पर्यटनम्
(क) नासिकक्षेत्रम्
महाराष्ट्रदेशे पवित्रायाः गोदावरीनद्याः तीरे विलसति नासिकक्षेत्रम। शूर्पणखाया: नासिका अत्रैव छिन्ना लक्ष्मणेन इत्यतः स्थानस्यास्य तत् नाम इति वदन्ति अत्रत्याः। नासिक इत्यपि कथ्यमानम् एतत् अनेकै: कारणैः प्रसिद्धम् अस्ति। गोदावर्याः एकस्मिन् नासिकनगरं चेत् अपरस्मिन् पार्श्वे अस्ति पञ्चवटीक्षेत्रम्। कुम्भमेल: प्रचलति इति कारणत: नासिकक्षेत्रं प्रयागमिव हरिद्वारमिव पवित्रं मन्यते श्रद्धालवः। द्वादशषु वर्षेषु एकदा प्रचलति अयं कुम्भमेलः। तदा तु क्षेत्रेऽस्मिन् भक्तानां तादृशः महापूरः भवति यत् कत्रापि निक्षेपतुमपि स्थलं न लभ्यते । अग्रिमस्य कुम्भमेलस्य निमित्तं गतवर्षादव सज्जाताका प्रचलन्ति सन्ति । गोदावती द्रष्टं नदीरीर गतवता मया विस्मयः प्रायः यतः तत्र जलन नासीत् । ततः कारणं ज्ञातं यत् कुम्भमेलस्य निमित्रं नद्याः तटयोः व्यवस्था: कर्तम इदानी तस्याः प्रवाहः अन्यत्र एवं नीतः अस्ति इति । अतः श्रारामकुण्डनामकात् स्थानात अनन्ता नद्याः पात्रं केवलं दृष्टं, न तु जलम् । नैके कर्मकाराः तत्र कार्यनिरताः आसन्।
श्रीरामकुण्डस्य पार्श्वे स्थिते कस्मिंश्चित् भवने सम्मिलिताः श्रद्धालवः धार्मिक विधिष निरताः आसन् । तत्पावस्थे भवने महात्मागान्धेः चिताभस्म सुरक्षितम् अस्ति । श्रीरामकण्ट एतत् वैशिष्टयम् अस्ति यत् तत्रत्ये कस्मिश्चित् निश्चिते स्थाने विसृष्टम् अस्थि काभिश्चित एव घण्टाभिः द्रुतं भवति इति । वयं जानीमः यत् अस्थि जले सुखेन तु नैव द्रवति । अत्र त तत अल्पेन कालेन निश्शेषं विलीयते । अत्र अस्थिविसर्जनं महत् पुण्यकरमपि । अतः एव अत्र अस्थिविसर्जन कर्तुं देशस्य नानाभागेभ्य: बहवः श्रद्धालवः समागच्छन्ति।
गोदावर्याः तीरे स्थितं त्र्यम्बकेश्वरमन्दिरं नशेशङ्करमन्दिरं नासिकस्य क्षेत्रस्य अपरे प्रेक्षणीये स्थाने । सरदारनारोशङ्करनामकेन 1747 तमे क्रिस्ताब्दे 18 लक्ष्यरूण्यकात्मकव्ययेन निर्मितम् एतत् मन्दिरं शिल्पकलादृष्ट्या अत्यन्तं विशिष्टम् अस्ति । देवालयस्य उपरि काचित् महती घण्टा प्रतिष्ठापिता अस्ति या पोर्चुगल्देशे निर्मिता इति श्रूयते । तस्याः ध्वनिः समग्रे नासिकनगरेऽपि श्रूयते स्म ।
अर्थ:
(क) नासिक क्षेत्रम्- महाराष्ट्र प्रदेश में पवित्र गोदावरी नदी के किनारे नासिक क्षेत्र शोभता है । शूर्पणखा की नाक लक्ष्मण के द्वारा यहीं काटी गई थी। इसी कारण इस स्थान का नाम यहाँ के लोग नासिक बोलते हैं। नासिक के कहे जाने के अनेक कारण प्रसिद्ध हैं। गोदावरी के एक तरफ नासिक नगर है और दूसरी तरफ पञ्चवटी नामक क्षेत्र है। कुम्भमेला यहीं लगता है, इसी कारण नासिक क्षेत्र को प्रयाग और हरिद्वार के जैसा पवित्र श्रद्धालु लोग मानते हैं। बारह वर्षों में एक बार आता है। यह कुम्भ मेला। उस समय इस क्षेत्र में भक्तों की भीड़ होती है वैसी जगह कहीं भी खोजने पर नहीं दिखाई पड़ती है। आगे के कुम्भ मेला के निमित्त गत वर्ष से ही हो रहे कार्य चल रहे हैं। गोदावरी देखने के लिए नदी के तीर पर जब गया तो मझे आश्चर्य हुआ, क्या वहाँ जल ही नहीं था। इसका कारण ज्ञात हुआ कि-कुम्भ मेला के निमित नदी के दोनों तटों पर व्यवस्था की गयी है। इस समय नदी की धारा अन्यत्र ही है। इसलिए श्रीराम कुण्ड नामक स्थान से यहाँ तक नदी का केवल आकार ही दिखाई पड़ता है न कि जल । वहाँ कोई कर्मचारी कार्य में लगे नहीं थे।
श्री राम कुण्ड के समीप स्थित किसी भवन में श्रद्धालु लोग धार्मिक अनुष्ठान में लगे थे। उसी के निकट के भवन में महात्मा गाँधी की चिता का भस्म सुरक्षित है। श्री रामकुण्ड की यह विशेषता है कि यहाँ किसी निश्चित स्थान पर विसर्जन किया गया हड्डी कुछ ही घंटों में गल जाती है। हमलोग यह भी जानें कि- हड्डी जल में आसानी से नहीं चुनी जा सकती है। यहाँ वह कम समय में ही विलीन हो जाती है। यहाँ अस्थि-विसर्जन अत्यन्त पुण्यकर्म माना जाता है। इसलिए यहाँ अस्थि-विसर्जन करने देश के अनेक भागों से बहुतों श्रद्धालु लोग यहाँ आते हैं।
गोदावरी नदी के तीर पर स्थित त्र्यम्बकेश्वर मंदिर नारोशंकर मंदिर तथा नासिक क्षेत्र के अन्य स्थान देखने योग्य हैं। सरदार नारो शंकर नामक राजा के द्वारा 1747 ई. सन् में 18 लाख रुपये के खर्च से निर्मित यह मंदिर शिल्प कला की दृष्टि से अत्यन्त विशिष्ट स्थान रखता है। मंदिर के ऊपर कोई बहुत बड़ी घण्टा बँधा है, जो पोर्चुगल देश में बना, ऐसा लोग कहते हैं। उसकी आवाज सम्पूर्ण नासिक नगर में सुनी जाती है।
(ख) पंचवटी
पञ्चानां वटानां समाहार: पञ्चवटी- इति असकृत् पठितमेव अस्माभि:। तन्नाम्ना अभिधीयामने रचाने अद्यापि विलसन्ति पञ्च वटवृक्षाः। जीर्णानां पुरातनानां महावृक्षाणां स्थाने तन्मूलादेव उत्पन्नाः एते वृथाः न तथा महाकायाः सन्ति यथा अस्माभिः चिन्तयन्ते । पज्ज संख्याभिः ते वृक्षाः निर्दिष्टाः अपि ।
पञ्चवट्या पुरतः एव अस्ति सीतागुहा। यदा शूर्पणखाया: नासिकाच्छेदः जातः तदा अग्रे सम्भाव्यमानं राक्षसानाम् आक्रमणं विचिन्त्य श्रीरामः अस्यामेव गुहायां सीतां सुरक्षितरूपेण संस्थाज्य स्वयं च खरदूषणादिभिः चतुर्दशसहस्त्रराक्षसैः सह युद्धम् अकरोत् । शरीरं सङ्कोच्य गुहा प्रविष्टा चेत् अन्तः अघो भागे प्रतिष्ठापितानां सीतारामलक्ष्मणानां मूर्तीनां दर्शनं कर्तुं शक्यम् । परन्तु हा, यदि भवन्तः स्थूलकायाः, ताहि नाहन्ति गुहां प्रवेष्टुम् ।
ततः एव अन्यां गुहां प्रवेष्टुं मार्गः अस्ति। तस्यां च गुहायां भगवतः पञ्चरलेश्वरस्य महालिङ्गम् अस्ति । भगवान् श्रीराम: स्वहस्ताभ्याम् अस्य अर्चनम् अकरोत् इति वदन्ति अत्रत्याः । | यो: अपि अनयोः गुहयो: दर्शनम् महान्तम आनन्दं जनयति । तत्पुरतः एव स्थलं किञ्चित् प्रदर्श्यते यत्र मारचीः हतः इति जनाः कथयन्ति ।
कालाराममंदिरम् अत्रत्यम् अपरं प्रेक्षणीय स्थानम् । विशाले सुन्दर च अस्मिन् मन्दिरे भगवतः श्रीरामस्य कृष्णशिलानिर्मिता मूर्तिः अस्ति । डा. भीमराव अम्बेदकर: अस्मिन् एव मन्दिरे हरिजनानां प्रवेशं कारयितुम् आन्दोलनम् कृतवान् आसीत्।
(ख) पंचवटी— पाँच वट वृक्षों का समूह पंचवटी ऐसा हमलोगों के द्वारा पढ़ा गया। उसके नाम से कहे जाने वाले स्थान पर आज भी पाँच वट वृक्ष दिखाई पड़ते हैं। जीर्ण पुराने महा वृक्ष के स्थान पर उसी की जड़ से ही उत्पन्न ये पाँचों वृक्ष उतने विशाल नहीं हैं। जैसा कि हमलोग सोचते होंगे। पाँच की संख्या में वृक्ष बँटें दिखाई पड़ते हैं। पंचवटी के सामने ही सीता गुहा है। जब शूर्पणखा की नाक काट ली गई तब राक्षसों के आक्रमण की सम्भावना का विचार कर श्रीराम ने इसी की गुफा में सीता को सुरक्षित रूप से रखकर स्वयं खरदूषण आदि चौदह हजार राक्षसों के साथ युद्ध किये थे । शरीर को संकुचित करके गुफा में प्रवेश करने पर भीतर नीचे भाग में स्थापित सीता, राम और लक्ष्मण की मूर्तियों की दर्शन कर सकते हैं। परन्तु हाँ, यदि आप मोटा शरीर के हैं तो गुफा में प्रवेश नहीं कर सकते है।
वहीं अन्य गुफा में प्रवेश के लिए रास्ते हैं। उस गुफा में भगवान पञ्चरत्नेश्वर का बहुत बड़ा शिवलिङ्ग है। भगवान श्रीराम अपने हाथों से इनकी पूजा की थी, ऐसा यहाँ के लोग कहते है। इस दोनों गुफा का दर्शन बहुत आनन्द देता है। उसी के सामने ही जगह को कुछ लोग बताते है कि यहाँ मारीच मारा गया था। काला राम मंदिर यहाँ का दूसरा देखने योग्य स्थान है। विशाल और सुन्दर इस मंदिर में भगवान श्रीराम की काला पत्थर से निर्मित मूर्ति है। डॉ. भीमराव अम्बेदकर इसी मंदिर में हरिजनों के प्रवेश कराने के लिए आन्दोलन किये थे ।
अभ्यास प्रश्न:
1. पञ्चवट्या: धार्मिक महत्वं लिखत ?
उत्तरम्- वन गमनकाले रामलक्ष्मणौ सौतया सह पञ्चवट्यां अनिवसताम्, बहुकाले तत्र सीता सुरक्षिता अभवत् । तस्मात् कारणात् अस्य स्थानस्य धार्मिकमहत्वं अति विशिष्टम् वर्तते।
प्रश्नः 2. कालाराममंदिरे हरिजनानां प्रवेश कारयितुं कः आन्दोलनं कृतवान् आसीत् ?
उत्तरम्-कालाराम मंदिरे हरिजनानां प्रवेशं कारयितुम् डॉ. भीमराव अम्बेदकरः आन्दोलन कृतवान आसीत् ।
प्रश्न: 3. सीतागुहासम्बद्धा का कथा प्रसिद्धा?
उत्तरम् –सीतागुहासम्बद्धा कथा प्रसिद्धा अस्ति यत्-शूर्पणखायाः नासिका यदा छेदः जातः तदा अग्ने सम्भाव्यमानं राक्षसानां आक्रमणं विचिन्त्य श्रीरामः अस्यामेव गुहायां सीतां सुरक्षित रूपेण संस्थाज्य स्वयं च खरदूषणादिभिः चतुर्दश सहस्र राक्षसैः सह युद्ध अकरोत् ।
प्रश्न: 4. सीतागुहायां केषां प्रतिमाः प्रतिष्ठापिताः?
उत्तर- सीता गुहायां रामसीता लक्ष्मणानां प्रतिमाः प्रतिष्ठापिताः ।
हिन्दी में वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
नासिक किस नदी के तट पर स्थित है?
(A) गंगा
(B) गोदावरी
(C) यमुना
(D) कावेरी
उत्तर :
(B) गोदावरी
प्रश्न 2.
नासिक नगर किस प्रांत में है?
(A) महाराष्ट्र
(B) गुजरात
(C) आंध्रप्रदेश
(D) मध्यप्रदेश
उत्तर :
(A) महाराष्ट्र
प्रश्न 3.
नासिक नामकरण कैसे हुआ?
(A) नाश के कारण
(B) राक्षसों के वास स्थन के कारण
(C) सूपर्णखा की नाक कटने से
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(C) सूपर्णखा की नाक कटने से
प्रश्न 4.
श्रीराम कुंड कहाँ है?
(A) काशी
(B) पटना
(C) मथुरा
(D) नासिक
उत्तर :
(D) नासिक
प्रश्न 5.
कुंभ मेला कहाँ लगता है?
(A) गया
(B) पटना
(C) लखनऊ
(D) नासिक
उत्तर :
(D) नासिक
प्रश्न 6.
नारो शंकर मंदिर कहाँ है?
(A) नासिक
(B) पटना
(C) मथुरा
(D) काशी
उत्तर :
(A) नासिक
प्रश्न 7.
पंचवटी कहाँ स्थित है?
(A) महाराष्ट्र
(B) गुजरात
(C) आंध्रप्रदेश
(D) मध्यप्रदेश
उत्तर :
(A) महाराष्ट्र
प्रश्न 8.
पंचवटी में कितने वट वृक्षों का समूह है?
(A) 3
(B) 5
(C) 4
(D) 2
उत्तर :
(B) 5
प्रश्न 9.
कालाराम मंदिर कहाँ है?
(A) नासिक
(B) काशी
(C) मथुरा
(D) पंचवटी
उत्तर :
(D) पंचवटी
प्रश्न 10.
वनवास के दौरान राम कहाँ ठहरे थे?
(A) सासाराम
(B) नवादा
(C) पंचवटी
(D) लखनऊ
उत्तर :
(C) पंचवटी
प्रश्न 11.
भगवान पंचरलेश्वर का मंदिर कहाँ है?
(A) गया
(B) पंचवटी
(C) नालंदा
(D) वैशाली
उत्तर :
(B) पंचवटी
संस्कृत में वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
गोदावरी कस्मिन् प्रदेशे अस्ति?
(A) बंगप्रदेशे
(B) कलिंग प्रदेशे
(C) महाराष्ट्र प्रदेशे
(D) उत्कल प्रदेशे
उत्तर :
(C) महाराष्ट्र प्रदेशे
प्रश्न 2.
नासिक क्षेत्रं कुत्र वर्तते?
(A) महाराष्ट्र
(B) बिहारे
(C) उत्तराखंडे
(D) गुर्जरप्रदेशे
उत्तर :
(A) महाराष्ट्र]
प्रश्न 3.
केन सूर्पणखायाः नासिका छिन्ना?
(A) रामेण
(B) रावणेन
(C) हनुमतेन
(D) लक्ष्मणेन
उत्तर :
(D) लक्ष्मणेन
प्रश्न 4.
रामकुंडः कुत्र असित?
(A) उत्तर प्रदेशे
(B) गुर्जरप्रदेशे
(C) नासिक क्षेत्रे
(D) बंग प्रान्ते
उत्तर :
(C) नासिक क्षेत्रे
प्रश्न 5.
त्र्यंबकेश्वर मन्दिरं कस्मिन् क्षेत्रे अस्ति?
(A) उत्तराखण्डे
(B) बिहारे
(C) त्रिवेणीक्षेत्रे
(D) नासिकक्षेत्रे
उत्तर :
(D) नासिकक्षेत्रे
प्रश्न 6.
सीतागुहा कुत्र अवस्थिम् अस्ति?
(A) पंचवट्याः
(B) रामेश्वरमक्षेत्रे
(C) अयोध्यानगरे
(D) उत्कलक्षेत्रे
उत्तर :
(A) पंचवट्याः
प्रश्न 7.
पञ्चरत्नेश्वरस्य महालिङ्गम् कुत्र अस्ति?
(A) दक्षिणारण्ये
(B) पञ्चवटी गुहायाम्
(C) उत्तराखण्डे
(D) रामेश्वरक्षेत्रे
उत्तर :
(B) पञ्चवटी गुहायाम्
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पीयूषम् भाग 2 Class 10 Solutions
- Chapter 1 मङ्गलम्
- Chapter 2 पाटलिपुत्रवैभवम्
- Chapter 3 अलसकथा
- Chapter 4 संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः
- Chapter 5 भारतमहिमा
- Chapter 6 भारतीयसंस्काराः
- Chapter 7 नीतिश्लोकाः
- Chapter 8 कर्मवीर कथाः
- Chapter 9 स्वामी दयानन्दः
- Chapter 10 मन्दाकिनीवर्णनम्
- Chapter 11 व्याघ्रपथिककथाः
- Chapter 12 कर्णस्य दानवीरता
- Chapter 13 विश्वशांतिः
- Chapter 14 शास्त्रकाराः
संस्कृत पीयूषम् द्रतयपाठय भाग 2 (अनुपूरक पुस्तक)
- Chapter 1 भवान्यष्टकम्ज
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- Chapter 3 अच्युताष्टकम्
- Chapter 4 हास्याकाणिकः
- Chapter 5 संसारमोहः
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- Chapter 7 भीष्म-प्रतिज्ञा
- Chapter 8 वृक्षैः समं भवतु मे जीवनम्
- Chapter 9 अहो, सौन्दर्यस्य अस्थिरता
- Chapter 10 संस्कृतेना जीवनम्
- Chapter 12 स्वामिनः विवेकानन्दस्य व्यथा
- Chapter 13 शुकेश्वराष्टकम्
- Chapter 14 वणिजः कृपणता
- Chapter 15 जयतु संस्कृतम्
- Chapter 16 कन्यायाः पतिनिर्णयः
- Chapter 17 राष्ट्रस्तुतिः
- Chapter 18 सत्यप्रियता
- Chapter 19 जागरण-गीतम्
- Chapter 20 समयप्रज्ञाः
- Chapter 21 भारतभूषा संस्कृतभाषा
- Chapter 22 प्रियं भारतम्
- Chapter 23 क्रियताम् एतत्
- Chapter 24 नरस्य
- Chapter 25 धुवोपाख्यानत्