पुरुषं महान्तम्
आदित्यवर्णं तमसः परस्तात्।
तमेव विदित्वाति मृत्युमेति
नान्यः पन्था विद्यतेऽयनाय।।

अर्थ- मुझे ही महान पुरूष (परमात्मा) जानो, जो प्रकाश स्वरूप में अंधकार के आगे है। उसी को जानकर मृत्यु को प्राप्त किया जाता है। इसके अलावा दूसरा कोई मार्ग नहीं है। अर्थात् आत्मज्ञान के बिना मोक्ष की प्राप्ति संभव नहीं है।

व्याख्या- प्रस्तुत श्लोक ‘श्वेताश्वतर‘ उपनिषद् से संकलित तथा ‘मङ्गलम‘ पाठ से उद्धृत है। इसमें परमपिता परमेश्वर के विषय में कहा गया है।
ऋषियों का मानना है कि ईश्वर ही प्रकाश का पुंज है। उन्हीं के भव्य दर्शन से सारा संसार आलोकित होता है। ज्ञानी लोग उस ईश्वर को जानकर सांसारिक विषय-वासनाओं से मुक्ति पाते हैं। इसके अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्‍न 1. ‘मङ्गलम्‘ पाठ में कितने मंत्र हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर- (घ) पाँच

प्रश्‍न 2. सत्य का मुँह किस पात्र से ढ़का हुआ है ?
(क) असत्य से
(ख) हिरण्मय पात्र से
(ग) स्वार्थ से
(घ) अशांति से
उत्तर- (ख) हिरण्मय पात्र से

प्रश्‍न 3. ‘सत्यमेव जयते‘ किस उपनिषद् से लिया गया है ?
(क) ईशावास्योपनिषद्
(ख) मुण्डकोपनिषद्
(ग) कठोपनिषद्
(घ) वृहदारण्यकोपनिषद्
उत्तर- (ख) मुण्डकोपनिषद्

प्रश्‍न 4. ‘हिरण्मयेन पात्रेण…..दृष्टये‘ किस उपनिषद् से लिया गया है ?
(क) ईशावास्योपनिषद्
(ख) मुण्डकोपनिषद्
(ग) कठोपनिषद्
(घ) वृहदारण्यकोपनिषद्
उत्तर- (क) ईशावास्योपनिषद्

प्रश्‍न 5. ‘वेदा हमेतं पुरुषं महान्तम्…..विद्यतेऽयनाय‘ किस उपनिषद् से लिया गया है ?
(क) ईशावास्योपनिषद्
(ख) मुण्डकोपनिषद्
(ग) श्वेताश्वतरोपनिषद्
(घ) वृहदारण्यकोपनिषद्
उत्तर- (ग) श्वेताश्वतरोपनिषद् 

प्रश्‍न 6. ‘मंगलम्‘ पाठ कहाँ से संकलित है ?
(क) वेद से   
(ख) उपनिषद् से
(ग) पुराण से 
(घ) वेदांग से
उत्तर- (ख) उपनिषद् से

प्रश्‍न 7. ‘अणोरणीयान् महतो………महिमानमात्मनः‘ किस उपनिषद् से लिया गया है ?
(क) ईशावास्योपनिषद्
(ख) मुण्डकोपनिषद्
(ग) कठोपनिषद्
(घ) वृहदारण्यकोपनिषद्
उत्तर- (ग) कठोपनिषद्

प्रश्‍न 8. महान से महान क्या है?
(क) आत्मा
(ख) देवता
(ग) ऋषि
(घ) दानव
उत्तर- (क) आत्मा 

प्रश्‍न 9. किसकी विजय होती है ?
(क) सत्य की
(ख) असत्य की
(ग) धर्म की
(घ) सत्य और असत्य दोनों की
उत्तर- (क) सत्य की 

प्रश्‍न 10. नदियाँ नाम और रूप को छोड़कार किसमें मिलती है?
(क) समुद्र में
(ख) मानसरोवर में
(ग) तालाब में
(घ) झील में
उत्तर- (क) समुद्र में 

प्रश्‍न 11. किसकी विजय नहीं होती है ?
(क) सत्य की
(ख) असत्य की
(ग) धर्म की
(घ) सत्य और असत्य दोनों की
उत्तर- (ख) असत्य की

प्रश्‍न 12. यह संपूर्ण संसार किसके द्वारा अनुशासित है?
(क) आत्मा
(ख) परमात्मा
(ग) साहित्य
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर- (ख) परमात्मा

विषयनिष्‍ठ प्रश्‍न
लघु-उत्तरीय प्रश्न (20-30 शब्दों में)___दो अंक स्तरीय
प्रश्‍न 1. ‘सत्य का मुँह‘ किस पात्र से ढंका है?           
उत्तर- सत्य का मुँह सोने जैसा पात्र से ढंका हुआ है।

प्रश्‍न 2. नदियाँ क्या छोड़कर समुद्र में मिलती हैं?
उत्तर- नदियाँ अपने नाम और रूप को छोड़कर समुद्र में मिलती हैं।

प्रश्‍न 3. मङ्गलम् पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।
उत्तर- इस पाठ में पाँच मन्त्र ईशावास्य, कठ, मुण्डक तथा श्वेताश्वतर नामक उपनिषदों से संकलित है। वैदिकसाहित्य में शुद्ध आध्यात्मिक ग्रन्थों के रूप में उपनिषदों का महत्व है। इन्हें पढ़ने से परमात्‍मा (मुख्य शक्ति अर्थात् ईश्वर) के प्रति आदरपूर्ण आस्था या विश्वास उत्पन्न होती है, सत्य के खोज की ओर मन का झुकाव होता है तथा आध्यात्मिक खोज की उत्सुकता होती है। उपनिषदग्रन्थ विभिन्न वेदों से सम्बद्ध हैं।

प्रश्‍न 4. मङ्गलम् पाठ के आधार पर सत्य की महत्ता पर प्रकाश डालें।
उत्तर- सत्य की महत्ता का वर्णन करते हुए महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि हमेशा सत्य की ही जीत होती है। झुठ की जीत कभी नहीं होती है । सत्य से ही देवलोक का रास्ता निकलता है । ऋषिलोग देवलोक को प्राप्त करने के लिए उस सत्य को प्राप्त करते हैं । जहाँ सत्य का भण्डार है ।

प्रश्‍न 5. मङ्गलम् पाठ के आधार पर आत्मा की विशेषताएँ बतलाएँ।
उत्तर- मङ्गलम् पाठ में संकलित कठोपनिषद् से लिए गए मंत्र में महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि प्राणियों की आत्मा हृदयरूपी गुफा में बंद है। यह सूक्ष्म से सूक्ष्म और महान-से-महान है । इस आत्मा को वश में नहीं किया जा सकता है। विद्वान लोग शोक-रहित होकर परमात्मा अर्थात् ईश्वर का दर्शन करते हैं।

प्रश्‍न 6. आत्मा का स्वरूप क्या है पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर- कठोपनिषद में आत्मा के स्वरूप का बड़ा ही अच्छा तरीका से विश्लेषण किया गया है । आत्मा मनुष्य की हृदय रूपी गुफा में अवस्थित है। यह अणु से भी सूक्ष्म है। यह महान् से भी महान् है। इसका रहस्य समझने वाला सत्य की खोज करता है। वह शोकरहित उस परम सत्य को प्राप्त करता है।

प्रश्‍न 7. महान लोग संसाररूपी सागर को कैसे पार करते हैं ?
उत्तर- श्वेताश्वतर उपनिषद् में ज्ञानी लोग और अज्ञानी लोग में अंतर स्पष्ट करते हुए महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि ईश्वर ही प्रकाश का पुंज (समुह) है। उन्हीं के भव्य दर्शन से सारा संसार आलोकित होता है। ज्ञानी लोग उस ईश्वर को जानकर सांसारिक विषय-वासनाओं (मोह-माया) से मुक्ति पाते हैं। इसके अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है।

प्रश्‍न 8. विद्वान पुरुष ब्रह्म को किस प्रकार प्राप्त करता है?
उत्तर- मुण्डकोपनिषद् में महर्षि वेद-व्यास का कहना है कि जिस प्रकार बहती हुई नदियाँ अपने नाम और रूप अर्थात् व्यक्तित्व को त्यागकर समुद्र में मिल जाती हैं उसी प्रकार महान पुरुष अपने नाम और रूप, अर्थात् अपने व्यक्तित्व को त्यागकर ब्रह्म (ईश्‍वर) को प्राप्त कर लेता है।

प्रश्‍न 9. उपनिषद् को आध्यात्मिक ग्रंथ क्यों कहा गया है?
उत्तर- उपनिषद् एक आध्यात्मिक ग्रंथ है, क्योंकि यह आत्मा और परमात्मा के संबंध के बारे में विस्तृत व्याख्या करता है। परमात्मा संपूर्ण संसार में शांति स्थापित करते हैं। सभी तपस्वियों का परम लक्ष्य परमात्मा को प्राप्त करना ही है।

प्रश्‍न 10. उपनिषद् का क्या स्वरूप हैपठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर- उपनिषद् वैदिक वाङ्मय (वैदिक साहित्‍य) का अभिन्न अंग है। इसमें दर्शनशास्त्र के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया है। सभी जगह परमपुरुष परमात्मा का गुणगान किया गया है। परमात्मा के द्वारा ही यह संसार व्याप्त और अनुशासित है। सबों की तपस्या का लक्ष्य उसी को प्राप्त करना है।

प्रश्न 11. नदी और विद्वान में क्या समानता है ? (2020A)
उत्तर- जिस प्रकार बहती हुई नदियाँ अपने नाम और रूप को त्यागकर समुद्र में विलीन हो जाती है, उसी प्रकार विद्वान भी अपने नाम और रूप के प्रवाह किए बिना ईश्वर की प्राप्ति करते हैं। 

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पीयूषम् भाग 2 Class 10 Solutions
संस्कृत पीयूषम् द्रतयपाठय भाग 2 (अनुपूरक पुस्तक)

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