Chapter 5 – संसारमोहः

संसारमोहः

एकदा भगवान् नृसिंहः स्वस्य प्रियं भक्त प्रहलादम् अवदत्- किमपि वरं याचस्‍व‘ इति । तदा प्रहलादः उक्तवान् – “भगवन् ! संसारस्य एतान् दीनदुःखिन: जीवान् त्यक्त्वा अहम् एकाकी मुक्तः भवितुं न इच्छामि । कृपया भवान् एतान् सर्वान् अपि जीवान् स्वीकृत्य बैकुण्ठं प्रति गमनाय अनुमति ददातु‘ इति ।

भगवान् अवदत्- ये गतुं न इच्छन्ति तान् सर्वान् अपि जीवान् बलपूर्वक बैकुण्ठं कथं नयेत् भवान्?

प्रहलादः अवदत्- ईदृशः को भविष्यति यो वैकुण्ठं गन्तुं न इच्छेत् ? तर्हि त्वमेव सर्वान् पृष्ट्वा ये वैकुण्ठं गन्तुम् इच्छन्ति तान् स्वीकृत्य आगच्छ इति असूचयत् देवः । ततः प्रहलादः प्रच्छनार्थं गतवान्।

ब्राह्ममणाः उक्तवन्तः- इदानीं यजमानस्य यागः करणीयः अस्ति । किञ्च पुत्रः गुरुकुलं गतवान् अस्तियदा सः गुरुकुलतः आगमिष्यति तदा विवाहः कारणीयः अस्ति । अतः वयम् इदानीं वैकुण्ठं गन्तुं न अभिलषामः इति।

परिव्राजकाः उक्तवन्तः– वयं तु मुक्ताः एव स्मः। किन्तु शिष्याणां तत्वज्ञान न जातम् अस्ति। अतः ये उपदेष्टव्या सन्ति अस्माभिः इति। एवम् एव राजानः राज्यस्य विषयेवणिजः वाणिज्यविषयेसेवकाः गृहविषये च उक्तवन्तः। पशु-पक्षिणः अपि स्वस्य परिवारपोषणे रताः आसन्। एवं सर्वे अपि प्राणिनः प्रह्लादेन सह वैकुण्ठं प्रति गमनं तिरस्कृतवन्तः । यद्यपि वैकण्ठ सवेऽपि इच्छन्ति स्म एवतथापि झटिति गमनाय कोऽपि उद्युक्तः न आसीत्। प्रहलादः अन्ते एकस्य वराहस्य समीपं गतवान्। तदा वराह: अपृच्छत्- वैकुण्ठे किम् अस्तिइति। प्रहलादः अवदत्- तत्र अनन्तः आनन्दः अस्ति इति ।

वराहः पुनः अपृच्छत्— मम भार्यां पृच्छतुअहं तु एकाकी गन्‍तुं न इच्छामि।

तदा प्रहलादः अवदत्- तर्हि तान् बालकान् च आदाय चलतु।

वराहस्य पत्नी वैकुण्ठगमनप्रस्ताव श्रुत्वा पृष्टवती- किं तत्र अस्माभिः भोजनं प्राप्यते?

प्रहलादः अवदत् तत्र तु बुभुक्षा एव न भवति । अत: भोजनस्य समस्या नास्ति तत्र। तदा सूकरी अवदत्- यत्र बुभुक्षा न भवति तत्र गत्वा वयं रूग्णाः एव भवेम।

“तत्र कोऽपि कदापि रूग्ण: न भवति इति विवृतवान् प्रहलादः।

तदा सूकरी दुकवरेण अवदत्- यत्र अस्‍माभि: भोजनं न प्राप्‍येत तं देशं वयं गन्‍तुं न इच्‍छाम:

प्रहलादः निराशतां प्राप्य भगवतः समीपं गत्वा उक्‍तवान्- भगवन्! सर्वेऽपि प्राणिनः स्वस्य एव कौटुम्बिकव्‍यापारे मग्‍ना: सन्ति। वैकुण्‍ठ गन्‍तुं कोऽपि उद्युक्‍त: नास्ति

अर्थ : एक बार भगवान् नृसिंह ने अपने प्रिय भक्‍त प्रह्लाद को कहा- कोई वर मांगों, तब प्रह्लाद ने कहा “भगवन्! संसार के इतने दीन-दुखियों, जीवों को छोड़कर मैं अकेले मुक्ति पाना नहीं चाहता हूँ। कृपया इन सभी जीवों को अपना बनाकर बैकुण्‍ठ की ओर जाने के लिए अनुमति प्रदान करें।”

भगवान ने कहा- जो नहीं जाना चाहते हैं उन सभी जीवों को बलपूर्वक बैकुण्ठ क्‍यों ले जा रहे हैं आप? प्रह्लाद बोला— ऐसा कौन होगा जो बैकुण्‍ठ जाना नहीं चाहेगा? भगवान ने कहा- तो तुम ही सबों को पूछकर जो बैकुण्ठ जाना चाहते हैं उन सबों को लेकर आ जाओ। इसके बाद प्रह्लाद पुछने के लिए चला जाता है।

ब्राह्मणों ने कहा- इस समय यजमान का यज्ञ कराना है। किसी का पुत्र गुरूकुल गया है, जब वह गुरुकुल से आयेगा तो उसका विवाह करना है। इसलिए हमलोग की इस समय बैकुण्‍ठ जाने की अभिलाषा नहीं है।

संन्यासियों ने कहा- हमलोग तो मुक्त ही हैं। किन्‍तु शिष्यों को तत्त्व ज्ञान नहीं हुआ है। अतः उनलोगों को मुझे उपदेश देना है। इसी प्रकार राजा लोग राज्य के विषय में, बनिया लोग व्यापार के विषय में, सेवक लोग घर के विषय में बोला। पशु-पक्षियों भी अपने परिवार के पोषण में लगे थे। इस प्रकार सभी प्राणि प्रह्लाद के साथ बैकुण्‍ठ की ओर जाने के लिए स्वीकार नहीं किया। जबकि बैकुण्ठ सभी चाहते थे, इसके बाद भी जल्दीबाजी में जाने को कोई भी तैयार नहीं थे। प्रह्लाद अन्त में एक सूअर के समीप गये । सूअर ने पूछा- बैकुण्ठ में क्या है। प्रहलाद ने कहा-वहाँ अनन्त आनन्द है।

सूअर ने पुनः पूछा- मेरी पत्नी को पूछिये, मैं तो अकेले जाना नहीं चाहता हुँ।

तब प्रह्लाद ने कहा- तो उन बच्चों को लेकर चलो। सूअर की पत्‍नी बैकुण्‍ठ गमन के प्रस्ताव को सुनकर पुछती है- क्या वहां हमलोगों को भोजन मिलेगा? प्रह्लाद ने कहा- वहाँ तो भूख ही नहीं लगती है। इसलिए भोजन की समस्या वहाँ नहीं है।

तब सूअरी ने कहा- जहाँ भूख नहीं होती है वहाँ जाकर हमलोग बीमार ही हो जायेंगे। प्रह्लाद ने बताया- “वहाँ कोई भी, कभी भी बीमार नहीं होता है।

तब सुअरी ने दृढ़ स्वर में कही- जहाँ हमलोगों को भोजन नहीं प्राप्त हो उस देश की ओर हमलोग जाने को इच्छा नहीं करते हैं।

प्रह्लाद निराश होकर भगवान के समीप जाकर कहा- भगवन्! सभी प्राणि अपने ही पारिवारिक कार्य में मग्न हैं। बैकुण्ठ जाने के लिए कोई भी तैयार नहीं है।

हिन्दी में वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भगवान नरसिंह का प्रिय भक्त कौन था?
(A) प्रहलाद
(B) राम
(C) श्याम
(D) मोहन
उत्तर :
(A) प्रहलाद

प्रश्न 2.
सभी प्राणियों को प्रहलाद कहाँ ले जाना चाहता था?
(A) नरक
(B) बैकुण्ठ
(C) वृन्दावन
(D) काशी
उत्तर :
(B) बैकुण्ठ

प्रश्न 3.
कहाँ भूख नहीं लगता है? ।
(A) काशी
(B) नरक
(C) वृन्दावन
(D) बैकुण्ठ
उत्तर :
(D) बैकुण्ठ

प्रश्न 4.
जजमान को जग कराना है। किसने कहा?
(A) शिष्य
(B) संन्यासी
(C) ब्राह्मण
(D) बनिया
उत्तर :
(C) ब्राह्मण

प्रश्न 5.
हमलोगों को शिष्यों को उपदेश देना है। किसने कहा?
(A) शिष्य
(B) संन्यासी
(C) ब्राह्मण
(D) बनिया
उत्तर :
(B) संन्यासी

प्रश्न 6.
संसार मोह क्या है?
(A) संसार में जन्म लेना
(B) संसार में घूमना
(C) संसार में रहना
(D) संसार से मुक्त न होना
उत्तर :
(D) संसार से मुक्त न होना

प्रश्न 7.
प्रह्लाद ने विष्णु से क्या वरदान माँगा?
(A) मुक्ति
(B) भक्ति
(C) शक्ति
(D) सभी प्राणियों का वैकुंठवास
उत्तर :
(D) सभी प्राणियों का वैकुंठवास

संस्कृत में वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
संसारस्य मोहः कीदृशः भवति?
(A) सुखकरः
(B) दुःखवाहः
(C) भयंकरः
(D) प्रीतिदायकः
उत्तर :
(C) भयंकरः

प्रश्न 2.
नृसिंहस्य प्रियः भक्तः कः आसीत्?
(A) प्रह्लादः
(B) नरहरिः
(C) अन्धकः
(D) हिरण्यकशिपुः
उत्तर :
(A) प्रह्लादः

प्रश्न 3.
वैकुंठे अनंतः अस्ति
(A) भोजनस्य
(B) आनंदः
(C) नास्ति
(D) बुभुक्षाः
उत्तर :
(B) आनंदः

प्रश्न 4.
भोजनस्य समस्या कुत्र नास्ति?
(A) पक्षिणः
(B) वराह
(C) वैकुंठे
(D) परिव्राजकाः
उत्तर :
(C) वैकुंठे

प्रश्न 5.
कः अचायत् सर्वप्राणिनां कृते वैकुंठं व्यवस्था भवेत् ?
(A) नृसिंहस्य
(B) प्रह्लादः
(C) वैकुंठे
(D) पशु-पक्षिणः
उत्तर :
(B) प्रह्लादः

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