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अध्याय 6 – तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

अभ्यास

प्रश्न 6.1

प्रश्न 6.2

प्रश्न 6.3

प्रश्न 6.4

प्रश्न 6.5

प्रश्न 6.6

प्रश्न 6.7

प्रश्न 6.8

प्रश्न 6.9

प्रश्न 6.10

उत्तर

तत्व सूक्ष्म मात्रा में प्राप्त होने पर शोधन के लिए कई तकनीकें हो सकती हैं, लेकिन इस पर कौन सी तकनीक अधिक उपयोगी होगी, यह विभिन्न परिस्थितियों पर निर्भर करता है। यहां कुछ मुख्य शोधन तकनीकें हैं:

  1. क्रोमैटोग्राफी (Chromatography): यह एक बहुत उपयोगी तकनीक है जिसमें तत्वों को अलग करने के लिए एक स्थायी या चलती फेज का उपयोग किया जाता है। यह तत्वों की सूक्ष्म मात्राओं को अलग करने में मदद कर सकता है।
  2. मैस्स स्पेक्ट्रोमेट्री (Mass Spectrometry): इस तकनीक में एक द्रव्यमानीय तत्व की मात्रा और संरचना का विश्लेषण किया जाता है। यह तत्वों की सूक्ष्म मात्रा को पहचानने में सहायक हो सकता है।
  3. न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजनेंस (Nuclear Magnetic Resonance, NMR): यह एक और उपयोगी तकनीक है जिसमें तत्वों की संरचना को अध्ययन करने के लिए इन्फरारेड रेजनेंस का उपयोग किया जाता है।
  4. स्पेक्ट्रोस्कोपी (Spectroscopy): यह एक बहुत व्यापक तकनीक है जो विभिन्न तरीकों से रोशनी के विचार को उपयोग करती है ताकि तत्वों की सूक्ष्म मात्राएं पहचानी जा सकें।

शोधकर्ता को तत्व की प्रकृति, संरचना, और उद्दीपन के आधार पर सही तकनीक का चयन करना होता है।

प्रश्न 6.11

उत्तर

अगर किसी तत्व में उपस्तिथ अशुद्धियों के गुण तत्व से मिलते जुलते हैं, तो उपयुक्त शोधन विधि का चयन तत्व के प्रकृति, उपस्थित अशुद्धियों के प्रकार और उनकी मात्रा पर निर्भर करेगा। यहां कुछ आम शोधन विधियाँ हैं:

  1. क्रोमैटोग्राफी (Chromatography): यह तकनीक तत्वों को अलग करने में मदद कर सकती है और उनकी संश्लेषण स्थितियों को अच्छे से विश्लेषण करने में सहायक हो सकती है।
  2. उच्च-प्रतिस्थान स्पेक्ट्रोस्कोपी (High-Performance Spectroscopy): इसमें विभिन्न तरीकों से रोशनी का उपयोग करके अशुद्धियों की पहचान की जा सकती है।
  3. उच्च-प्रतिस्थान तंतु मैस्स स्पेक्ट्रोमेट्री (High-Performance Mass Spectrometry): इस तकनीक में तत्वों की मात्रा और संरचना का अध्ययन करने के लिए उच्च-प्रतिस्थान स्पेक्ट्रोमेट्री का उपयोग किया जा सकता है।
  4. न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजनेंस (NMR): यह तकनीक तत्वों की संरचना का विश्लेषण करने में मदद कर सकती है, और उपस्थित अशुद्धियों को पहचानने में उपयोगी हो सकती है।

शोधकर्ता को उपस्थित स्थितियों के साथ समझदारी रखकर और उपयुक्त उपकरण और विधियों का चयन करते हुए अपने शोध के लक्ष्यों के आधार पर विचार करना चाहिए।

प्रश्न 6.12

प्रश्न 6.13

प्रश्न 6.14

प्रश्न 6.15

प्रश्न 6.16

प्रश्न 6.17

प्रश्न 6.18

प्रश्न 6.19

प्रश्न 6.20

प्रश्न 6.21

प्रश्न 6.22

उत्तर

प्रश्न 6.23

प्रश्न 6.24

प्रश्न 6.25

प्रश्न 6.26

प्रश्न 6.27

You must watch …

अध्याय 1 – ठोस अवस्था
अध्याय 2 – विलयन
अध्याय 3 – वैधुतरसायन
अध्याय 4 – रासायनिक बलगतिकी
अध्याय 5 – पृष्ठ रसायन
अध्याय 7 – p – ब्लॉक के तत्व
अध्याय 8 – d – एवं f – ब्लॉक के तत्व
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अध्याय 10 – हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन
अध्याय 11 – ऐल्कोहॉल , फ़ीनॉल एवं ईथर
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