Chapter 4 – विद्युत-धारा का चुंबकीय प्रभाव

विद्युत-धारा का चुंबकीय प्रभाव

चुबंक चुंबक एक ऐसा पदार्थ है जो कि लोहा और चुंबकीय पदार्थों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

चुबंक में दो ध्रुव होता है- उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव

चुंबकीय पदार्थ वैसे पदार्थ जिन्हें चुंबक आकर्षित करता है अथवा जिनसे कृत्रिम चुंबक बनाए जा सकते हैं, चुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं। जैसे- लोहा, कोबाल्ट, निकेल और कुछ अन्य मिश्र धातु।

अचुंबकीय पदार्थ वैसे पदार्थ जिन्हें चुंबक आकर्षित नहीं करता है, अचुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं। जैसे- काँच, कागज, प्लैस्टिक, पीतल आदि।

1820 में ओर्स्टेड नामक वैज्ञानिक ने यह पता लगाया कि जब किसी चालक से विद्युत-धारा प्रवाहित की जाती है तब चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।

मैक्सवेल का दक्षिणहस्त नियम यदि धारावाही तार को दाएँ हाथ की मुट्ठी में इस प्रकार पकड़ा जाए कि अँगूठा धारा की दिशा की ओर संकेत करता हो, तो हाथ की अन्य अँगुलियाँ चुंबकीय क्षेत्र की दिशा व्यक्त करेंगी।

विद्युतचुंबक: विद्युत-चुंबक वैसा चुंबक जिसमें चुंबकत्व उतने ही समय तक विद्यमान रहता है जितने समय तक परिनालिका में विद्युत-धारा प्रवाहित होती रहती है।

चुंबक के चुंबकत्व की तिव्रता निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती है।
1. परिनालिका के फेरों की संख्या पर
2. विद्युत-धारा का परिणाम
3. क्रोड के पदार्थ की प्रकृति

  • नर्म लोहे का उपयोग विद्युत चुंबक तथा इस्पात का उपयोग स्थायी चुंबक बनाने में किया जाता है।

फ्लेमिंग का वामहस्त नियम : यदि हम अपने बांए हाथ की तीन अंगुलियाँ मध्यमा, तर्जनी तथा अँगुठे को परस्पर लंबवत फैलाएँ और यदि तर्जनी चुबंकिय क्षेत्र की दिशा तथा मध्यमा धारा की दिशा को दर्शाते हैं, तो अंगुठा धारावाही चालक पर लगे बल की दिशा को व्यक्त करता है।

विद्युत मोटर विद्युत मोटर एक ऐसा यंत्र है जिसके द्वारा विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। विद्युत मोटर में एक शक्तिशाली चुंबक होता है जिसके अवतल ध्रुव-खंडों के बीच ताँबे के तार की कुंडली होती है जिसे मोटर का आर्मेचर (armature) कहते हैं। आर्मेचर के दोनों छोर पीतल के खंडित वलयों R1 तथा R2 से जुड़े होते हैं। वलयों को कार्बन के ब्रशों B1 तथा B2 हलके से स्पर्श करते हैं

जब आर्मेचर से धारा प्रवाहित की जाती है तब चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र के कारण कुंडली के AB तथा CD भुजाओं पर समान मान के, किंतु विपरीत दिशाओं में बल लगते हैं, क्योंकि इन भुजाओं में प्रवाहित होनेवाली धारा के प्राबल्य (strength) समान हैं, परंतु उनकी दिशाएँ विपरीत हैं। इनसे एक बलयुग्म बनता है जिस कारण आर्मेचर घूर्णन करने लगता है।

आधे घूर्णन के बाद जब CD भुजा ऊपर चली जाती है और AB भुजा नीचे आ जाती है तब वलयों के स्थान भी बदल जाते हैं। इस तरह ऊपर और नीचे वाली भुजाओं में धारा की दिशाएँ वही बनी रहती हैं। अतः, आर्मेचर पर लगा बलयुग्म आर्मेचर को लगातार एक ही तरह से घुमाता रहता है।

विद्युत मोटर के आर्मेचर की धुरी पर यदि ब्लेड (blade) लगा दिए जाएँ तो मोटर विद्युत पंखा बन जाता है। धुरी में पट्टी लगाकर मोटर द्वारा मशीनों (जैसे-लेथ मशीन) को चलाया जा सकता है। टेपरेकॉर्डर भी विद्युत मोटर का उपयोग करता है।

विद्युत्चुम्बकीय प्रेरण किसी चालक को किसी परिवर्ती चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर उस चालक के सिरों के बीच विद्युतवाहक बल उत्पन्न होने को विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic induction) कहते हैं।

विद्युत चुम्बकीय प्रेरण का सिद्धांत फैराडे ने दिया था।

विद्युत जनित्र विद्युत जनित्र एक ऐसा यंत्र है जिसके द्वारा यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।

दिष्ट धारा जब किसी धारा का मान तथा दिशा समय के साथ परिवर्तित न हो, तो ऐसी धारा को दिष्ट धारा कहते है। दिष्ट धारा का मान समय के साथ नियत बना रहता है तथा दिशा भी समान रहती है।

प्रत्यावर्ती धारा प्रत्यावर्ती धारा वह धारा है जो किसी विद्युत परिपथ में अपनी दिशा बदलती रहती हैं।

अतिभारण जब किसी परिपथ में अत्यधिक विद्युत धारा प्रवाहित हो रही होती है, तो इसका कारण हो सकता है कि एक ही सॉकेट से कई युक्तियों को संयोजित किया गया हो। इसको उस परिपथ में ‘अतिभारण’ (Over loading) कहते हैं। अतिभारण की स्थिति में अत्यधिक विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण विद्युत उपकरण अत्याधिक गर्म होकर जल सकते हैं।

लघुपथन जब किसी कारण से फेज व न्यूट्रल आपस में सीधे ही जुड़ जाए तो इसे परिपथ का लघुपथन कहते हैं। लघुपथन (short-circuting) होने पर परिपथ में अत्यधिक विद्युत धारा बहती है जिससे घर के उपकरण गर्म होकर आग पकड़ सकते हैं और जल सकते हैं।

फ्यूज फ्यूज ऐसे तार का टुकड़ा होता है जिसके पदार्थ की प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है और उसका गलनांक बहुत कम होता है।

विद्युत के उपयोग में सावधानियां

  1. स्विचों, प्लगों, सॉकेटों तथा जोड़ों पर सभी संबंधन अच्छी तरह कसे हुए होने चाहिए। प्रत्येक तार अच्छे क्वालिटी और उपयुक्त मोटाई का होना चाहिए और उत्तम किस्म के विद्युतरोधी पदार्थ की परत से ढँका होना चाहिए।
  2. परिपथ में लगे फ्यूज उपयुक्त क्षमता तथा पदार्थ के बने होने चाहिए।
  3. परिपथों में फ्यूज तथा स्विच को हमेशा विद्युन्मय तार में श्रेणीक्रम में लगाना चाहिए।
  4. अधिक शक्ति के उपकरणों, जैसे- हीटर, इस्तरी, टोस्टर, रेफ्रीजरेटर आदि को भू-तार से अवश्य संपर्कित करना चाहिए।
  5. मानव शरीर विद्युत का सुचालक है। इसलिए यदि किसी विद्युत-परिपथ में कहीं कोई मरम्मत करनी हो या कोई अन्य कार्य करना हो तो विद्युतरोधी पदार्थ, जैसे-रबर के बने दस्ताने तथा जूतों का इस्तेमाल करना चाहिए।
  6. परिपथ में आग लगने या अन्य किसी दुर्घटना के होने पर परिपथ का स्विच तुरंत बंद कर देना चाहिए।

महत्वपूर्ण तथ्य—

  • चुम्बक के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा दक्षिण ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती है।
  • चुम्बकिय बल रेखा काल्पनिक होती है। क्योंकि ये सदिश राशि है। चुम्बकिय क्षेत्र को पुरा-पुरा व्यक्त करने के लिए मान के साथ दिशा की भी जरूरत होती है।
  • किसी विद्युत धारावाही सीधी लम्बी परिनालिका के भितर चुम्बकिय क्षेत्र परिनालिका के सभी बिन्दुओं पर समान होगा।
  • यदि नरम लोहे को धारावाही कुण्डली के गर्म में रख दिया जाता है तो यह विद्युत चुम्बक बन जाता है।
  • फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम में अंगूठा बल के दिशा को संकेत करता है।
  • फ्लेमिंग के वाम हस्त नियम में बायें हाथ की तर्जनी चुम्बकिय क्षेत्र की दिशा को संकेत करती है।
  • जब कोई धनावेशित कण ( -कण) पश्चिम की ओर प्रक्षेपित हो रही है और चुम्बकिय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर प्रक्षेपित हो तो चुम्बकिय क्षेत्र की दिशा अवश्य ही उपरिमुखी होगी। दक्षिण हस्त अंगूष्ठ नियम से।
  • विद्युत धार के चुम्बकिय प्रभाव की खोज आस्टेंड ने किया था। आस्टेंड ने 1820 ई० में अकस्मात यह खोजा कि किसी धातु के तार में विद्युत धारा प्रभावित करने पर पास में रखी दिक् सूची में विक्षेप उत्पन्न होता है। इन्हीं प्रक्षेणो के आधार पर ऑस्टेंड ने यह प्रमाणित किया कि विद्युत और चुम्बकत्व परस्पर संबंधित परिघटनाएँ है।
  • विभक्त वलयों का उपयोग विद्युत मोटर में किया जाता है।
  • विद्युत मोटर द्वारा परिवर्तित किया जाता है विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक, ऊर्जा में। जब विद्युत जनित्र द्वारा यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
  • जेनेरेटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। जबकि विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है।
  • विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को जनित्र कहते है।
  • एक तांबे की तार की आयताकार कुंडली किसी चुम्बकिय क्षेत्र में घूर्णन करती है। इस कुण्डली में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा आधे परिभ्रमण के बाद परिवर्तित हो जाता है।
  • अतिभारण के समय विद्युत परिपथ में विद्युत धारा का मान बहुत अधिक बढ़ जाता है।
  • एक ac जनित्र और dc जनित्र में मूलभूत अंतर यह है कि वह जनित्र में सर्पी वलय होते है। जबकि dc जनित्र में दिक्- परिवर्तक होते हैं।
  • घरों में दुर्घटना शॉर्ट-सर्किट से होती है। जब उदासीन तार और जीवित तार का सिधा संबंध हो जाए तो इसके बिच कोई प्रतिरोध नही रह जाता है। तब परिपथ में उच्च मान की धारा बहने लगती है। इसे ही जघुपथन या शॉर्ट-सर्किट कहा जाता है। उच्च धारा के कारण फ्यूज गल जाता है और सांधित्र तथा परिपथ होने से बचता है। साथ ही परिपथ में आग लगने का भी भय रहता है।
  • विद्युत फ्यूज विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव पर कार्य करता है।
  • विद्युत उर्जा का व्यापारिक मात्रक यूनिट है।
  • हमारे घरों में जा विद्युत आपूर्ति की जाती है वह 220V पर प्रत्यावर्ती धारा होती है। विद्युत परिपथ 5A विद्युत धारा अनुमतांक के होते हैं। इस परिपथ में घर के अंदर बल्ब, पंखे, टीवी आदि चलाए जाते हैं।
  • घरेलू विद्युत परिपथ में स्वीच गर्म तार में लगाए जाते हैं। क्योंकि मुख्य विद्युत धारा का प्रवेश गर्म मार्ग द्वारा ही घरों में प्रवेश पाता है।

विषयनिष्‍ठ प्रश्‍नोत्तर (Subjective Questions)

प्रश्‍न 1चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए।
उत्तर—चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के निम्नलिखित गुण हैं :
(i) ये रेखाएँ उत्तरी ध्रुव से शुरू होती हैं और दक्षिणी ध्रुव पर समाप्त होती हैं। ये रेखाएं एक बंद वक्र होती हैं।
(ii) ये रेखाएं कभी भी एक-दूसरे को नहीं काटतीं।
(iii) जहाँ चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं अपेक्षाकृत अधिक निकट होती हैं वहाँ चुंबकीय बल की प्रबलता होती है।

प्रश्‍न 2. विद्युत मोटर का क्या सिद्धांत है?
उत्तरविद्युत मोटर एक ऐसा यंत्र है जिसमें विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदला जाता है। इसे विद्युत मोटर का सिद्धान्त कहते हैं।

प्रश्‍न 3. विद्युत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है ?
उत्तर—विद्युत मोटर में विभक्त वलय सम्पर्क का कार्य करता है। प्रवाहित धारा की दिशा बदलने के कारण आर्मेचर पर लगनेवाले बल की दिशा बदल जाती है। इस प्रकार घूर्णन बल कुण्डली में घूर्णन उत्पन्न करता है।

प्रश्‍न 4. किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर—किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के निम्नलिखित ढंग हैं :
(i) कुण्डली को चुम्बकीय क्षेत्र में गति कराकर।
(ii) कुण्डली के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन कराकर।
(iii) कुण्डली के समीप रखी किसी अन्य कुण्डली में प्रवाहित धारा में परिवर्तन कराकर।

प्रश्‍न 5. विद्युत जनित्र का सिद्धांत लिखिए।
उत्तर – यह वैसा युक्ति है जिसमें यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। यह युक्ति विद्युत-चुंबकीय प्रेरण पर आधारित होती है।

प्रश्‍न 6. दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर  दिष्ट धारा के कुछ मुख्य स्रोत हैं :

(i) D.C. जनित्र, (ii) विद्युत रासायनिक सेल तथा (iii) स्टोरेज सेल।

प्रश्‍न 7. प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करनेवाले स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर—प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करनेवाले स्रोत हैं

(i) A.C. डायनेमो तथा (ii) जल विद्युत धारा।

प्रश्‍न 8. विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होनेवाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए।
उत्तर—सामान्यतः उपयोग होनेवाले दो सुरक्षा उपायों के नाम हैं  (i) विद्युत फ्यूज तथा (ii) भू-संपर्क तार।

प्रश्‍न 9. घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?
उत्तरघरेलू विद्युत परिपथों में एक सॉकेट से ज़्यादा विद्युत उपकरणों को नहीं जोड़ना चाहिए इससे अतिभारण का डर रहता है। इसी से बचाव के लिए फ्यूज को प्रतिस्थापित किया जाता है।

प्रश्‍न 10. ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत मोटर उपयोग किए जाते हैं।
उत्तरजिन युक्तियों में विद्युत मोटर का उपयोग किया जाता है, उनमें से कुछ के नाम हैं :
(i) पंपिंग सेट, (ii) एअर कंडीशनर, (iii) रेफ्रिजरेटर, (iv) वाशिंग मशीन, (v) एयर कूलर।

प्रश्‍न 11. किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है ?
उत्तर  जब विद्युन्मय तार (अथवा धनात्मक तार) तथा उदासीन तार (अथवा ऋणात्मक तार) दोनों सीधे संपर्क में आते हैं तो अतिभारण होता है। ऐसी परिस्थिति में किसी परिपथ में विद्युत धारा अकस्मात बहुत अधिक हो जाती है। इसी को लघुपथन कहते हैं।

प्रश्‍न 12. विद्युत-धारा के चुम्‍बकीय प्रभाव से संबंधीत दक्षिण-हस्‍त अंगुठा का नियम लिखें।
अथवा, फ्लेमिंग का दक्षिण-हस्‍त नियम लिखें।
उतर- फलेमिंग का दक्षिण-हस्‍त नियम-अपने दाहिने हाथ की तर्जनी, मध्‍यमा अंगुली तथा अंगुठे को इस प्रकार फैलाइए कि ये तीनों एक-दूसरे के परस्‍पर लंबवत हों। यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा की ओर संकेत करता है तथा अंगूठा चालक की गति की दिशा की ओर संकेत करता है तो मध्‍यमा चालक में प्रेरित विद्युत-धारा की दिशा दर्शाती है।

प्रश्‍न 13. फयुज के तार की तीन प्रमुख विशेषताएँ लिखें।
उतर- फ्युज के तार की तीन प्रमुख विशेषताएँ निम्‍नांकित हैं—

  • इसका प्रतिरोध उच्‍च होता है।
  • इसका गलनांक न्‍युनतम होता है।
  • घरों में 220V पर 5A अनुमतांक का फयुज व्‍यवहार होता है।

प्रश्‍न 14. विद्युत चुंबकीय प्रेरण किसे कहते हैं ? कुंडली में उत्‍पन्‍न प्रेरित वि़द्युत-धारा अधिकतम कब होती है ?
उत्तर—वह प्रक्रम जिसके द्वारा किसी चालक के परिवर्ती चुंबकीय क्षेत्र के कारण किसी अन्‍य चालक में विद्युत धारा प्रेरित करती है। इसे वि़द्युत चुंबकीय प्रेरण कहा जाता है। इसे किसी कुंडली में प्रेरित विद्युत-धारा या तो उसे किसी चुंबकीय क्षेत्र में गति कराकर अथवा उसके चारों ओर के चुंबकीय क्षेत्र को परिवर्तित करके उत्‍पन्‍न कर सकते हैं। चुंबकीय क्षेत्र में कुंडली को गति प्रदान कराकर प्ररित विद्युत-धारा उत्‍पन्‍न करना अधिक सुविधाजनक होता है। जब कुंडली की गति की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लंबवत् होती है, तब कुंडली में उत्‍पन्‍न प्ररित विद्युत-धारा अधिकतम होती है।

प्रश्‍न 15. विद्युत मोटर का क्‍या सिद्धांत है ?
उत्तर—जब किसी कुण्‍डली को चुंबकीय क्षेत्र में रखकर उसमें धारा प्रवाहित की जाती है तो कुण्‍डली पर एक बल युग्‍म कार्य करने लगता है, जो कुण्‍डली को उसी अक्ष पर घुमाने का प्रयास करता है। यदि कुण्‍डली अपनी अक्ष पर घूमने के लिए स्‍वतन्‍त्र हो तो वह घूमने लगती है।

प्रश्‍न 16. फलेमिंग का वाम-हस्‍त नियम लिखिए।
उत्तर—अपने वामहस्‍त के अंगूठे, तर्जनी, मध्‍यमा अंगु‍ली को इस प्रकार फैलाएँ कि वे परस्‍पर समकोण बनाएँ। तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र को निर्दिष्‍ट करेगी1 मध्‍य अंगुली धारा के प्रवाह की दिशा को बताएगी और अंगूठा चालक की दिशा को प्रभावित करेगा।

प्रश्‍न 17. वि़द्युत फ्यूज क्‍या है, यह किस मिश्रधातु का बना होता है ?
उत्तर—वि़द्युत फ्यूज (या फ्यूज) बहुत कम गलनांक के पदा‍र्थ का एक छोटा तार होता है जिसे बि़द्युत-परिपथ में सुरक्षा की दृष्टि से लगाया जाता है जब अतिभारण अथवा लघुपथन के कारण विद्युत-परिपथ में अधिक प्रबलता की विद्युत-धारा प्रवाहित होने लगती है तब फ्यूज गल जाता है (जिसे फ्यूज का उड़ जाना कहते हैं) और विद्युत-परिपथ भंग हो जाता है।

विद्युत फ्यूज में मिश्रधातु सीसा और टीन की होती है।

प्रश्‍न 18. लघुपथन से आप क्‍या समझते हैं?
अथवा, किसी वि़द्युत परिपथ में लघुपथन से आप क्‍या समझते हैं?
उत्तर—यदि किसी प्रकार धनात्‍मक तथा ऋणात्‍मक तार सम्‍पर्क में आ जाते हैं, तो विद्युत परिपथ में प्रतिरोध लगभग नगण्‍य हो जाता है और परिपथ में धारा अत्‍यधिक गर्म हो जाता है और इससे आग भी लग सकती है। इससे होने वाली क्षति से बचने के लिए परिपथ में फ्यूज का प्रयोग अवश्‍य किया जाता है।

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